कहा जाता है संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे. अंडे यूं भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं. वहीं कुछ लोग देसी अंडे खाना ज्यादा अच्छा समझते हैं. लेकिन उन्हें देसी अंडों की सही पहचान करनी नहीं आती. जिसका फायदा आजकल रेहड़ी-पटरी वाले और टोकरी में देसी अंडे बेचने वाले उठा रहे हैं. विश्वासनीय दुकानों पर एक बार आप असली देसी अंडा मिल सकता है, लेकिन टोकरी में देसी अंडे बेचने वाले इसमें खेल करते हैं.

टिप्‍स

बॉयलर को ही बना देते हैं देसी अंडे
दरअसल, मिलावटीखोरी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग हर किसी चीज में मिलावट कर बेचने लगे हैं. कुछ ऐसा अंडों के साथ किया जा रहा है. बॉयलर अंडों को ही कुछ केमिकल और पानी में चायपत्ती मिलाकर बॉयलर अंडों को रंगकर देसी बना दिया जाता है.

ऐसे कर से सकते हैं असली और नकली में फर्क
देसी अंडों की पहचान के लिए यूं तो कोई मशीन नहीं है, लेकिन कुछ तरीके हैं जिनसे आप देसी अंडों की सही पहचान कर सकते हैं.

देसी अंडे भूरे रंग के होते हैं. इनका रंग हल्का भूरा न होकर गाढ़ा भूरा होता है. जिनसे इन्हें पहचाना जा सकता है.

मिलावट वाले देसी अंडे रंग में हल्के भूरे और साइज में बॉयलर के बराबर आकार के होंगे. यहीं से आप इन्हें पहचान सकते हैं कि ये नकली हैं.

देसी अंडे बॉयलर अंडों से आकार में छोटे होते हैं. इन अंडों की स्किन हल्की खुरदुरी होगी.

देसी अंडे की बाहरी परत दूसरे अंडे की तुलना में मजबूत होती है. जबकि अगर बॉयलर अंडों में कलर किया गया हो तो भी वे कमजोर होंगे. आप इन्हें दबाकर भी चेक कर सकते हैं.

बाजार में मिलने वाले या फिर टोकरी वालों से खरीदे गए देसी अंडों को सूंघकर इन गंध से भी पहचाना जा सकता है. अगर इन अंडों में चायपत्ती की खुशबू आए तो समझ जाइए ये मिलावटी व नकली अंडे हैं.

अगर आप देसी अंडे की पहचान करना चाहते हैं तो इन पर नींबू का रस डालें. चायपत्ती का रंग आसानी से निकल जाएगा.

आप चाहें तो टूथपेस्ट या वाइट विनेगर देसी अंडों पर लगाकर पोछें. अगर नकली होंगे तो इनमें लगा चायपत्ती या केमिकल का रंग आसानी से निकल जाएगा.

देसी अंडे का स्वाज सफेद अंडे के स्वाद से बिलकुल अलग होता है. देसी अंडे का स्वाद थोड़ा खारा या नमकीन होता है. जबकि सफेद अंडे का स्वाद फीका होता है. नियमित अंडे खाने वाले इस फर्क को आसानी से पहचान सकते हैं.

Source – Pakwan gali

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