बचपन में जब पहली बार पीरियड शुरू हुए थे, काफी दर्द होता था. घर पर मौसी ने बताया था कि इतना दर्द तो होता ही है पीरियड्स में . ज्यादा शिकायत करने पर झाड़ पड़ जाती थी. पीरियड का दर्द नहीं झेल सकती, बच्चे कैसे पैदा करोगी, नानी कहतीं. मम्मी भी बताती थीं कि उनको पीरियड के दौरान इतना दर्द होता था कि उल्टियां तक हो जाती थीं. मुझे लगा नॉर्मल होगा ये. एकाध साल में मेरा दर्द कम हो गया. शायद वो शुरुआत का दर्द था जो हर किसी को पीरियड पहले पहल शुरू होने पर झेलना ही पड़ता है. लेकिन मैं लकी थी. मेरी कई दूसरी सहेलियां नहीं.
शीतल को हर महीने पीरियड के दौरान इतना दर्द होता था कि वो बेहोश सी हो जाती थी. पेनकिलर ले ले कर वो खुद को कॉन्शस रखती थी. महीने के वो तीन चार दिन बहुत बुरे होते थे उसके लिए. सबसे बड़ी बात तो ये थी कि उसे सिर्फ दर्द होता था. बाकी सारी चीज़ें ठीक थीं. मूड भी बाकी समय ठीक रहता था. खाना पीना ठीक था. बस कभी कभी खून बहुत ज्यादा आ जाता था, लेकिन वो दर्द के मारे उसका कुछ कर नहीं पाती थी तो उसके कपड़े और बेड शीट ख़राब हो जाते थे अक्सर. पीरियड खत्म होने के बाद खुद ही वो उन्हें धोती भी थी. जब उसका दर्द इतना बढ़ गया कि बर्दाश्त के बाहर हो गया, एक दिन रोते रोते उसने अपनी मम्मी से डॉक्टर के पास ले जाने की बात कही. पहले तो मम्मी ने यही कहा कि दर्द तो सबको होता है. लेकिन जब रोते रोते शीतल की हिचकियां आनी शुरू हो गईं और वो लगभग बेहोश होने वाली थी, तब उसकी चाची ने उसकी मम्मी से बात की, और डॉक्टर के पास ले गईं. डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड किया, और भी दो तीन टेस्ट लिखे. रिजल्ट आया तो पता चला शीतल को एंडोमीट्रियोसिस था.
आप पढ़ रहे हैं हमारी स्पेशल सीरीज़- स्त्री रोग. जिसमें हम बात करने वाले हैं उन सभी शारीरिक और मानसिक तकलीफों के बारे में जिनसे जूझते हुए औरतें कई बार अपनी पूरी ज़िन्दगी बिता देती हैं लेकिन किसी से खुल कर बात करने में झिझकती हैं. इस सीरीज़ के लिए हमने ख़ास तौर पर छोटे शहरों में गायनकॉलजी की प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों से बात की है, उनकी राय पूछी है, और यह भी जानने की कोशिश की है कि आखिर क्या परेशानियां आती हैं औरतों को अपनी समस्याएं खुल कर बताने में. आज के इस एपिसोड में हम बात करेंगे एंडोमीट्रियोसिस के बारे में.
क्या है एंडोमीट्रियोसिस?
आपके यूटरस में अंदर की तरफ एक परत होती है. इस परत के जो सेल होते हैं उनकी खासियत होती है कि वो बढ़ते हैं, और पीरियड से पहले यूटरस को बच्चे के लिए तैयार करते हैं. इनको डॉक्टरों कि भाषा में ‘पेरिटोनियल सेल’ कहा जाता है. अगर बच्चा नहीं ठहरता, तो वो परत टूट जाती है. और बहकर पीरियड के खून के साथ निकल जाती है. एंडोमीट्रियोसिस में वही सेल आपके यूटरस से के अलावा दूसरी जगहों पर भी बढ़ने लगते हैं और टूटने लगते हैं. इससे वहां पर काफी दर्द होता है.
क्या हैं लक्षण?
एंडोमीट्रियोसिस के लक्षण ऐसे नहीं हैं जिनको देखकर बस चुटकी में बताया जा सके कि ये एंडोमीट्रियोसिस का केस है. फिर भी कुछ लक्षण हैं जिनको ध्यान में रखा जाए तो पक्का हो सकता है. आखिरी कन्फर्मेशन तो जांच से ही मिलेगा. लक्षण कुछ ये हैं:
पीरियड्स के दौरान काफी तेज़ दर्द
सेक्स के समय काफी दर्द होना
काफी ज्यादा खून आना या पीरियड्स की साइकल के बीच में खून आना
पीरियड के दौरान पेशाब करने जाने में दिक्कत होना
टॉयलेट जाने में परेशानी, ठीक से पॉटी ना होना
पीरियड्स के दौरान दस्त लगना, कब्ज़ होना, बहुत थकान होना.
