हमारे शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोंस (Hormones) स्रावित होते हैं. किशोरावस्था से लेकर मेनोपॉज़ (Menospause) तक हार्मोंस के स्तर में बदलाव होता रहता है. यही बदलाव हमारे डेंटल हेल्थ (Dental Health) को भी प्रभावित करता है और हमें पता भी नहीं चलता. जीवन के इसी बदलाव की अन्य अवस्थाएं, जैसे- प्यूबर्टी (Puberty), पीरियड्स का आना (Periods), प्रेग्नेंसी (Pregnancy), ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) और मेनोपॉज़ डेंटल हेल्थ को किस तरह प्रभावित करते हैं,
प्यूबर्टी: इस अवस्था में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजन का स्तर अधिक बढ़ जाता है, जिसके कारण कई बार मसूड़ों में सूजन और ब्लीडिंग होने लगती है. इन समस्याओं को नज़रअंदाज़ करने पर ‘जिंजिवाइटिस’ नामक दांतों की बीमारी हो जाती है. इस उम्र में लड़कियां मीठा, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक बहुत अधिक पीती हैं, जिससे हार्मोंस असंतुलित होने लगते हैं और इनका बुरा असर डेंटल हेल्थ पर पड़ने लगता है.
समाधान 
डॉक्टर से दांतों की क्लीनिंग कराएं, अन्यथा दांतों में सड़न हो सकती है.
हेल्दी दांतों के लिए हेल्दी फूड और नट्स खाएं.
रोज़ाना दिन में 2 बार ब्रश करें.
नारियल पानी और नींबू पानी पीएं.
पीरियड्स आना: अक्सर महिलाएं पीरियड्स आने के पहले दांतों की समस्याएं, जैसे- मसूड़ों का फूलना, उनमें दर्द होना आदि शिकायतें करती हैं. पीरियड्स के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन के स्तर में बदलाव होता है, जिसके कारण यह समस्या होती है.
समाधान 
अन्न के कण दांतों में फंसे रहने के कारण उनमें सड़न होने लगती है, इसलिए हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला करना न भूलें.
पानी में कुछ बूंदें एंटीबैक्टीरियल ऑयल, जैसे- लौंग का तेल, दालचीनी का तेल और यूकेलिप्टस ऑयल की डालकर गरारे करें.
कच्चा प्याज़ और लहसुन को भोजन में शामिल करें, क्योंकि इनमें ऐसे एंटीबैक्टीरियल तत्व होते हैं, जो इस समस्या से निजात दिलाते हैं.
प्रेग्नेंसी: गर्भवती महिलाओं में हार्मोंस का स्तर अस्थिर होता है. यह कभी कम, तो कभी ज़्यादा होता है. इससे कई बार दांतों की समस्याएं हो जाती हैं, जैसे- मसूड़ों का लाल होना, उनमें सूजन और दर्द होना आदि.
समाधान
दिन में 2 बार ब्रश करने और दांतों को फ्लॉस करने की आदत डालें.
कुछ भी खाने के बाद तुरंत कुल्ला करें.
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला को कैल्शियम, विटामिन डी और फोलिक एसिड की अधिक मात्रा में ज़रूरत होती है, इसलिए डॉक्टरी सलाहानुसार इन्हें अपने भोजन में ज़रूर शामिल करें.
स्तनपान: प्रेग्नेंसी के बाद स्ट्रेस और तनाव के साथ-साथ थकान भी बहुत बढ़ जाती है. हार्मोंस में भी बहुत परिवर्तन होते हैं, जिसके कारण दांतों में सड़न और मसूड़ों की बीमारियां हो सकती हैं.
समाधान 
स्तनपान करानेवाली महिलाएं कैल्शियम और ओमेगा 3 फैटी एसिडयुक्त आहार लें.
भोजन में हेल्दी फूड खाएं.
शरीर में पानी की कमी न होने दें.
मेनोपॉज़: मेनोपॉज़ के दौरान हार्मोंस असंतुलित होते रहते हैं, जिससे महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे- मुंह का स्वाद ख़राब होना, मुंह में जलन होना, सेंसिटिविटी आदि. कई बार मसूड़ों और दांतों के रोग भी हो जाते हैं. मेनोपॉज़ में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है, जिससे हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं.
समाधान 
 
दांतों की सुरक्षा के लिए फ्लोरॉइड टूथपेस्ट का प्रयोग करें.
हड्डियों की मज़बूती के लिए डॉक्टर की सलाहानुसार अपनी डायट में कैल्शियम और विटामिन डी आवश्यक मात्रा में शामिल करें.
तली-भुनी, नमकीन, तीखी और दांतों में चिपकनेवाली चीज़ें न खाएं.
चाय, कॉफी, अल्कोहल और तंबाकू का सेवन कम करें.
गर्भ निरोधक गोलियां: गर्भ निरोधक गोलियों में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन होता है. अत: इनका अधिक सेवन करने से हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं, जिससे मसूड़ों में सूजन और पेट की समस्याएं, जैसे- कब्ज़, पेट का फूलना आदि होती हैं. इन समस्याओं के कारण मुंह में बदबू आना और दांतों में सड़न भी हो सकती है.
समाधान 
 
डॉक्टर की सलाह से प्रोबायोटिक टैबलेट और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की गोलियां लें.
स्वस्थ दांतों के लिए ईज़ी टिप्स
मीठा खाने की बजाय फल व सूखे मेवे खाएं.
कोल्ड ड्रिंक, कोल्ड कॉफी, फू्रट जूस के बदले नारियल पानी या नींबू पानी पीएं.
जिनके दांतों में बे्रसेस लगे हुए हैं, उन्हें दांतों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि अन्न के कण दांतों में चिपक व फंस जाने के कारण दांतों में सड़न हो सकती है.
कुछ भी खाने-पीने के बाद अच्छी तरह से कुल्ला करें.
डॉक्टर की सलाह से रात को माउथवॉश से गरारे करके सोएं.
स्तनपान करानेवाली महिलाएं तिल व अलसी खाएं. इनमें कैल्शियम और ओमेगा 3 फैटी एसिड अधिक मात्रा में होता है, जो दांतों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है.
8-10 ग्लास पानी पीएं.
दांतों की छोटी सी समस्या को नज़रअंदाज़ न करें. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
Source-Meri Saheli
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