अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए महिलाएं अभी तक गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लेती थीं. गर्भनिरोधक गोलियां लेने से महिलाओं की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. दरअसल, इनसे महिलाओं में हार्मोंस का संतुलन बिगड़ जाता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने गर्भनिरोधक गोलियों का एक अनोखा और दिलचस्प विकल्प ढूंढ लिया है. जी हां, अब महिलाएं कॉन्ट्रासेप्टिव गोलियां खाएं बिना ही बर्थ कंट्रोल कर सकेंगी. आइए जानते हैं कैसे…

वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने अनोखी तरह की कॉन्ट्रासेप्टिव ज्वैलरी विकसित की है, जिसकी मदद से अब महिलाएं ईयररिंग, रिंग और नेकलेस पहनकर बर्थ कंट्रोल कर सकेंगी.

बता दें, वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की गई इन कॉन्ट्रासेप्टिव ज्वैलरी में कॉन्ट्रासेप्टिव हार्मोन के पैच लगे हुए हैं. इन ज्वैलरी को पहनने पर इसमें लगे कॉन्ट्रासेप्टिव हार्मोन स्किन द्वारा शरीर में एब्जोर्ब हो जाते हैं. यह रिपोर्ट कंट्रोल्ड रिलीज के जर्नल में प्रकाशित की गई है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि ज्वैलरी की शुरुआती जांच में सामने आया है कि कॉन्ट्रासेप्टिव ज्वैलरी महिलाओं के शरीर में पर्याप्त मात्रा में कॉन्ट्रासेप्शन हार्मोन रिलीज करती हैं, जो बर्थ कंट्रोल में कारगर साबित हो सकती है. हालांकि, इंसानों पर अभी तक इन ज्वैलरी की जांच करनी बाकी है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, ज्वैलरी की फॉर्म में कॉन्ट्रासेप्टिव बनाने का उद्देश्य रोजाना गर्भनिरोधक गोलियां लेने की जरूरत से महिलाओं को राहत देना है.

वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि कॉन्ट्रासेप्टिव के अलावा ज्वैलरी के माध्यम से स्किन द्वारा कई दूसरी बीमारियों का इलाज भी किया जा सकता है.

अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मार्क प्रुस्निट्ज ने कहा, ‘आजकल गर्भनिरोधक के जितने विकल्प उपलब्ध हैं, उतनी ही महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने की संभावना बढ़ रही है. वहीं, ज्वैलरी पहनना पहले से ही हर महिला की दिनचर्या का हिस्सा है. इसलिए इस तकनीक की मदद से दवाइयों से राहत पाई जा सकती है.’

मार्क प्रुस्निट्ज ने आगे बताया, गर्भनिरोधक ज्वैलरी में ट्रांसडर्मल पैच टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो पहले से ही स्मोकिंग की लत को छुड़ाने, मेनोपॉज को रोकने और कई दूसरी बीमारियों की दवाइयों का संचालन करने के लिए उपयोग किया जाता है. लेकिन अभी तक इससे पहले इस तकनीक को कभी भी ज्वैलरी की फॉर्म में तब्दील नहीं किया गया है.

वैज्ञानिक गर्भनिरोधक ज्वैलरी को जानवरों पर टेस्ट कर चुके हैं. टेस्ट के दौरान हार्मोनल पैच को ईयररिंग के पीछे की तरफ लगाया गया था. इसके साथ ही लेवोनोर्जेस्ट्रल हार्मोन के पैच बिना बालों वाले चूहों की स्किन पर भी लगाए गए.

जांच के नतीजों में सामने आया कि ईयररिंग उतारने के बाद भी ब्लडस्ट्रीम में पैच पर्याप्त मात्रा में हार्मोन प्रोट्यूस कर रहे थे.

वैज्ञानिकों ने बताया कि यह हार्मोनल पैच तीन परतों की मदद से बनाया गया है. पहली परत में चिपकने वाला पदार्थ लगा है, जो ईयररिंग या दूसरी ज्वैलरी पर चिपक जाता है.

पैच की मध्य परत में सॉलिड फॉर्म में कॉन्ट्रासेप्टिव ड्रग मौजूद है. जबकि, तीसरी और आखिरी परत में चिपकने वाला पदार्थ है, जो स्किन पर चिपककर स्किन में हार्मोन रिलीज करता है.

पैच में मौजूद कॉन्ट्रासेप्टिव ड्रग स्किन के जरिए ब्लड स्ट्रीम में पहुंचता है और इसके बाद पूरे शरीर में पहुंच जाता है.

हालांकि, अभी इन ज्वैलरी को इंसानों पर जांच करना बाकी है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि ईयररिंग और घड़ी की फॉर्म में कॉन्ट्रासेप्टिव हार्मोनल पैच अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने में सबसे ज्यादा असरदार साबित हो सकते हैं, क्योंकि इस तरह पैच का इस्तेमाल करने से यह स्किन के सबसे ज्यादा करीब रह पाते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा ड्रग स्किन में पहुंचता है.

Source – Aaj Tak

Share

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *