डिप्रेशन के लक्षण : अवसाद के छिपे हुए ये 7 लक्षण मदद के लिए एक पुकार हैं…

मज़बूत से मज़बूत शख्स अवसाद का शिकार बन सकता है और यदि इसका उपचार न किया जाए, तो इसके दुष्प्रभाव रह ही जाते हैं। आप संभवतः डिप्रेशन के कुछ लक्षणों से परिचित ही होंगे, जैसे :

दिन में अधिकतर उदास रहना
मित्रों और परिवार को अनदेखा करना
उचित रूप से नींद या भोजन लेने में कठिनाई होना
वज़न कम होना
रोज़मर्रा के कामों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाना या उनमें रूचि न होना
हतोत्साहित होना
सामान्यतः खुशनुमा लगने वाली चीज़ों से खुश न होना
आत्मविश्वास की कमी होना
निराशा महसूस करना
आत्महत्या के विचार आना
किन्तु डिप्रेशन के कुछ लक्षण छिपे हुए भी होते हैं – ऐसे लक्षण और संकेत जिन्हें सामान्य तौर पर अवसाद से नहीं जोड़ा जाता है, जिसके कारण सही बीमारी जानने और उसका सही उपचार प्राप्त करने में बेहद मुश्किल हो सकती है।

निम्नलिखित सूची इन्हीं डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में है जिससे डिप्रेशन का पता लगाया जा सकता है, ख़ास तौर पर यदि उसका लम्बे समय से उपचार ही न हुआ हो:

चिड़चिड़ापन, कड़वाहट, क्रोध
पुरुषों का क्रोध अक्सर छिपे हुए डिप्रेशन का लक्षण होता है, मुख्यतः इसीलिए क्योंकि उनके लिए उदासी को खुलकर अभिव्यक्त करना बहुत मुश्किल होता है और इसीलिए भी कि क्रोध को सामाजिक रूप से अधिक स्वीकार्यता प्राप्त है। हालाँकि, वर्तमान समय में महिलाओं के लिए भी इस तरह से क्रोधित होना अब कोई असामान्य बात नहीं है, ख़ास तौर पर यदि वे खुद शाब्दिक हिंसा का शिकार हुई हों। लेकिन अवसाद के कुछ छिपे हुए लक्षण ऐसे हैं जिनपर अक्सर ध्यान नहीं जा पाता।

चिड़चिड़ापन या कड़वाहट उन व्यक्तियों के स्वभाव में आ जाती है जिन्होंने लम्बे समय तक अवसाद झेला हो। वे लोगों से बुरे बर्ताव की उम्मीद करते हैं, उन्हें लगता है कि उन्हें हमेशा ग़लत समझा जाता है और वे अपने प्रति किए जा रहे किसी भी तरह के सकारात्मक या अच्छे बर्ताव का स्वागत नहीं कर पाते हैं।

दर्द होना
हालाँकि, यह लक्षण पुरुषों में भी देखा गया है, लेकिन अवसाद के छिपे हुए लक्षणों में से यह लक्षण सबसे अधिक महिलाओं में देखा जाता है जिन्हें अक्सर कारण – अकारण दर्द का अनुभव होता रहता है।

ऐसे बहुत सारे लोग होते हैं जो संभवतः शब्दों में अपनी तकलीफ़ को बता पाने में असमर्थ होते हैं, तब अवसाद दर्द के रूप में अभिव्यक्त होता है जो बिना किसी चोट के उठने लगता है और आम उपचारों से ठीक नहीं होता। ऐसे दर्द मुख्य रूप से सिर, गर्दन, या पीठ में महसूस होते हैं। किन्तु पेट दर्द, जोड़ों में दर्द या शरीर के अन्य भागों में भी दर्द का अनुभव हो सकता है।

नींद का बढ़ जाना
अवसाद में जहाँ नींद अक्सर घट जाती है, वहीं ज़्यादा सोने की आदत भी बन सकती है ताकि सामाजिक रूप से सक्रिय होने या एक मुश्किल ज़िंदगी की रोज़मर्रा की चुनौतियों का सामना करने से बचा जा सके।

लगातार खाना
सामान्यतः यह माना जाता है कि अवसाद से ग्रसित व्यक्ति को कम भूख लगती है या खाना खाने का मन नहीं करता, पर यही कारण है कि ज्यादा भूख लगना और लगातार खाना अवसाद के छिपे हुए लक्षणों में से एक है। सुकून के लिए लगातार खाना या आवश्यकता से अधिक मात्रा में खाना, ख़ास तौर पर अकेले होने पर, अवसाद का लक्षण हो सकता है।

सोशल मीडिया पर निर्भर होना
उस शख्स के बारे में सोचिए जो लगभग अपना सारा समय सोशल मीडिया पर बिताते हुए लगातार कुछ न कुछ पोस्ट करता रहता है, आपको नहीं लगेगा कि वह अवसाद का शिकार हो सकता है, है न ?

