गर्भावस्था जाँच (प्रेगनेंसी टेस्ट) कैसे और कब करना चाहिए?

माँ बनने की खुशी हर औरत के लिए अनमोल होती है और माहवारी (पीरिएड्स) का न आना इस खुशी के आगमन का शुभ संकेत हो सकता है। अगर तय समय पर माहवारी न आए, तो किसी भी औरत के मन में पहला सवाल यही उठता है कि कहीं वह गर्भवती तो नहीं है।

हालाँकि, गर्भावस्था की जाँच के बाद ही यह बात पूरे भरोसे के साथ कही जा सकती है कि कोई औरत गर्भवती है या नहीं। गर्भावस्था की जांच के दौरान महिला के पेशाब और हार्मोन में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोफिन (एचसीजी/HCG) की मौजूदगी और उसके स्तर का पता लगाया जाता है।

रअसल, किसी औरत के शरीर में ‘एचसीजी हार्मोन’ की मौजूदगी या गैरमौजूदगी से ही यह तय होता है कि वह माँ बनने वाली है या नहीं। मॉमजंक्शन के इस लेख में आगे हम आपको गर्भावस्था की जाँच के सुरक्षित और आसान तरीकों के बारे में बताएंगे।
कब करें प्रेगनेंसी टेस्ट?

गर्भावस्था की जाँच के लिए मासिक धर्म (periods) का समय निकलने के बाद 1 से 2 सप्ताह के बीच का समय सबसे सही होता है।

संभोग के बाद जब अंडे के साथ शुक्राणु (sperm) का मेल होता है, तब निषेचित डिंब गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है। इसके बाद औरत के शरीर में एचसीजी हार्मोन बनना शुरू हो जाता है। यह हार्मोन निषेचन की क्रिया के बाद लगभग 7 से 14 दिनों में महिला के पेशाब में पाया जा सकता है। इसलिए मासिक धर्म का समय निकलने के बाद, अगर एक सप्ताह तक मासिक धर्म ना आए, तो गर्भावस्था की जाँच करनी चाहिए।

आप बाजार में मिलने वाले प्रेगनेंसी टेस्ट किट (गर्भावस्था जाँच किट) के ज़रिए घर पर ही गर्भावस्था की जाँच कर सकते हैं।

घर पर आसानी से उपलब्ध होने वाली कुछ चीज़ों के ज़रिए भी आप प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं।

क्लिनिक जाकर मेडिकल प्रोफ़ेशनल से भी गर्भावस्था की जाँच करवाई जा सकती है।

घर में प्रेगनेंसी टेस्ट किट के ज़रिए जाँच:

प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करने से पहले किट के साथ दिए गए निर्देशों को अच्छी तरह से पढ़ना चाहिए। याद रखें कि अलग-अलग ब्रांड के प्रेगनेंसी टेस्ट किट के निर्देश भी अलग-अलग होते हैं। जैसे कि किसी टेस्ट में जाँच पट्टी (टेस्ट स्ट्रिप) पर पेशाब करना होता है, तो किसी में आपको ड्रॉपर से जाँच किट पर दिए गए खाँचे या गोल घेरे पर पेशाब के नमूने की कुछ बूँदें डालनी होती हैं। इसी तरह कुछ डिजिटल जाँच किट में प्रेग्नेंट (गर्भवती) और नॉट प्रेग्नेंट (गर्भवती नहीं) लिखा हुआ दिखाई देता है, जबकि कुछ जाँच किट में गुलाबी या नीली धारियाँ दिखाई देती हैं। इसलिए, किसी भी ब्रांड के प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करने से पहले उसके साथ दिए गए निर्देश ज़रूर पढ़ें।]]

प्रेगनेंसी टेस्ट किट के इस्तेमाल का सही तरीका:

प्रेगनेंसी टेस्ट किट से गर्भावस्था की जाँच करने के लिए, सुबह के पहले पेशाब के नमूने को एक छोटे पात्र में लेकर जाँच किट के साथ दिए गए ड्रॉपर से कुछ बूँदें, जाँच पट्टी पर बने खांचे में डालें। इसके बाद 5 मिनट तक इंतज़ार करें। आपको एक या दो हल्की या गहरी गुलाबी लकीरें दिखाई देंगी। इन रंगीन लकीरों का मतलब समझने के लिए जांच किट के साथ दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। इन निर्देशों के आधार पर आप टेस्ट के नतीजे का पता लगा सकती हैं और जान सकती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं।

