अगर आप पैरेंट हैं, तो आप इस वक्त ये सोच रहे होंगे, कि गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के लिए क्या किया जाए. उसे ड्रॉइंग क्लास जॉइन करवाई जाए, या कोई समर कैम्प, या फिर कोई स्पोर्ट्स कैम्प. मतलब कुछ न कुछ तो प्लानिंग आप कर ही रहे होंगे. तो अगर आप ऐसा सोच रहे हैं, तो हम आपकी दिक्कत आसान कर देते हैं.
अगर आपका कोई बेटा है, तो उसकी छुट्टियां कैसी बीतनी चाहिए, उसके बारे में हम आपको कुछ सलाह देने वाले हैं. अक्सर ही छुट्टियों में लड़कियां अपनी मां का हाथ बंटाती हैं, घर के कामों में. जैसे खाना बनाना, बर्तन साफ करना, झाड़ू-पोंछा करना, वगैरह-वगैरह. लेकिन ये सब कुछ आज के टाइम पर भी छुट्टियों में लड़कियां ही करती हैं, लड़के नहीं. वो मस्त दिन भर घूमते रहते हैं, या किसी न किसी तरह से अपना टाइम पास करते रहते हैं.
यही सबसे बड़ा कारण है कि लड़कों के मन में कहीं न कहीं ये बात बैठ जाती है, कि घर के काम करने का फर्ज तो लड़कियों का ही होता है. ये सोच समय के साथ अपनी जड़ें मजबूत कर लेती है. और आगे चलकर इसी सोच की वजह से लड़कियों और लड़कों दोनों को ही दिक्कत होती है. तभी तो शादी के बाद अक्सर ये देखने को मिलता है कि लड़के खाली टाइम पर आराम कर रहे होते हैं, और लड़कियां घर का काम कर रही होती हैं. केवल हाउसवाइफ ही नहीं, बल्कि नौकरी करने वाली लड़की भी अपनी जॉब के साथ-साथ घर का भी सारा काम संभालती है. वो खाना भी बनाती है. अपने लिए भी और अपने पति और उसके परिवार के लिए भी.
तो अगर आप चाहते हैं, कि आपकी बेटी का पति भी उसके साथ हर काम में हाथ बंटाए, तो इसके लिए सबसे पहले आपको अपने बेटे को ये सब सिखाना होगा. उसके मन में ये बात डालनी होगी कि घर के काम संभालने की जिम्मेदारी अकेली लड़कियों की नहीं होती, लड़कों की भी होती है. और ये सब सिखाने का सबसे सही वक्त गर्मी की छुट्टियां ही हैं.
कुछ काम जो आपको इस गर्मी में अपने बेटे को सिखाने चाहिए-
– खाना बनाना सिखाएं
वही बात. लड़कियों से ये उम्मीद की जाती है कि वो अच्छा खाना बनाएं. उनसे कहा जाता है कि शादी के बाद उन्हें अपने पति को खाना बनाकर खिलाना होगा. नौकरी करने वाली लड़की भी किसी न किसी तरह से टाइम मैनेज करके ये करती ही है. लड़कों से लोग ये उम्मीद नहीं करते कि वो खाना पकाना सीखें, या उन्हें खाना बनाना आए. क्यों भई, क्या लड़के खाना नहीं खाते हैं? खाते हैं न, इसलिए खाना बनाते भी आना चाहिए उन्हें. ताकि मिलकर काम करें, और काम आसान हो जाए.
इसलिए आपको अपने बच्चे को अभी से ये सब सिखाना चाहिए. साथ ही उसे ये भी सिखाएं कि खाना बनाना केवल लड़कियों का ही काम नहीं है. हर किसी को आना चाहिए. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. और हां, अगर इस प्रोसेस में रोटियां गोल नहीं भी बनती हैं, तो कोई दिक्कत नहीं.
– बर्तन में से चिकनाई कैसे हटाई जाए?
मेरी एक सहेली थी. बचपन में हॉस्टल में रहती थी. लेकिन जब भी गर्मी की छुट्टियों में घर आती, उसकी मां उससे बर्तन जरूर धुलवाती थी. उसकी मां कहती थी कि लड़कियों को सारा काम आना चाहिए. वहीं उसके भाई, छुट्टियों में सारा दिन इधर से उधर अपने दोस्तों के साथ घूमते रहते थे.
क्यों भई? क्या उसके भाई उन बर्तनों में खाना नहीं खाते थे. खाते थे न. फिर क्यों वो लड़की अकेले ये सारा काम करे. अपने बेटे से भी करवाइए, उसे सिखाइए.
– झाड़ू-पोंछा कैसे किया जाता है?
इस बारी गर्मी की छुट्टियों में आप अपने लाडले के हाथ में झाड़ू थमाएं. कुछ नहीं तो दो-तीन दिन में एक बार ही सही, उससे झाड़ू लगवाएं. क्योंकि झाड़ू-पोंछा करना भी केवल लड़कियों का काम नहीं होता. सफाई सबके लिए जरूरी है, तो सबको सफाई करते आना भी चाहिए.
– कपड़े धोते भी आना चाहिए.
आपके बेटे को ये पता होना चाहिए कि वो दिनभर खेलते हुए अपने जिन कपड़ों को गंदा कर लेता है, उसकी सफाई करनी भी उतनी ही जरूरी है. बच्चे से कुछ नहीं तो हफ्ते में दो या तीन बार लॉन्ड्री का काम जरूर करवाएं.
ये सारे बेसिक काम अगर आप अपने बेटे को सिखाएंगी, तो कहीं न कहीं वो ये बात समझ ही जाएगा कि लड़कियां और लड़के बराबर होते हैं. घर के सारे कामों की जिम्मेदारी अकेली लड़की की नहीं होती, उसकी भी है. अगर ये बात वो समझ जाएगा, तो उसकी पूरी पीढ़ी सुधर जाएगी. और हमारा देश, जहां आज भी लड़कियों से लोग फालतू की उम्मीदें रखते हैं, उनके ऊपर जबरन की जिम्मेदारियां डाल देते हैं, वो भी सुधर सकता है. हम ये नहीं कह रहे है कि पूरी छुट्टियां भर आप अपने बेटे से काम करवाती रहें. कुछ-कुछ दिन करवाएं, मगर करवाएं जरूर. बाकी ‘हैप्पी समर वेकेशन’.
Source – Aaj Tak
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