क्या आप ‘कॉफ़ी विद करन’ देखती हैं? अगर नहीं तो कोई बात नहीं. आप ज़िन्दगी में कुछ मिस नहीं कर रहीं. पर हम यहां ‘कॉफ़ी विद करन’ डिस्कस नहीं कर रहे. हम बात कर रहे हैं सारा अली खान की. ये सैफ़ अली खान और अमृता सिंह की बेटी हैं. जल्दी ही बॉलीवुड में क़दम रखने वाली हैं फ़िल्म केदारनाथ से. ये हाल-फ़िलहाल में ‘कॉफ़ी विद करन’ के एक एपिसोड में अपने पापा सैफ़ के साथ आई थीं. इसी दौरान उनकी एक पुरानी विडियो भी दिखाई गई. उसमें उनका वज़न काफ़ी ज़्यादा है. बातों-बातों में ये पता चला कि उनको PCOD है. यानी पोलीसिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़.

ये बहुत आम बीमारी है. कई लड़कियां इससे जूझती रहती हैं. जैसे:

1.रशीदा एक छोटे शहर के को-एड स्कूल में पढ़ती है. नौंवी क्लास में है. उम्र है 15 साल. दो साल पहले उसे पीरियड आने शुरू हुए थे. पिछले तीन महीनों से नहीं आए. घरवालों को शक हुआ कि कहीं वो प्रेग्नेंट तो नहीं है. उसे डॉक्टर के पास बाद में ले जाया गया. पहले स्कूल से नाम कटवा दिया गया.

डॉक्टर ने टेस्ट किये तो पता चला. रशीदा को PCOD था.

2.दीप्ति एक बहुत बड़ी MNC में काम करती हैं. गुरुग्राम में रहती हैं. सुबह नौकरी पर जाती हैं, शाम को बाहर ही खाना खाकर लौट आती हैं. पिछले कुछ महीनों से उनके पीरियड्स में दर्द काफी बढ़ गया था. धीरे-धीरे वज़न भी ज्यादा हो रहा था.

उन्होंने जांच कराई तो पता चला उनको PCOD है.

3.कविता अपने मां-बाप के साथ दिल्ली के एक पॉश इलाके में रहती हैं. इकॉनमिक्स में ग्रेजुएट हैं, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में काम करती हैं. उनके लिए रिश्ते देखे जा रहे हैं. उन्हें एक लड़का पसंद भी आया. बात आगे बढ़ी. उनके पेरेंट्स ने आपस में बातचीत की. कविता ने अगली मुलाकात में लड़के को बताया कि उनको PCOD है. लड़के ने पूछा, ‘फिर तुम बच्चा कैसे करोगी?’. और उसने ये रिश्ता आगे बढ़ाने से मना कर दिया.

आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये PCOD है क्या चीज़. इंटरनेट पर देखा होगा आपने. या शायद नहीं. कोई नहीं. हम बताते हैं क्या बला है ये. पॉली मतलब बहुत सारे. सिस्ट यानी गांठें. यही होता है PCOD यानी पोलीसिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़.

1. देखिये औरतों की जो बच्चेदानी होती है, उसमें दो तरफ ओवरीज़ यानी अंडाशय होते हैं. इनसे हर महीने एक अंडा निकलता है जो बच्चेदानी में जाता है और इंतज़ार करता है कि कोई स्पर्म आ कर उससे मिलेगा और बच्चा बनने की शुरुआत होगी. इसके लिए यूटरस खुद को तैयार करता है, क्योंकि अगर बच्चा आया तो उसको खाने-पीने को तो चाहिए होगा. इसके लिए यूटरस के अंदर की परत मोटी होनी शुरू हो जाती है.

2. अगर आपके पेट में बच्चा रह जाता है तो वो इसी मोटी परत से जुड़ेगा और अपने लिए आहार लेगा. अगर ऐसा होता है तो ठीक, वरना महीने के अंत में पूरी तैयारी बेकार हो जाती है. गुस्से में यूटरस बदला लेता है और सारा कुछ वजाइना के रास्ते बाहर निकाल दिया जाता है, और तभी होता है मासिक धर्म.

3. खैर, मुद्दे पर आते हैं. तो जब हर महीने समय पर अगर अंडा निकला तो ठीक है. सब कुछ सही से चलेगा. लेकिन अगर नहीं निकला, तो उसकी जगह पर छोटी-छोटी गांठें बनना शुरू हो जाती हैं, जहां से उनको निकलना था. इनको सिस्ट कहा जाता है. सिर्फ यही कारण नहीं है PCOD का. जब औरतों के शरीर में मर्दों का हॉर्मोन ‘टेस्टस्टरॉन’ बढ़ जाता है, तब भी ये दिक्कत होती है. इससे ओवरी से अंडे निकलने बंद हो जाते हैं. इस स्थिति या कंडीशन को ‘एनोवुलेशन’ यानी ओवुलेशन (अंडा निकलने की प्रक्रिया) ना होना कहते हैं.

