जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़नी हैं तो पहले एक सपना देखना होगा. सपना कुछ बनने का है. आज की कहानी एक ऐसी लड़की है जिसने बचपन में ही सपना देख लिया था कि जब बड़ी होगी तो पुलिस में जाकर देश की सेवा करेगी. सपना पूरा हो गया है. यही लड़की आगे जाकर IPS ऑफिसर बन गई . अब शालिनी को सर्वेश्रेष्ठ आईपीएस ट्रेनी चुना गया है
29 साल की इस लड़की का नाम शालिनी अग्निहोत्री है. शालिनी ने IPS की सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब अपने नाम कर लिया है. सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंड ट्रेनी ऑफिसर होने के नाते प्रधानमंत्री के प्रतिष्ठित बेटन और गृह मंत्री की रिवॉल्वर भी उन्हें ही दी गई.
शालिनी के पिता रमेश एचआरटीसी बस में कंडक्टर हैं. उनकी मां हाउस वाइफ है. बता दें, शालिनी हिमाचल के ऊना के ठठ्ठल गांव की रहने वाली हैं.
उनके माता- पिता ने बताया शालिनी हमेशा से ही मेहनती छात्र में गिनी जाती थी और स्कूल में उनका प्रदर्शन काफी रहता था.
शालिनी का जन्म 14 जनवरी 1989 में हुआ. बचपन से ही उन्हें उनके माता-पिता का पूरा सपोर्ट मिला.
शालिनी ने धर्मशाला के DAV स्कूल की पढ़ाई पूरी की है फिर हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. शालिनी ने बताया मेरे माता-पिता मेरी ताकत है जिन्होंने मुझे पूरी आजादी दी और ऐसी शिक्षा दी जिसकी मदद से मैं अपने सपने पूरे कर पाई हूं
ऐसे शुरू की UPSC की तैयारी: शालिनी ने बताया जब मैंने UPSC की तैयारी करने के बारे में सोचा तो इसका जिक्र किसी से नहीं किया था. यहां तक कि मेरी फैमिली को भी इस बारे में नहीं पता था. क्योंकि मैं जानती थी ये देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक है. और काफी लोग इस सालों की मेहनत के बाद भी क्लियर नहीं कर पाते.
बता दें, शालिनी ने मई 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी. मार्च 2012 में इंटरव्यू दिया और मई 2012 में रिजल्ट आ गया, जिसमें ऑल इंडिया लेवल पर उन्होंने 285वीं रैंक हासिल की.
दिसंबर 2012 में हैदराबाद में ट्रेनिंग ज्वॉइन की. उनका 148 का बैच था, जिसमें वह टॉपर रही. अभी शालिनी कुल्लू जिले में सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस सेवा दे रही हैं. बता दें, उन्हें सबसे पहले शिमला में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात किया गया था.
उन्होंने आठ साल की अंधे लड़की की हत्या और रेप, इसी के साथ शिमला में एक और हत्या का मामले के केस में काम किया है. शालिनी अपने गांव की पहली आईपीएस ऑफिसर हैं.
जिसमें दोषियों को सजा भी सुनाई गई. उनका कहना है कि जब आरोपियों को सजा मिलती है तो खाकी वर्दी पहनने और लोगों की सेवा करने में उनका इरादा और मजबूत होता है.
एक छोटे से गांव से निकलकर IPS बनी शालिनी का कहना है किए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कहां से आए हैं फर्क इस बात से पड़ता है आप कैसे सपने लेकर जीवन जी रहे हैं..
Source – AT
Share

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *