फिल्म बनी है एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी पर. लक्ष्मी जब पंद्रह साल की थीं तब उनके ऊपर किसी ने एसिड फेंक दिया था. उसकी वजह से उनका पूरा चेहरा, गर्दन, और हाथ जल गए थे.
लेकिन इतने एसिड अटैक होते हैं रोज़, खबर में कुछ-न-कुछ आता रहता है. लेकिन इस केस में फिल्म क्यों बन रही है?
पहले लक्ष्मी की कहानी जान लीजिए.
दिल्ली की हैं. 14-15 साल की थीं तब इनको गुड्डा नाम के आदमी ने प्रपोज किया था. दोगुनी उम्र का था. लक्ष्मी ने मना कर दिया.
साल था 2005. खान मार्केट में लक्ष्मी एक बुक शॉप की तरफ जा रही थीं. तभी अचानक पीछे से तीन लोग आए. इनमें से था नदीम खान. वही, जिसे गुड्डू के नाम से भी बुलाया जाता था. वो अपने दो दोस्तों के साथ आया था. हाथ में थी बियर की बोतल. उस में एसिड भरा था. वो एसिड उसने पूरा का पूरा लक्ष्मी के ऊपर उंडेल दिया.
लक्ष्मी को राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. वहां वो तीन महीने तक रहीं. इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया,
‘जिस वार्ड में मैं थी, उसमें कोई शीशा नहीं था. हर सुबह नर्स मुझे फ्रेश होने के लिए एक बोल पानी देने आती थी, और मैं उस पानी में अपनी परछाईं देखने की कोशिश करती थी. मुझे सिर्फ बैंडेज बंधा हुआ चेहरा दिखाई देता था. अटैक से पहले मेरी नाक पर एक निशान हुआ करता था. ऑपरेशन के दौरान मैं डॉक्टर्स से कहती उसे हटा देने के लिए. जब मैंने अपना चेहरा बाद में देखा, मैं तबाह हो गई थी. मेरा चेहरा ही नहीं बचा था. मेरी आंखों का कोई आकार ही नहीं रह गया था’.
लक्ष्मी के साथ इतना सब कुछ हुआ. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनके पिता ने जनहित याचिका दायर की. एसिड की बिक्री को रेगुलेट करने के लिए. लक्ष्मी ने अपने ऊपर हमला करने वालों को जेल पहुंचाया. लम्बी लड़ाई लड़कर एसिड की बिक्री रेगुलेट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश भी जारी करवाया. 2013 में लक्ष्मी और रूपा की लड़ाई रंग लाई, और सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 18 साल से कम उम्र वालों को एसिड नहीं बेचा जाएगा. और जो भी उसे खरीदेगा, उसे एक फोटो आईडी देनी होगी.
लक्ष्मी के साथ फोटोग्राफर राहुल सहारन ने एक फोटोशूट किया था, जिसकी तसवीरें बहुत वायरल हुई थीं. इसके बाद पूरे देश ने उनपर ध्यान देना शुरू किया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लक्ष्मी ने एसिड अटैक की शिकार हुई लड़कियों के हक़ और उनके पुनर्वास (उनको नार्मल ज़िन्दगी जी पाने के तरीके और साधन उपलब्ध कराना) के लिए मांग करनी शुरू की.
2014 में लक्ष्मी को इंटरनेशनल विमेन ऑफ करेज का अवार्ड दिया गया. मिशेल ओबामा ने उन्हें ये अवार्ड दिया, इससे वो इंटरनेशनल मीडिया में नज़र आनी शुरू हुईं. उन्होंने एक चैनल के लिए एंकर का काम किया. कई रैम्प शोज़ किए. स्टॉप एसिड अटैक नाम का कैम्पेन शुरू किया. इसी साल अपने पिता और भाई दोनों को खो दिया. अपने साथ कैम्पेन चला रहे एक्टिविस्ट आलोक दीक्षित से प्यार हुआ. दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में आ गए. इनकी एक बेटी हुई पिहू. इनके शादी न करने के पीछे की वजह इन्होंने ये दी थी,
‘हमने मरते दम तक साथ रहने का निर्णय लिया है. लेकिन हम सोसाइटी को चैलेन्ज कर रहे हैं शादी ना करके. हम नहीं चाहते कि लोग हमारी शादी में आएं और मेरे लुक्स पर कमेन्ट करें. एक दुल्हन के लुक्स ही लोगों के लिए सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होते हैं. इसलिए हमने कोई भी रस्म ना करने का डिसीजन लिया है’.
इतना सब कुछ होने के बाद लक्ष्मी ने काफी स्ट्रगल किया. पिछले साल खबर आई थी कि वो आर्थिक मुश्किलों से जूझ रही हैं. उनके लिव-इन पार्टनर आलोक उनसे अलग हो गए थे, ये कहकर कि दोनों के बीच आपसी सहमति नहीं है. उनकी बेटी पिहू की कस्टडी लक्ष्मी के पास है. लेकिन आलोक के पास पैसे नहीं थे कि वो किसी भी तरह से उनकी मदद कर सकते, ऐसा उन्हों एखुद एक इंटरव्यू में कहा. जब ये खबर आई, तब लक्ष्मी की कहानी लोगों की नज़रों में फिर आई, और उन पर आने वाली फिल्म भी अनाउंस हुई. हालांकि फिल्म उन्होंने 2016 में ही साइन कर ली थी, अनाउंस अब हुई है.
हालांकि ये कहना कुछ ज्यादा ही आशावादी लग सकता है लेकिन उम्मीद है कि इस फिल्म के आने के बाद एसिड अटैक और एसिड की बिक्री पर बातचीत बढ़ेगी. अभी तक सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बावजूद एसिड अटैक्स में ना तो कोई कमी आई है, ना ही एसिड का बिकना बंद हुआ है. नियम-कायदों को ताक पर से कभी उतारा ही नहीं गया था, तो उन्हें वापस रखने का सवाल पैदा नहीं होता. शीरोज़ नाम से आगरा और लखनऊ में दो कैफे चल रहे हैं जहां का पूरा स्टाफ एसिड अटैक सर्वाइवर्स का है. यहां पर आने वाले लोग अपनी मर्ज़ी से पैसे देते हैं, चाहे जितने. मकसद है एसिड अटैक के बाद समाज और दुनिया से काट दी गई लड़कियों को अपनी जीवनी कमाने का मौका मिले.
मेघना गुलज़ार की इस फिल्म को प्रोड्यूस भी कर रही हैं दीपिका. इस फिल्म में उनके साथ विक्रांत मैसी दिखाई देंगे. वो इससे पहले वेब सीरीज मिर्ज़ापुर और फिल्म डेथ इन अ गंज में दिखाई दिए हैं.
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