केंद्र सरकार ने बुधवार को शिक्षा के क्षेत्र में दो बड़े फैसले लिए हैं। पहला – केंद्रीय मानव संसाधनव विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) किया है। दूसरा – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को स्वीकृति दे दी है।

इस नई शिक्षा नीति के जरिए देश में शिक्षा व्यावस्था में कई सुधार करने की कवायद की गई है। स्कूल स्तर से लेकर ग्रेजुएशन तक में कई अहम बदलाव किए गए हैं। देश की शिक्षा व्यवस्था में होने जा रहे कुछ अहम बदलावों के बारे में यहां समझें…

स्कूल स्तर पर क्या बदला
मौजूदा 10+2+3 सिस्टम को बदला गया है। इसे 5+3+3+4 में बदला गया है। 5 साल का फाउंडेशनल एजुकेशन, 3 साल प्रिपरेटरी, 3 साल मिडल और 4 साल सेकंडरी लेवल पर स्कूलिंग कराई जाएगी।

बच्चे 6 साल की उम्र से पहली कक्षा की पढ़ाई शुरू करेंगे। 6 से 16 साल की उम्र में कक्षा 1 से 10वीं की पढ़ाई होगी। 16 से 18 साल उम्र में 11वीं-12वीं की पढ़ाई होगी।

स्टूडेंट्स को सभी विषयों में दो स्तर के विकल्प दिए जाएंगे। जैसे सीबीएसई ने इस बार 10वीं में मैथ्स में दो लेवल का विकल्प दिया था – बेसिक और स्टैंडर्ड। अब मैथ्स से शुरू कर इस तरह का विकल्प सभी विषयों में मिलेगा। स्टूडेंट्स अपनी इच्छानुसार कोई एक विकल्प चुनकर उसकी पढ़ाई कर सकेंगे।

स्कूलों में बच्चों को कम से कम 5वीं कक्षा तक उनकी गृह भाषा, मातृ भाषा और क्षेत्रीय भाषा में निर्देश दिए जाएं। हालांकि 8वीं और उससे आगे की कक्षाओं के लिए भी इसे अपनाया जा सकता है।

बोर्ड परीक्षाओं को थोड़ा सरल बनाया जाएगा। परीक्षा ऐसी होगी जिससे कोर कंपीटेंसी की परख की जा सके। ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव पैटर्न पर ये परीक्षाएं साल में दो बार ऑफर की जाएंगी। इनमें से किसी एक का चुनाव स्टूडेंट्स कर सकेंगे।

परफॉर्मेंस असेसमेंट, रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (PARAKH) की स्थापना की जाएगी, जो बोर्ड परीक्षाओं के लिए स्टैंडर्ड सेटिंग बॉडी का काम करेगी।

स्कूल स्टूडेंट्स के लिए साल में 10 दिन बैगलेस (bag less days) होंगे। यानी इन 10 दिनों में उन्हें बैग में किताबों का बोझ लेकर स्कूल जाने की जरूरत नहीं। इस दौरान उन्हें इनफॉर्मल इंटर्नशिप कराई जाएगी।

कॉलेज स्तर पर क्या बदला
कॉलेजों में एडमिशन के लिए SAT की तरह एंट्रेंस टेस्ट लिए जाएंगे। ये परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) कराएगी। देश के विभिन्न कॉलेजों में एडमिशन के लिए एनटीए द्वारा एक कॉमन कॉमलेज एंट्रेंस एग्जाम साल में दो बार लिए जाएंगे।

बैचलर डिग्री चार साल की की जाएगी। हालांकि 3 साल का भी विकल्प रहेगा। जो स्टूडेंट्स बीच में कोर्स छोड़ेंगे, उन्हें भी क्रेडिट ट्रांसफर और एक ब्रेक के बाद अपनी डिग्री पूरी करने का मौका मिलेगा।

12वीं के बाद कॉलेज स्तर पर चार विकल्प होंगे। चार साल के बैचलर कोर्स में पहला साल पूरा करने पर सर्टिफिकेट, दो साल पर एडवांस डिप्लोमा, तीन साल पर बैचलर डिग्री और चार साल पर रिसर्च के साथ बैचलर डिग्री कोर्स पूरा कर सकते हैं। यानी मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प मिलेगा।

अगले 15 साल में कॉलेजों को डिग्री देने की स्वायत्ता प्रदान कर दी जाएगी। कॉलेजों के लिए यूनिवर्सिटीज से मान्यता की जरूरत नहीं होगी। डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा भी खत्म किया जाएगा।

उच्च शिक्षा के लिए निजी संस्थानों में फीस कैप लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। यानी अधिकतम फीस तय की जाएगी।

विश्व की टॉप 100 यूनिवर्सिटीज में से कुछ को भारत आने का प्रोत्साहन दिया जाएगा। शीर्ष भारतीय संस्थानों को वैश्विक बनाने का प्रायस होगा।

2040 तक सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को मल्टीडिसिप्लीनरी बनाया जाएगा। पाली, प्राकृत, पर्सियन के लिए यूनिवर्सिटी कैंपसों में ही राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए जाएंगे।

मास्टर डिग्री कोर्स के बाद पीएचडी से पहले एमफिल कोर्स नहीं होगा।

Source – Nav Bharat

   
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