प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करने का सबसे सही समय:

शाम की बजाए सुबह का समय गर्भावस्था की जाँच के लिए सबसे अच्छा होता है। दरअसल, सुबह के समय गर्भावस्था की सूचना देने वाले ‘एचसीजी हार्मोन’ का स्तर शरीर में काफ़ी ऊँचा होता है।

प्रेगनेंसी टेस्ट किट से जाँच करते समय ये सावधानियाँ ज़रूर बरतें:

घर पर किट से टेस्ट करने पर अगर नकारात्मक (निगेटिव) परिणाम आता है, तो 72 घंटे या तीन दिन के बाद, दोबारा जाँच ज़रूर करें। दरअसल, शुरुआती दिनों में पेशाब में ‘एचसीजी हार्मोन’ का स्तर थोड़ा कम होता है, जिसकी वजह से गर्भावस्था की सही पहचान नहीं हो पाती है। अगर 72 घंटों के बाद, दूसरी जाँच का नतीजा भी निगेटिव आता है, तो किसी योग्य महिला चिकित्सक से मिलकर परामर्श लेना न भूलें। याद रखें कि आपके पीरियड के समय पर न आने की कुछ अन्य वजहें भी हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी टेस्ट से सही नतीजा हासिल करने के लिए सुबह के पहले पेशाब का नमूना लेना चाहिए।

जाँच से पहले ज़्यादा मात्रा में पानी, चाय या कॉफ़ी का सेवन न करें। इससे शरीर में ‘एचसीजी हार्मोन’ की सघनता घट सकती है और आपके टेस्ट का परिणाम प्रभावित हो सकता है।

जाँच के दौरान इस्तेमाल होने वाली सभी चीज़ें बिल्कुल साफ़-सुथरी रखें।

किसी भी प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट (प्रयोग की अंतिम तारीख) ज़रूर देखें। डॉक्टरों के अनुसार, किट का पैकेट खोलने के बाद 10 घंटों के भीतर इस्तेमाल कर लेना चाहिए।

जाँच का नतीजा मिलने में लगने वाला समय:

प्रेगनेंसी टेस्ट किट से जाँच करने पर 1 से 3 मिनट में या अधिक से अधिक 5 में नतीजे मिल जाते हैं। सावधानी के लिए, जाँच किट के साथ दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़कर उनका पालन करना चाहिए।

घर पर किए जाने वाले प्रेगनेंसी टेस्ट के नतीजे कितने सटीक होते हैं?

अगर आप प्रेगनेंसी टेस्ट किट के साथ दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़कर उनका पालन करते हैं, तो जाँच के नतीजे काफ़ी सटीक होते हैं। कुछ प्रेगनेंसी टेस्ट किट ज़्यादा संवेदनशील होते हैं और इस्तेमाल में आसान होते हैं। लेकिन किट चाहे कोई भी हो, सही नतीजे हासिल करने के लिए आपको ऊपर बताई गई सावधानियों का पालन ज़रूर करना चाहिए। अगर आपका मासिक धर्म नियमित नहीं रहता है, तो पिछले सबसे ज़्यादा समय अंतराल वाले मासिक चक्र के समय के हिसाब से प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए। अगर आपने कुछ समय पहले ही गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल रोका है और आपकी जाँच का नतीजा निगेटिव आता है, तो 72 घंटे या 3 दिन के बाद दोबारा प्रेगनेंसी टेस्ट ज़रूर करें।

जाँच के बाद अलग-अलग संकेतों के अर्थ:

प्रेगनेंसी टेस्ट किट में जाँच के लिए पेशाब का नमूना डालने के बाद 1 से 5 मिनट तक इंतज़ार करें। इसके बाद किट देखकर नतीजों का विश्लेषण इस प्रकार करें:

अगर किट पर एक हल्की या गहरी गुलाबी धारी (लाइन) नज़र आती है, तो जाँच परिणाम नकारात्मक (निगेटिव) है। यानी कि आप गर्भवती नहीं हैं।