पर आप ग़लत भी हो सकते हैं। यह डिप्रेशन का एक छिपा हुआ लक्षण हो सकता है जिसे पहचानने में कभी – कभी बहुत मुश्किल हो सकती है।

हम जानते हैं कि शराब या गैरकानूनी ड्रग्स पर निर्भर होने का कारण अक्सर अवसाद हो सकता है। लेकिन सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल करना, ताकि अन्य चीज़ों को नज़रअंदाज़ किया जा सके, इसके पीछे भी कहीं न कहीं अवसाद हो सकता है।

सोशल मीडिया पर प्राप्त हो जाने वाली त्वरित प्रतिक्रियाएँ अवसाद से जूझ रहे उस व्यक्ति के लिए आकर्षक हो सकती हैं जिसकी असल जीवन में ऐसी आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो पातीं।

लगातार वीडियोज़, टीवी सीरीज़ या फिल्में देखने से भी किसी को अपनी समस्याएँ भूलने में या परोक्ष रूप से ख़ुशी महसूस करने में मदद मिल सकती है।

अवसाद से जूझते युवाओं में गेमिंग की लत भी एक उभरती हुई समस्या है।

कार्यों के प्रति अत्यधिक ध्यान देना
जो एक स्वस्थ तरीका प्रतीत होता है, वही अवसाद के छिपे हुए लक्षणों में से एक भी हो सकता है।

अवसाद से ग्रसित लोग ख़ुद के बारे में अच्छा महसूस करने के लिए और अपनी असुरक्षाओं को छिपाने के लिए कार्यों को पूरा करने का अत्यधिक भार उठा सकते हैं। समय के साथ उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा काम करने की इच्छा होने लगती है लेकिन वे अपने कामों से संतुष्ट नहीं हो पाते। इसके कारण वे चीज़ें खरीदने पर भी ध्यान केन्द्रित करने लग सकते हैं ताकि चीज़ों से उन्हें ख़ुशी महसूस हो।

डिप्रेशन के लक्षण नज़रअंदाज़ करना
कुछ लोग वाकई खतरे में हो सकते हैं क्योंकि उनके अवसाद के छिपे हुए लक्षणों को कोई पहचान या समझ नहीं पाया और हम समस्या की गहराई को कम आंक सकते हैं।

ये लोग कभी भी अपनी भावनाओं को खुलकर अभिव्यक्त नहीं करते और अक्सर उन बातों को नज़रअंदाज़ करते हैं जो किसी संवेदनशील विषय से जुड़ी हुई हो या फिर उनके अतीत की कोई अनसुलझी समस्या हो।

वे जीवन और मृत्यु से जुड़ी गहरी दार्शनिक बातें कर सकते हैं जो सामान्यीकृत हों और बिल्कुल भी निजी न हों। या फिर वे त्वरित प्रतिक्रियाएँ या समाधान दें जो दूसरों की समस्याओं से जुड़े हुए हों।

वे दूसरों की मदद करने के लिए संभवतः हमेशा तैयार रहें, इस उम्मीद के साथ कि किसी भी तरह शायद इससे उन्हें सुकून हासिल हो सके। शायद वे अपनी भावनाओं को छिपाते हुए हमेशा ख़ुश दिखने की कोशिश करें।

ऐसे बहुत सारे कारण हैं जिनके चलते लोगों में अवसाद के छिपे हुए लक्षण पाए जाते हैं, सबसे बड़ा कारण तो हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर चर्चा करने को लेकर हिचक और पूर्वाग्रहों का होना है।

काउंसलिंग, मनोचिकित्सा, समाज सेवा, वकालत, एनजीओ, आदि कार्यक्षेत्रों से जुड़े लोगों में अवसाद होने का अधिक खतरा रहता है क्योंकि उन्हें अपने लिए मदद माँगना सबसे मुश्किल काम लगता है और वे अवसाद को अच्छे से छिपाए रखने में भी माहिर होते हैं।

यदि आप या आपका कोई परिचित उपरोक्त लक्षणों में से किसी लक्षण से जूझ रहा है तो कृपया मदद के लिए आगे बढ़ें। उचित सहयोग अवसाद को काबू करने में आपकी मदद कर सकता है और आपको एक खुशहाल ज़िंदगी की ओर ले जा सकता है।

Source -WomenWeb

   
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