डिमेंशिया के खतरे का पूर्वानुमान लगाना संभव हो सकेगा। शोधकर्ताओं ने एक ऐसे जीन की पहचान की है, जिससे इस रोग का 10 साल पहले ही अनुमान लगाया जा सकता है। डिमेंशिया मानसिक बीमारी है। इसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है। डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, एपोलिपोप्रोटीन ई (एपीओई) जीन से डिमेंशिया के खतरे का अनुमान लगाया जा सकता है।
फिलहाल इस रोग के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है। डिमेंशिया के कारकों में कमी लाने से इस रोग को टाला जा सकता है। एपीओई जीन में उम्र, लिंग और सामान्य भिन्नता से सर्वाधिक खतरे वाले व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि एक तिहाई डिमेंशिया मामलों की रोकथाम हो सकती है। उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा, अवसाद और सुनने की समस्या का प्रारंभिक अवस्था में ही इलाज करने से इस खतरे से बचाव हो सकता है।
क्या है डिमेंशिया
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत कमजोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है। साल दर साल डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है, और बाद की अवस्था में उन्हें साधारण से साधारण काम में भी परेशानी होने लगती है। जैसे कि चल पाना, बात करना या खाना ठीक से चबाना और निगलना। उपचार से मरीज को लाभ हो सकता है, लेकिन उसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता।
डिमेंशिया बीमारी दिमाग के कुछ खास सेल्स नष्ट होने से होती है। इन सेल्स के नष्ट होने से दिमाग के भीतर के अन्य सेल्स आपस में संचार नहीं कर पाते, जिससे सोचने की शक्ति कम होती है, व्यवहार और अनुभूतियों में दिक्कत आती है।
डिमेंशिया की स्टेज है भूलना। ऐसे लोग अक्सर काम करने के बीच में ही भूल जाते हैं कि वे क्या कर रहे थे। चीजों को रखकर भूल जाते हैं, लोगों के नाम भूल जाते हैं, समय-तारीख और कहां जा रहे हैं, ये तक भूलने लगते हैं।
डिमेंशिया की स्टेज में लक्षण थोड़े गंभीर होने लगते हैं। पीड़ित व्यक्ति रोज के रास्तों में ही खो जाते हैं, बोलने में दिक्कत आनी आरंभ होती है। पहले जो काम करने में मजा आता था, उसका अब उतना अधिक आनन्द नहीं ले पाते। इनका व्यवहार भी बदलने लगता है।
डिमेंशिया की स्टेज में ऐसी स्थिति भी आ जाती है, जब इससे पीड़ित व्यक्ति रोज के काम नहीं कर पाता। वह अपने परिवार के लोगों को नहीं पहचान पाता, कोई बात उसकी समझ में नहीं आती। उसे किसी की सहायता की जरूरत पड़ती है।
डिमेंशिया के खतरे से बचाते हैं ये आहार
अपने भोजन में गेंहूं का खासतौर पर समावेश करें। यह न सिर्फ कोशिकाओं के निर्माण में सहायक है, बल्कि सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है। इसके आलावा बादाम, काजू और अखरोट एंटीऑक्सीडेंट और जरूरी फैटी एसिड से भरपूर होते है।
मछली प्रोटीन और कैल्सियम से भरपूर होती है, जिससे मस्तिष्क का विकास होता है। खासकर सैमन और ट्यूना मछली खाना ज्यादा फायदेमंद रहता है। बिना चर्बी वाला बीफ आइरन, विटामिन बी12 और जिंक का अच्छा स्रोत होता है। यह याददास्त बढ़ाने के साथ-साथ मस्तिष्क का भी विकास करता है।
ब्लूबेरी में बड़ी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। साथ ही यह फल शरीर की कोशिकाओं और उम्र के बीच संतुलन भी बनाता है। ये फल हृदय रोग और मानसिक रोग के खतरे को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।
टमाटर लाइकोपेन से भरपूर होता है। ये न सिर्फ शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने से बचाता है, बल्कि अल्जाइमर के खतरे को भी कम करता है। ब्रोकली में विटामिन के सहित ढेरों पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाने में मददगार होते हैं। अंडे में विटामिन बी12 और कोलाइन प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं का निर्माण करता है, जिससे याददास्त बढ़ती है।
Source – Jagran