अगर किट पर दो हल्की या गहरी गुलाबी धारियां नज़र आती हैं, तो जाँच परिणाम सकारात्मक (पॉज़िटिव) है। यानी कि आप गर्भवती हैं।

अगर किट पर कोई लाइन नज़र नहीं आती है, तो किट खराब हो सकती है या फिर किसी अन्य वजह से ऐसा हो सकता है। जैसे कि जल्दबाज़ी में जाँच करने, नमूना लेने में गड़बड़ी करने, ज़रूरी साफ़-सफ़ाई का ख्याल न रखने या पेशाब के नमूने में ‘एचसीजी हार्मोन’ का स्तर कम होने की वजह से किट नाकाम साबित हो सकती है।

हल्की गुलाबी रेखा दिखने का अर्थ:

दरअसल, प्रेगनेंसी टेस्ट के समय महिला के शरीर में एचसीजी हार्मोन का स्तर सही होना चाहिए। इसके अलावा इस्तेमाल की जा रही प्रेगनेंसी टेस्ट किट की संवेदनशीलता भी अधिक होनी चाहिए। इसलिए आप जिस प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करने वाली हैं, उसकी निर्देश पुस्तिका पढ़कर किट की संवेदनशीलता के बारे में ज़रूर पता लगाएं।

जिस प्रेगनेंसी टेस्ट किट की संवेदनशीलता 10 miu/ml (मिली इंटरनेशनल यूनिट्स प्रति मिलीमीटर) होती है, उससे टेस्ट के नतीजे जल्दी प्राप्त होते हैं। वहीं जिस प्रेगनेंसी टेस्ट किट की संवेदनशीलता 25 miu/ml होती है, उससे टेस्ट के नतीजे थोड़ी देर से प्राप्त होते हैं।

हल्की गुलाबी रेखा का अर्थ यह भी हो सकता है कि आपका गर्भ अभी बहुत ज़्यादा परिपक्व नहीं हुआ है या आपकी ओर से डिंबोत्सर्जन के बारे में लगाया गया अनुमान सही ना हो या फिर आपका निषेचित डिंब आप के अनुमानित समय पर प्रत्यारोपित न हुआ हो। इन सभी वजहों से आपको प्रेगनेंसी टेस्ट किट पर हल्की गुलाबी रेखा दिखाई दे सकती है। इसलिए, हल्की गुलाबी रेखा के नज़र आने पर आपको 72 घंटे या 3 दिन के भीतर दोबारा प्रेगनेंसी टेस्ट ज़रूर करना चाहिए।

सकारात्मक (पॉजिटिव) नतीजे दर्शाने वाले संकेत:

प्रेगनेंसी टेस्ट किट पर पेशाब का नमूना डालने के बाद अगर नतीजे के तौर पर दो गहरी गुलाबी या नीली रेखाएं दिखाई दें, तो यह आपके गर्भवती होने का स्पष्ट संकेत है। याद रखें कि कुछ प्रेगनेंसी टेस्ट किट में पॉज़िटिव या निगेटिव नतीजों को दर्शाने के लिए दूसरे तरह के संकेतों का इस्तेमाल भी होता है। इसलिए, किसी भी तरह के संकेत का सही अर्थ समझने के लिए किट के साथ दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ना न भूलें।

नकारात्मक (निगेटिव) नतीजे प्राप्त होने की वजहें:

प्रेगनेंसी टेस्ट का परिणाम निगेटिव या नकारात्मक आने की कई वजहें हो सकती हैं। जैसे कि अगर टेस्ट के लिए सही समय का चुनाव न किया जाए, तो निगेटिव नतीजा प्राप्त हो सकता है। आपको संभोग और निषेचित डिंब के प्रत्यारोपण के सही समय का अनुमान लगाने के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए। संभोग के बाद कम से कम 10 से 15 दिनों के भीतर प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए, क्योंकि इससे पहले शरीर में एचसीजी हार्मोन का स्तर सही नहीं होता है। इसी तरह अगर आप इस लेख में बताई गई सावधानियाँ नहीं बरतते हैं, तो टेस्ट का नतीजा निगेटिव आ सकता है।

