पॉइंट-5353 एक रहस्य, करगिल युद्ध में सेना ने की थी इस चोटी को जीतने की असफल कोशिश?

करगिल विजय के 20 साल पूरे होने पर पूरे देश में जश्न मनाया जा रहा है। इसी बीच द्रास के पॉइंट -5353 को लेकर अस्पष्टता का माहौल है। द्रास का यह क्षेत्र लाइन ऑफ कंट्रोल के सबसे ऊंचे और रणनीतिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कुछ वरिष्ठ अधिकारी जिन्होंने करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था का कहना है कि युद्ध से पहले पाकिस्तान ने इस चोटी पर कब्जा जमा लिया था।

पॉइंट-5353 पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था
20 साल पहले करगिल युद्ध में सक्रिय भूमिका निभानेवाले कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने पॉइंट-5353 पर हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से चर्चा की। अधिकारियों का कहना है, 20 साल पहले पॉइंट-5353 पर पाकिस्तान ने करगिल युद्ध से पहले कब्जा कर लिया था। 1999 में भारत की तरफ से इसे मुक्त कराने का प्रयास नहीं किया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के पास पुख्ता दस्तावेज हैं कि करगिल युद्ध ने जब जोर पकड़ा तो भारतीय सेना ने इस पॉइंट को फतह करने का असफल प्रयास किया था। भारतीय सेना की कोशिश भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण हिस्से पर कब्जा के लिए था।

मेजर नवनीत मेहता के नेतृत्व में पॉइंट फतह की हुई थी कोशिश
करगिल युद्ध के दौरान इस पॉइंट को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच मिलिटरी ऑपरेशन भी हुए। मेजर नवनीत मेहता के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पॉइंट-5353 पर कब्जा करने की भी कोशिश की। पाकिस्तानी सेना ने इस पॉइंट का इस्तेमाल तोपों की निगरानी के तौर पर किया था। करगिल युद्ध के दौरान कर्नल पुष्पिंदर ओबरॉय जो 16 ग्रांडियर्स रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे ने इस पॉइंट पर कब्जे को लेकर आधिकारिक संदेश भेजा था। उन्होंने कहा था, ‘मेरी बटालियन के सैनिकों पर पॉइंट-5353 को लेकर 2 अटैक किए गए। मेजर नवनीत मेहता और उनके 30 जवान हमलों का जवाब दे रहे हैं।’

विजय अभियान पाकिस्तानी आक्रमण के कारण रोकना पड़ा
एक हाथ से लिखे नोट में मेजर मेहता ने लिखा था कि वह पॉइंट-5353 को 18 मई 1999/600 hours पर विजय करने के बेहद करीब थे। इस हाथ से लिखे नोट की प्रति हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के पास भी है। नोट में लिखा, ‘हम चोटी पर पहुंचने के बहुत करीब थे… इस ऑपरेशन में 13 जवान शहीद भी हुए… आक्रमणकारी पंक्ति ने लगातार प्रयासों से बहुत अधिक रफ्तार से आक्रमण कर रहे हैं। आक्रमण की तीव्रता को देखते हुए हमें अभियान रोकना पड़ा है…’

इस क्षेत्र में एलओसी का निर्धारण 1972 में
करगिल युद्ध का नेतृत्व करनेवाले जनरल वीपी मलिक से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘इस क्षेत्र में एलओसी का निर्धारण 1972 में किया गया था जिसमें कई ऊंचाई वाले पॉइंट सीधी रेखा के आधार पर निर्धारित हुए। लाइन पॉइंट-5353 के ऊपर से होकर गई है। कई बार पाकिस्तानी सेना ने करगिल युद्ध से पहले भी इस पॉइंट पर कब्जा जमाने की हिमाकत की है।’

पॉइंट-5353 फतह कोशिश से सीनियर अधिकारी ने किया इनकार
पॉइंट-5353 पर कब्जा की असफल कोशिश के दावे को लेफ्टिनेंट जनरल एएन औल ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘युद्ध से पहले सेना ने इस पर कब्जा जमाने की कोशिश नहीं की थी। पाकिस्तान ने इस पर अपना कब्जा जमाया था और यह हमारे अधिकार क्षेत्र में भी नहीं आता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस पॉइंट पर कब्जा करने का भारतीय सेना ने कोई प्रयास नहीं किया था।

Source – Nav Bharat

   
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