भारत-PAK के वो10 क्रिकेटर, जिनके पास हैं इंजीनियरिंग की डिग्री

ज्यादातर मां-बाप बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनाने का सपना देखते हैं. लेकिन जब बच्चे अपने सपने जीते हैं तो तमाम डिग्रियां धरी रह जाती हैं. भारत के क्रिकेटर अनिल कुंबले, जवागल श्रीनाथ से लेकर पाकिस्तान के सईद अनवर, राशिद लतीफ और पाकिस्तान टीम के वर्तमान कैप्टन सरफराज सहित 11 ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग के करियर को छोड़कर क्रिकेट की पिच पर अपना नाम चमकाया. आइए यहां उन खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं.

पूर्व भारतीय कप्तान ऑफ स्पनिर गेंदबाज अनिल कुंबले को कौन नहीं जानता. विश्व क्रिकेट में उनके हाथों से निकली गेंद बड़े से बड़े बैट्समैन के पसीने छुड़ा देती थी. उन्होंने भी बेंगलुरु के राष्ट्रीय विद्यालय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (RVCE) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई किया था. जंबो के नाम से मशहूर कुंबले ने 132 टेस्ट और 272 एकदिवसीय मैच खेले हैं.

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पाकिस्तान के दाएं हाथ के बल्लेबाज राशिद लतीफ ने भी सईद अनवर की तरह ही NED यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर सिस्टम इंजीनियर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. यहां से वे क्रिकेट में गए तो पाकिस्तान के लिए 37 टेस्ट मैच खेले. राशिद ने 28.77 की औसत से 1381 रन बनाए. उन्होंने एक क्रिकेटर के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी योगदान दिया.

पाकिस्तान टीम के कप्तान सरफराज अहमद टीम के मजबूत बल्लेबाज के तौर पर स्थापित हैं. वर्तमान में वर्ल्ड कप खेल रही सभी दस टीमों के कप्तानों से सबसे ज्यादा एकेडमिक क्वालीफाइड हैं. दाउद यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक किया है. वे टी 20 आई क्रिकेट में आक्रामक रवैये के लिए जाने जाते हैं. चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में भारत के खिलाफ इनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से पाकिस्तान ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की.

क्रिकेट वन डे करियर में 20 शतक और 43 अर्द्धशतक का रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले पाकिस्तान के क्रिकेटर सईद अनवर ने पूरी दुनिया में अपना नाम चमकाया. लेकिन वो कंप्यूटर सिस्टम में काम करने वाली एक कंपनी में इंजीनियर थे ये बात बहुत कम लोग जानते हैं. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक सईद ने कराची पाकिस्तान स्थित NED (Nadirshaw Eduljee Dinshaw) यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.

भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सुजीत सोमसुंदर भी क्रिकेटर से पहले एक कंप्यूटर इंजीनियर थे. अपने क्रिकेट में इंजीनियरिंग की भूमिका को स्वीकार करते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया को एक बार इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन का कोर्स चार साल के लिए होता है. इस दौरान आप संतुलन का महत्व सीखते हैं जो एक क्रिकेटर के लिए बहुत जरूरी है. कर्नाटक के इस बल्लेबाज को इंटरनेशनल खेलने का मौका नहीं मिला था.

नागपुर का तेज गेंदबाज रजनीश गुरबानी रणजी ट्रॉफी का सितारा है. उसने विदर्भ के लिए अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर 2017-18 में रणजी ट्रॉफी खिताब जीता. फाइनल मैच में उनकी हैट्रिक ने दिल्ली के खिलाफ विदर्भ की जीत का मार्ग प्रशस्त किया था. आपको यह भी बता दें कि रजनीश ने नागपुर में केडीके (कर्मवीर दादासाहेब कन्नमवार) कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में मेजर किया है.

आइए बात करें 1960-70 के दशक की. उस दौर में भारत के दिग्गज स्पिन चौकड़ी का हिस्सा रहे एस वेंकटराघवन ने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गिंडी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करके क्रिकेट में प्रवेश किया था. वह भारत के लिए 57 टेस्ट और 15 एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. वर्ष 2003 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. अपने क्रिकेटिंग करियर के बाद, उन्होंने अंपायर के रूप में भी काम किया. उन्होंने तीन विश्वकप 1996, 1999, और 2003 में भी रहे.

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान के कृष्णामाचारी श्रीकांथ जिन्हें आजकल भी लोग माइक पकड़े कमेंट्री करते देखते हैं वह पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. उन्होंने चेन्नई स्थित कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन किया. 1980 में उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप जीता था. उस पारी में भी उन्होंने ओपनिंग बैट्समैन के तौर पर भारत के लिए खेला था.

आर अश्चिन वर्तमान में भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक हैं. अश्विन ने SSN कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग चेन्नई से सूचना प्रौद्योगिकी में इंजीनियरिंग की. इसके बाद साल 2010 में भारत के लिए पहला मैच खेला, और अब तक 65 टेस्ट, 111 वनडे और 46 T20 खेल चुके हैं. आर अश्विन ने भी अगर इंजीनियरिंग में करियर बनाया होता तो शायद आज टीम एक सर्वश्रेष्ठ ऑफ स्‍पिनर से महरूम रह जाती.

भारत के धुंआधार गेंदबाज जवागल श्रीनाथ 90 के दशक में बच्चे बच्चे की जुबान पर चढ़े थे. उनकी तेज उछाल और धीमी गति की गेंद ने उस समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को ढेर किया. इस तेज गेंदबाज ने मैसूर के श्री जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (एसजेसीई) से अपना बीई इंस्ट्रूमेंटेशन पूरा किया था. लोग श्रीनाथ को भारत के लिए 67 टेस्ट और 229 एकदिवसीय मैचों में भाग लेने के लिए ही जाने जाते हैं. वनडे में 315 विकेट ले चुके श्रीनाथ आज भी याद किए जाते हैं.

Source – Aaj Tak

   
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