इसके अलावा ऐसा भी हो सकता है कि किसी वजह से गर्भ धारण करते ही आपका गर्भपात हो गया हो। ऐसा होने पर टेस्ट का नतीजा निगेटिव आ सकता है। हमारी सलाह है कि इस स्थिति में आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए और सही ढंग से अपना चेकअप कराना चाहिए।
घरेलू नुस्खों से प्रेगनेंसी टेस्ट | घर पर बिना किट के प्रेगनेंसी टेस्ट करने के उपाय:

आगे हम आपको उन घरेलू नुस्खों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है। हालांकि, इन नुस्खों से प्राप्त होने वाले नतीजे बहुत ज़्यादा विश्वसनीय नहीं होते हैं। इसके अलावा, मेडिकल साइंस भी इन नुस्खों को मान्यता नहीं देता है।

इसलिए, पूरी तसल्ली के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट किट या विशेषज्ञ डॉक्टर से गर्भावस्था की जाँच ज़रूर कराएं। इसके अलावा, घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों की साफ़-सफ़ाई का भी पूरा ख्याल रखें।
1. साबुन की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

साबुन से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए एक डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में थोड़ी मात्रा में सुबह का पहला पेशाब लें। पेशाब ने नमूने में साबुन की थोड़ी मात्रा मिलाकर कुछ समय तक इंतज़ार करें। अगर थोड़ी देर बाद पेशाब के नमूने में बुलबुले बनते हैं, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत है।
2. चीनी की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

चीनी से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में थोड़ी मात्रा में सुबह का पहला पेशाब लें। अब पेशाब के नमूने में दो चम्मच चीनी डालकर उसे घोले। अगर पेशाब में चीनी पूरी तरह से नहीं घुलती है और पेशाब में मौजूद ‘एचसीजी हार्मोन’ चीनी के साथ मिलकर गुच्छों या गुठली का रूप ले लेता है, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत है। लेकिन, अगर चीनी पूरी तरह से पेशाब में घुल जाती है तो आप गर्भवती नहीं हैं।
3. टूथपेस्ट की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

टूथपेस्ट से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में थोड़ी मात्रा में सुबह का पहला पेशाब लें। अब पेशाब के नमूने में थोड़ा-सा सफ़ेद टूथपेस्ट मिला दें। इस मिश्रण को करीब 1 घंटे बाद ब्रश से हिलाएं। अगर मिश्रण झागदार और नीला हो जाता है, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत है।
4. विनेगर (सिरका) की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

विनेगर या सिरका से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में थोड़ी मात्रा में सुबह का पहला पेशाब लें। अब पेशाब के नमूने में थोड़ा सा विनेगर डाल कर मिलाएं। अगर यह मिश्रण रंग बदलता है, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत हैं।
5. पाइन सॉल (क्लीनर) की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

बाजार में आसानी से मिलने वाले पाइन सॉल (क्लीनर) से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में थोड़ी मात्रा में सुबह का पहला पेशाब लें। अब पेशाब के नमूने में बराबर मात्रा में पाइन सॉल मिला दें। अगर थोड़ी देर बाद इस मिश्रण का रंग बदल जाता है, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत है।
6. बेकिंग सोडा की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

बेकिंग सोडा से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में थोड़ी मात्रा में सुबह का पहला पेशाब लें। अब इस नमूने में लगभग दो चम्मच बेकिंग सोडा डालें और उसे मिलाएं। अगर बेकिंग सोडा पेशाब के साथ प्रतिक्रिया करके बुलबुले बनाता है, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत है।
7. ब्लीच की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

ब्लीच से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में थोड़ी मात्रा में सुबह का पहला पेशाब लें। अब इस नमूने में थोड़ी मात्रा में ब्लीच पाउडर डालें और उसे मिलाएं। अगर मिश्रण में बुलबुले दिखाई देते हैं, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत है।
8. डेटॉल की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

डेटॉल से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए डिस्पोज़ल गिलास या किसी बर्तन में लगभग 20 ml सुबह का पहला पेशाब लें। अब इस नमूने में बराबर मात्रा में डेटॉल डालें और उसे मिलाएं। अगर मिश्रण का रंग दूधिया सफ़ेद हो जाए, तो यह आपके गर्भवती न होने का संकेत है। लेकिन, अगर यह मिश्रण अलग-अलग होकर डेटॉल की ऊपरी सतह पर तेल की तरह तैरने लगे, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत है।
9. प्याज की सहायता से प्रेगनेंसी टेस्ट:

