ख़ूबसूरत व मुस्कुराता चेहरा हर किसी को आकर्षित करता है, इसलिए इसका ख़्याल रखना भी ज़रूरी है. क्योंकि बदलती त्वचा की रंगत (Skin Color) आपके सेहत के राज़ (Health Secret) बयां कर देती है.
जिस तरह से हमारे मन की ख़ुशी चेहरे पर खिल कर दिखती है, जिससे हर कोई जान जाता है कि हम कितने ख़ुश हैं. ठीक उसी तरह हमारी त्वचा की रंगत, बदलाव आदि से हमारी सेहत का हाल भी पता चलता है. इस संबंध में क्योर स्किन की चीफ डर्मैटोलॉजिस्ट डॉ. चारू शर्मा ने उपयोगी जानकारी दी.
* यदि त्वचा चमकती हुई, गुलाबी रंगत लिए आकर्षक दिखती है, तो आप काफ़ी हद तक स्वस्थ हैं और अपनी सेहत का भी पूरा ख़्याल रखते हैं.
* यदि त्वचा पर कील-मुंहासे, दाग़-धब्बे, दाने, रूखापन आदि हो, तो यह शरीर में विटामिन, कैल्शियम, आयरन आदि की कमी के साथ-साथ किसी न किसी समस्या की ओर भी इशारा करते हैं.
* जब हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, तब हमारी नेचुरल ब्यूटी प्रभावित होने के साथ-साथ त्वचा की रंगत में भी बदलाव आने लगता है. त्वचा रूखी, पीली, बेजान-सी दिखने लगती है.
* यदि त्वचा की चमक फीकी दिखने लगे, चेहरे पर तेज न रहे, माथे पर अधिक लकीरें उभरने लगें, चेहरा बुझा-बुझा-सा रहे… तो ये सब बताते हैं कि आप बेहद तनावग्रस्त हैं. टेंशन जहां दिल की धड़कन बढ़ाता है, वहीं चेहरे पर रैशेज़, कम नींद आना, माथे पर बल पड़ना जैसी परेशानियां देने लगता है.
* जिस तरह दिल-दिमाग़ का एक-दूसरे से संबंध है, ठीक उसी तरह त्वचा व तनाव का भी गहरा संबंध है. यदि आप चिंता करते हैं, तनावग्रस्त रहते हैं, डिप्रेशन का शिकार होते हैं, तो इन सबका सीधा असर आपकी त्वचा पर पड़ता है. त्वचा की रंगत बदलने लगती है. इस कारण शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव भी पड़ने लगते हैं.
* यदि चेहरे पर कील-मुंहासे होने लगें, कुछ पुरुषों को तो छाती व पीठ पर भी होते हैं, जो टेंशन की ओर इशारा करते हैं. अमूमन तनाव-चिंता के कारण शरीर में कार्बोंहाइड्रेट की मात्रा बढ़ जाती है, जो इंसुलिन को प्रभावित करता है और यह सबसे बड़ी वजह होती है मुंहासे होने और बढ़ने की.
* यूं तो कई महिलाओं को माहवारी के समय भी मुंहासे निकलते हैं, लेकिन यदि वे तनावग्रस्त हैं, तो अधिक निकलते हैं और अधिक दर्द भी होता है.
* त्वचा अधिक रूखी हो जाना, खुजली होना, त्वचा पर चकत्ते बनना, जलन आदि एलर्जी व सोरायसिस होने के संकेत देते हैं.
* गले, नाक, ठोढी आदि के पास रेड कलर के पैचेस होने लगें, तो यह सोरायसिस के लक्षण होते हैं.
* चेहरे पर झुर्रियां अधिक होने लगें, तो यह विटामिन ई की कमी की ओर संकेत करते हैं.
* आंखों की सूजन आयोडीन की कमी की ओर इशारा करते हैं.
* आपका मुंह पेट की समस्याओं के बारे में और होंठ पेट और आंत के बारे में बताते हैं.
* यदि मसूड़ों से खून निकलता है, तो यह एसिडिटी की समस्या को दर्शाता है.
* सूखे होंठ पानी की कमी की ओर इशारा करते हैं.
* इसी तरह जब शरीर में आयरन की कमी होती है, तो होंठों के किनारे फटते हैं. इसके लिए बेहतरीन उपाय है दलिया व मसूर की दाल का सेवन करना.
* रूखे बाल व टूटे हुए नाख़ून बायोटिन की कमी के कारण होते हैं. इसके लिए टमाटर, सोया, सेम व अंडा खाना फ़ायदेमंद रहता है.
* जहां माथे से दिल, यूरिनरी संबंधी व छोटी आंतों के बारे में, तो वहीं आंखों के नीचे काले घेरों से न्यूट्रीशन की कमी के बारे में जानकारी मिलती है. यदि माथा लाल होने लगा है और उस पर परत पड़ने लगे, तो यह आपकी पाचन क्रिया की गड़बड़ी को
दर्शाता है.
* इसके लिए ज़रूरी है कि ढेर सारा पानी पीएं, इससे शरीर में मौजूद सारा टॉक्सिन निकल जाता है और पाचन क्रिया बेहतर होती है.
* साथ ही अच्छी नींद लेना भी ज़रूरी है.
* देर रात तक न जागें और लेट नाइट पार्टी में जाने से भी बचें.
* यदि होंठों के पास छोटे-छोटे दाने होने लगें, तो ये कब्ज़ की समस्या को उजागर करता है यानी आपका पेट ठीक नहीं रहता.
* अगर गालों में रैशेज़ पड़ जाते हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है. इसके लिए योग-ध्यान करना बेहतर उपाय है.
* भरपूर पानी पीएं, पर प्यार से मजबूरी में नहीं.
* मौसमी फल खाने के साथ-साथ सही मात्रा में गुड फैट लेते रहें.
* तनाव से दूर रहें, क्योंकि यह बहुत बड़ा कारण होता है त्वचा की रंगत को बदलने, नुक़सान पहुंचाने, बीमारियों आदि के पनपने के लिए.
* अच्छी त्वचा व सेहत के लिए ज़रूरी है कि कुछ चीज़ों से दूर रहा जाए, जैसे- अल्कोहल, शक्कर, डेयरी प्रोडक्ट्स.
* क्योंकि शक्कर का अधिक इस्तेमाल त्वचा को रूखी व बेजान बनाने के साथ-साथ रोमछिद्र को भी बंद कर देता है.
* व्हाइट ब्रेड, पास्ता, चावल का कम उपयोग करें, इनमें अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो त्वचा व सेहत को प्रभावित करते हैं.
* यदि आप अच्छी नींद लेते हैं, इसके बावजूद आंखों के नीचे कालापन है, तो यह सही व पर्याप्त न्यूट्रीशन न लेने की वजह से होता है. इसलिए पौष्टिकता से भरपूर संतुलित भोजन लें. यदि ज़रूरत हो, तो डायटीशियन की भी सलाह ले सकते हैं.
Source – Meri Saheli