अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से चार साल पहले दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित उनके घर पर एक शख्स ने आखिरी सांस ली, लेकिन उस वक्त मीडिया का जमघट नहीं था और यह तारीख थी 3 मई 2014. हालांकि उस दौरान घर पर कई प्रमुख दिग्गज हस्तियां पहुंचीं, जिनमें कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल थीं.
तब 2014 लोकसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त होने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वाजपेयी की करीबी मिसेज कॉल को श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंच सके थे. लंबे समय तक वाजपेयी के साथ रहीं मिसेज कौल के अंतिम संस्कार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, अमित शाह के साथ-साथ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हुए थे.
बता दें कि साल 2014 में राजकुमारी कौल का दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया था. उनकी मौत से एक ऐसी दोस्ती का अंत हुआ, जो भारतीय राजनीति में पहले शायद ही कभी देखी गई हो. राजकुमारी कौल कई दशकों तक अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रहीं. वाजपेयी ने उनकी बेटी नमिता भट्टाचार्य को भी गोद लिया. वो कई साल तक साथ ही रहीं. वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने तक.
कौन थीं मिसेज कौल?
पिछले हफ्ते 16 अगस्त को शाम पांच बजकर पांच बजे जब वाजपेयी का देहांत हुआ तो राजकुमारी कौल की कहानी भी चर्चा का विषय बन गई. इस दौरान सवाल हुए कि मिसेज कौल थीं कौन? जो अपने पति के सरनेम की वजह से जानी जाती थीं. फिर वो यानी मिसेज कौल वाजपेयी की साथी कैसे?
40 के दशक में अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी हकसर, ग्वालियर में विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) में पढ़ रहे थे. दोनों ने एक-दूसरे की भावनाएं समझीं. विभाजन के उस दौर में किसी लड़के और लड़की के बीच की दोस्ती को सराहा नहीं जाता था. वाजपेयी और मिसेज कौल भी इस स्थिति से गुजर रहे थे.
वाजपेयी ने अपनी भावनाओं का इजहार एक पत्र के माध्यम से किया, जिसे उन्होंने राजकुमारी के लिए लाइब्रेरी की एक किताब में रख दिया था. राजकुमारी ने भी ऐसे ही जवाब दिया, हालांकि उनका जवाब वाजपेयी तक पहुंचा ही नहीं.
भारत विभाजन के दौरान राजकुमारी के कश्मीरी पंडित पिता गोविंद नारायण हकसर ने उनकी शादी कश्मीरी पंडित बृज नारायण कौल से कर दी. दरअसल, हकसर अपनी बेटी की शादी एक शख्स नहीं करना चाहते थे, जो बाद में भारतीय राजनीति को बदलने वाला साबित हुआ.
वाजपेयी और राजकुमारी हकसर, दोनीं अपनी जिंदगी में रम गए. बाद में मिसेज कौल पति के साथ दिल्ली चली गईं और वाजपेयी कानपुर से होते हुए लखनऊ पहुंच गए. मिसेज कौल के पति बीएन कौल, रामजस कॉलेज में प्रोफेसर थे और बाद में रामजस हॉस्टल में वार्डन भी बने.
कुछ सालों बाद अविवाहित वाजपेयी पूरी तरह से राजनेता बन गए. एक लंबे वक्त के बाद दिल्ली में वाजपेयी का मिसेज कौल से मिलना हुआ. उस वक्त राजकुमारी कौल, बीएन कौल की पत्नी थीं. बीएन कौल उस वक्त हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के प्लान में रोड़ा बन जाते थे, जब वो शराब पीने के लिए देर से हॉस्टल आने की योजना बनाते थे. इस वक्त किसी ने मिसेज कौल को शिकायत करने का प्लान बनाया. जब हॉस्टल में रहने वाले छात्रों का ग्रुप कौल के घर शिकायत करने पहुंचा तो कहा जाता है कि उस वक्त उनका सामना वाजपेयी से भी हुआ.
अगले कई सालों तक वाजपेयी, कौल के घर नियमित आने-जाने वालों में शामिल थे. बाद में वाजपेयी कौल हाउस में शिफ्ट हो गए जबकि उस वक्त तक प्रोफेसर कौल रामजस कॉलेज के वार्डन थे. लेकिन 1978 में अटल बिहारी वाजपेयी जब मोरारजी सरकार में विदेश मंत्री बने तो वे मिसेज कौल और उनकी बेटियों के साथ सरकारी आवास में शिफ्ट हो गए. उन्होंने कौल की बेटी नमिता और बाद में उनकी दोहिती निहारिका को गोद ले लिया
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी हिंदुस्तान टाइम्स को एक इंटरव्यू में बताया था, ‘हम वाजपेयी के पड़ोस में रहते थे. घरों की दीवार से लगा एक दरवाजा था, जिससे कि दोनों परिवार के लोग आसानी से आ-जा सके. वो मछली के शौकीन थे. नमिता अक्सर हमारे घर आती थी. मेरी पत्नी और मिसेज कौल की अच्छी बॉन्डिंग थी. जब नमिता की शादी तय हुई तो मेरी पत्नी ने तैयारी की थी, क्योंकि दूल्हा बंगाली था. बता दें कि नमिता की शादी रंजन भट्टाचार्य से हुई थी.
वाजपेयी की मिसेज कौल के साथ दोस्ती की चर्चा मीडिया में नहीं हुई. यह मीडिया और वाजपेयी के बीच एक अघोषित समझौता था, जिस पर न कभी मीडिया ने रुचि दिखाई और न ही वाजपेयी ने इस पर सफाई देने की जरूरत समझी. मिसेज कौल ने एक बार एक मैगजीन को इंटरव्यू दिया था.
इस इंटरव्यू उन्होंने कहा था, अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी दोस्ती को लेकर किसी को समझाने की जरूरत नहीं है. मिसेज कौल ने कहा, पति के साथ भी उनका रिश्ता काफी मजबूत है. बहरहाल, बहुत साल बाद जब मिसेज कौल का देहांत हुआ तो वाजपेयी बहुत बीमार थे और बिस्तर पर थे. वो उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे. लेकिन वाजपेयी के निधन के बाद नमिता ने ही उन्हें मुखाग्नि दी थी.
Source – AT
   
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