प्याज से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए कटे हुए प्याज को रात भर महिला की योनि (वजीना) में रखें। अगर प्याज में बदबू न आए, तो महिला को गर्भवती समझना चाहिए।

क्लीनिक में प्रेगनेंसी टेस्ट:

ऊपर बताए गए दो तरीकों के अलावा मेडिकल क्लीनिक जाकर विशेषज्ञ डॉक्टर से भी प्रेगनेंसी टेस्ट करवाया जा सकता है। इस तरह के टेस्ट के नतीजे ज़्यादा सटीक और विश्वसनीय होते हैं।
1. पेशाब के नमूने से प्रेगनेंसी टेस्ट

क्लीनिक में डॉक्टर पेशाब के नमूने की जाँच करके गर्भावस्था की स्थिति की सही जानकारी दे सकते हैं। इस तरह की जाँच में भी सुबह के पहले पेशाब का नमूना लेकर उसमें एचसीजी हार्मोन की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।
2. खून की जाँच से प्रेगनेंसी टेस्ट

गर्भावस्था की बिल्कुल शुरुआती स्थिति में गर्भ के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कभी-कभार खून की भी जाँच की जाती है। यह जाँच पेशाब की जाँच से ज़्यादा संवेदनशील होती है। खून की जाँच से डिंबोत्सर्जन के 6 दिन बाद ही या निषेचित अंडे के प्रत्यारोपण के तत्काल बाद ही आपकी गर्भावस्था के बारे में पक्की जानकारी मिल सकती है। इस तरह की जाँच से अस्थानिक (एक्टोपिक) या मोलर प्रेगनेंसी का भी पता लगाया जा सकता है।
3. अल्ट्रा साउंड तकनीक से प्रेगनेंसी टेस्ट

इस तकनीक में उच्च आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) वाली ध्वनि तरंगों को गर्भाशय में शिशु तक भेजा जाता है, जो वापस लौटकर कंप्यूटर स्क्रीन पर तस्वीर में बदल जाती हैं। इस तरह की जाँच में एमनियोटिक द्रव (वह तरल पदार्थ, जिसमें शिशु रहता है) ध्वनि तरंगों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। इसलिए, यह द्रव तस्वीर में काला नज़र आता है। जबकि, हड्डी जैसे ठोस ऊत्तक सफ़ेद रंग में और नरम ऊत्तक स्लेटी या चितकबरे रंग में दिखाई देते हैं। इन तीनों रंगों (स्लेटी, काला और सफ़ेद) की अलग-अलग स्थितियों की तुलना करके डॉक्टर गर्भ में मौजूद शिशु की सही स्थिति की व्याख्या करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:
1. प्रेगनेंसी टेस्ट किट कहाँ से खरीदें?

प्रेगनेंसी टेस्ट किट डॉक्टर की पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) के बिना भी लगभग सभी दवा दुकानों से खरीदी जा सकती है। आप यह किट ऑनलाइन भी खरीद सकती हैं।
2. प्रेगनेंसी टेस्ट किट की कीमत क्या होती है?

दवा दुकानों और ऑनलाइन स्टोर पर कई तरह की प्रेगनेंसी टेस्ट किट बिकती हैं। अलग-अलग ब्रांड के किट की कीमत भी अलग-अलग होती है। आमतौर पर प्रेगनेंसी टेस्ट किट की कीमत 80 से 150 रुपए के बीच होती है।
3. प्रेगनेंसी टेस्ट किट के साथ मिलने वाली चीज़ों का इस्तेमाल कैसे करें?

प्रेगनेंसी टेस्ट किट को खोलने पर आपको इसमें एक दिशा-निर्देश पुस्तिका, एक ड्रॉपर और एक टेस्ट स्ट्रिप मिलेगी। दिशा-निर्देश पुस्तिका में इस किट को इस्तेमाल करने का तरीका लिखा होता है।

कठिन शब्द-

ड्रॉपर- जिससे जाँच किट में पेशाब के नमूने को डाला जाता है।

टेस्ट किट- एक सफ़ेद रंग की पट्टी, जिस पर गोल या चौकोर खांचे बने होते हैं। इन खांचों में ड्रॉपर से पेशाब के नमूने की कुछ बूंदें डाली जाती हैं।

Source – momjunction

   
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