क्या हैं लक्षण?

इसके लक्षण वैसे तो आसानी से पता चल जाते हैं , लेकिन इसका पक्का पता अल्ट्रासाउंड करके ही लगता है.

वैसे कुछ ख़ास लक्षण होते हैं जैसे:

  • पेट के निचले हिस्से में दाएं या बाएं साइड में दर्द होना.
  • पीरियड्स का देर से होना या ना होना.
  • पीरियड के समय असह्य दर्द होना.
  • भूख मर जाना.
  • वज़न बढ़ना.
  • थकान.
  • शरीर में सूजन.
  • चेहरे पर ज्यादा बाल आना (hirsutism)

क्या हैं खतरे?

इसमें अधिकतर गांठें नुकसानदेह नहीं होतीं, लेकिन कई बार कैंसर होने की आशंका भी बन सकती है. अगर उन्हें समय पर इलाज ना मिला तो. अगर ऐसा होता तो फिर अंडाशय हटाने पड़ जाते हैं, मामला हाथ से निकला या देर हुई तो पूरी बच्चेदानी निकालनी पड़ती है. कई बार लोग अंडाशय निकलवा देते हैं, पर बच्चेदानी नहीं. क्योंकि आइवीएफ़ के द्वारा भी कई लोग बच्चे करने लग गए हैं अब. आईवीएफ मतलब इन विट्रो फर्टीलाइज़ेशन. यानी साइंस की मदद से मां के पेट के बाहर एग और स्पर्म को मिलाना और भ्रूण बनाना.

एक बार भ्रूण बन जाता है तो फिर उसे मां के यूटरस में प्लांट कर देते हैं. कई बार लोग अंडाशय निकलवाते हैं, और अंडे फ्रीज़ करवा लेते हैं ताकि बाद में कभी ज़रूरत पड़े तो बच्चे किये जा सकें. पीरियड अगर समय पर ना हुए तो शारीरिक परेशानी के साथ-साथ मानसिक परेशानियां भी बढ़ जाती हैं. अगर बच्चा करने का प्लान हो, तो कई बार मुश्किल आती है. ऐसा नहीं है कि PCOD से जूझ रही महिलाएं मां नहीं बन सकतीं. लेकिन थोड़ी दिक्कत ज़रूर आती है.

कई ऐसे मामले भी होते हैं, जहां पर हॉर्मोन की गोलियां देनी पड़ती हैं पेशेंट्स को ताकि उनके पीरियड समय पर आयें. इससे भी काफी दिक्कतें आती हैं. अगर आपको ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो फ़ौरन डॉक्टर के पास जाइए. पीरियड समय पर नहीं आ रहे हैं, या दर्द ज्यादा हो रहा है तो उनके बारे में बताइए.

डॉक्टर मंजू गीता मिश्रा पटना शहर के कदमकुआं इलाके में प्रैक्टिस करती हैं. काफी जानी-मानी डॉक्टर हैं. 40 साल की प्रैक्टिस है उनकी. उन्होंने बताया कि कई बार लड़कियों की काउंसलिंग करनी पड़ी ये समझाने के लिए कि वो इसकी वजह से बांझ नहीं हो जाएंगी. उन्होंने कहा ऐसे मामले बड़े इमोशनल होते हैं तो उनमें काफी संभल कर ट्रीटमेंट देना होता है.

ऐसी ही एक घटना हमें बताई गई. एक लड़की अपनी सहेली के साथ आई थी. सिर्फ इस वजह से कि उसके पीरियड मिस हो गए थे, और वो बाज़ार से टेस्ट किट लाकर घर पर इस्तेमाल करने की हिम्मत नहीं कर सकती थी. डॉक्टर के पास इसलिए आई क्योंकि उसे यकीन हो चुका था कि वो प्रेग्नेंट है. मां के साथ आने की हिम्मत नहीं हो पाई, तो ट्यूशन का बहाना करके सहेली के साथ डॉक्टर के क्लिनिक आ गई. प्रेग्नेंट नहीं थी वो, ये जानकर सुकून मिला उसे. फिर मां को लेकर आई. पता चला ओवरीज़ में सिस्ट काफी बढ़ गए हैं. इस वजह से पीरियड नहीं आ रहे. मां ने कोई भी दवाई वगैरह कराने से मना कर दिया. कहा, ‘मेरी बेटी मां तो बन जाएगी न डॉक्टर?’.