कई बार जो औरतें प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही होती हैं, उनकी जांच में पता चलता है कि एंडोमीट्रियोसिस के कारण उनको प्रेग्नेंट होने में दिक्कत आ रही है.
कैसे होता है एंडोमीट्रियोसिस?
एंडोमीट्रियोसिस के होने का कोई एक ख़ास कारण नहीं है. अभी तक डॉक्टरों ने यही पता लगाया है कि कुछ फैक्टर होते हैं जिनकी वजह से आपके शरीर में एंडोमीट्रियोसिस हो सकता है. वो फैक्टर हैं:
हार्मोनल दिक्कतें: इस्ट्रोजन नाम का हॉर्मोन जो औरतों के शरीर में ज्यादा पाया जात अह ई, कई बार उसकी वजह से नए बन रहे सेल उन सेल्स में बदल जाते हैं जो पेरिटोनियल सेल की तरह होते हैं.
इम्यून सिस्टम की कमी: इम्यून सिस्टम यानी शरीर का सुरक्षा सिस्टम. ये किसी भी अजीब या एब्नॉर्मल सेल ग्रोथ को रोक देता है. उन सेल्स को खत्म कर देता है. लेकिन उसमें अगर कोई गड़बड़ी आ जाए तो वो पहचान नहीं पाता कि यूटरस के सेल कहीं और भी बढ़ रहे हैं. इस वजह से वो उनको खत्म नहीं कर पाता.
कई बार जब बच्चा पैदा करने का ऑपरेशन होता है तो कट लगाने के समय ये यूटरस के अन्दर के सेल उसके आस पास लग जाते हैं और वहां बढ़ना शुरू हो जाते हैं.
कई बार यूटरस के अन्दर जो मेनस्ट्रुअल खून होता है, वो नीचे वजाइना से बाहर आने के बजाए फैलोपियन ट्यूब्स से होता हुआ शरीर की पेल्विक कैविटी में चला जाता है. पेल्विक कैविटी मतलब आपके यूटरस के ऊपर का हिस्सा, वहां पर ये सेल अटैच होकर बढ़ने लग जाते हैं.
क्या है इलाज ?
कई ऑप्शंस हैं एंडोमीट्रियोसिस को कंट्रोल में लाने के, लेकिन वो इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी ये प्रॉब्लम किस स्टेज में है, किन कारणों से है. आपका बच्चा पैदा करने का क्या प्लान है. क्योंकि कई बार एंडोमीट्रियोसिस की वजह से प्रेग्नेंट होने में दिक्कत आ सकती है. इसलिए कुछ ऑप्शंस जो आपके लिए बेस्ट होंगे, वो आपकी डॉक्टर आपको बता सकती हैं. कुछ जो आम तौर पर इस्तेमाल होते हैं वो हैं:
हार्मोनल दवाइयां. ये आपके हॉर्मोन्स को कंट्रोल करती हैं. इसमें बर्थ कंट्रोल पिल्स भी आती हैं.
PCOD यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़ की तरह ये प्रॉब्लम लाइफस्टाइल से सम्बंधित नहीं है. लेकिन फिर भी रहन साहन और खाने पीने में थोड़ा सुधार करने से आपके शरीर को आराम मिलेगा.
अगर डॉक्टर कहते हैं कि एंडोमीट्रियोसिस की वजह से कैंसर होने का खतरा है, तो आपका यूटरस निकलवाया भी जा सकता है.
अगर सेल्स की बढ़त उतनी ज्यादा नहीं है, तो छोटी सी सर्जरी करके उस हिस्से को निकाला जा सकता है जहां बढ़त है.
अगर किसी भी तरह से हेवी फ्लो नहीं रुकता तो सर्जरी करके यूटरस के भीतर की परत निकाल दी जाती है.
एंडोमीट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है जो लड़कियों को होती भी है तो बिना जांच के पता नहीं चल पाती. इसलिए अगर आपको लगता है कि आपको इसके सिम्पटम दिख रहे हैं, तो फ़ौरन जांच करवाना ही बेस्ट ऑप्शन है.
Source – Odd Nari