इस तरह की घटनाएं हमारे और आपके आसपास घट रही हैं. हम पहचान छुपाने के लिए नाम बदल सकते हैं, लेकिन उनकी कहानी को झूठ में नहीं बदल सकते. रोज़ ना जाने कितनी ही लड़कियां और औरतें बदले हुए नाम से डॉक्टरों को फोन करती होंगी, और उनसे सलाह मांगती होंगी. कई बार उन्हें वो सलाह मिलती होगी, कई बार नहीं. पर समस्या जस की तस वहीं बनी हुई है. और बढ़ रही है.

क्या है इलाज?

हमने जितने डॉक्टरों से बातचीत की, सभी ने यही कहा कि एक मुख्य कारण लाइफस्टाइल है इसके पीछे. बाकी भी कई कारण होते हैं, लेकिन यह एक सबसे बड़ा और कॉमन कारण है. आप पूछेंगे ऐसे कैसे? उसका मतलब है, नींद पूरी न लेना, जंक फूड यानी बाहर का चटपट खाना खाना, ज़रूरत से ज्यादा टेंशन या स्ट्रेस लेना. खाने-पीने का कोई सही समय ना होना, शारीरिक एक्सरसाइज ना करना. ये लाइफस्टाइल की कमियां हैं. इनकी वजह से ये बीमारी भयंकर हो जाती है. ये तो सब कहते हैं कि जंक फ़ूड नहीं खाना चाहिए. सेहत के लिए खराब होता है. लेकिन पता तो हो कि जंक फ़ूड में क्या-क्या चीज़ें आती हैं.

चाउमिन,पीत्ज़ा, बर्गर, मोमोज, स्प्रिंग रोल, चाट-पकौड़ी वगैरह खाना सेहत के लिए बहुत खराब है. मैदा आपके शरीर के लिए ज़हर जैसा है. जिस चीज़ में जितना ज्यादा मैदा होगा, वो सेहत के लिए उतना ही ख़राब होगा. जीभ के स्वाद के चक्कर में शरीर बर्बाद करने वाली चीज़ें हैं ये.

इसे आप ऐसे समझिए. किसी भी स्वस्थ इंसान को पूरे दिन में लगभग 2000 से 2500 कैलोरीज़ चाहिए होती हैं. पुरुषों और स्त्रियों के लिए आंकड़ा थोड़ा सा अलग है, पर बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. अब अगर आप 2000 कैलोरी ले रहे हैं पूरे दिन, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे तो आपका वज़न बढ़ेगा. इसे आप ऐसे समझें, कि अगर आप रात को एक बर्गर खा कर उसके साथ कोल्डड्रिंक पी कर सो जाती हैं तो आपको उससे इतनी कैलोरीज मिल जाएगी जितनी आपको दो टाइम के साधारण खाने से मिलती है, जैसे दाल-चावल-रोटी-सब्जी. अब आप खुद ही सोच कर देखिये. कितनी फालतू की कैलोरीज इकठ्ठा हो रही हैं आपके भीतर.

एम्स में किये गए एक सर्वे के मुताबिक़ बड़े शहरों में हर तीन में से दो औरतें ओवेरवेट हैं, और गांवों में हर आठ औरतों में से एक का वज़न ज़रूरत से ज्यादा है. शहर की अस्सी प्रतिशत औरतें किसी ना किसी तरह के मोटापे से जूझ रही हैं.

डॉक्टर विजया रानी सिंह, बिहार के सारण जिले के छपरा शहर में पिछले 28 सालों से प्रैक्टिस कर रही हैं. उनका कहना है कि अगर खाना पीना ठीक कर लिया जाए, शारीरिक मेहनत कर ली जाए, तो काफी हद तक ये बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है.

डॉक्टर शिवानी चतुर्वेदी, जो आगरा शहर में पिछले 18 सालों से गाइनकॉलजिस्ट हैं, मानती हैं कि इसके लिए सही जांच होना ज़रूरी है. लापरवाही मामला बिगाड़ सकती है.

अगर हॉर्मोन देने की ज़रूरत पड़ी, तो वो भी डॉक्टर्स ही बताते हैं. तो चिंता मत कीजिये. शरीर की अपनी एक भाषा होती है. अगर कुछ गड़बड़ है तो वो आपको ज़रूर बताएगा. बस आपको सुनने की ज़रूरत है. इसे लेकर शर्म करने की कोई ज़रूरत नहीं. जिंदगी एक है- शरीर एक है. बीमार होकर जीने से क्या फायदा?

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