नरेंद्र मोदी सरकार के ‘प्रभु’ के नाम से जाने गए सुरेश प्रभु देश के चंद तेजतर्रार और कर्मठ नेताओं में गिने जाते हैं. वर्तमान में वह वाणिज्य, उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसमंद नेताओं में शामिल हैं और मोदी की उनके प्रति लगाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मंत्रिमंडल में शामिल करने से चंद घंटे पहले उन्हें पार्टी में शामिल कराया गया और फिर रेल मंत्रालय जैसा अहम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी.
बतौर रेल मंत्री सुरेश प्रभु संसद में रेल बजट पेश करने वाले देश के अंतिम रेल मंत्री हैं क्योंकि 2016 से पहले तक रेल बजट आम बजट से एक दिन पहले हर साल पेश किया जाता था. लेकिन 21 सितंबर, 2016 में रेल बजट को आम बजट के साथ मर्ज कर दिए जाने से 92 साल की रेल बजट की परंपरा टूट गई. हालांकि उनके रेल मंत्री रहने के दौरान कई रेल हादसे हुए जिससे 3 सितंबर, 2017 को उनसे यह मंत्रालय ले लिया गया. उनकी जगह पीयूष गोयल को रेल मंत्रालय की कमान सौंप दी गई.
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4 बार लोकसभा सांसद रहे प्रभु मोदी सरकार में चंद उच्च शिक्षा प्राप्त मंत्रियों में से एक हैं. 2014 में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले ऑनलाइन माध्यम का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने शिवसेना छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया. फिलहाल वह इस समय आंध्र प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाने वाले सुरेश प्रभु का जन्म 11 जुलाई 1953 को मुंबई में हुआ था. प्रभु पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. सीए की परीक्षा में वह 11वें नंबर पर रहे थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा श्रद्धाश्रम विद्या मंदिर, दादर से पूरी की. इसके बाद उन्होंने एमएल दहानुकर कॉलेज विले पार्ले से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की. जर्मनी के फ्रेई यूनिवर्सिटी से प्रभु ने पीएचडी की डिग्री हासिल की.
सुरेश प्रभु ने एनडीए सरकार के दौर में अलग-अलग विभाग संभाला. वह रेल मंत्री, उद्योग मंत्री और पर्यावरण व वन मंत्री रह चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह पहली बार उद्योग मंत्री बनाए गए. इसके बाद उन्हें पयार्वरण मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया. फिर ऊर्जा मंत्री भी बनाए गए. इसके अलावा वह कई प्रतिष्ठित सरकारी और अर्धसरकारी पदों पर रहे हैं. प्रभु महाराष्ट्र स्टेट फाइनांस कमिशन के चेयरमैन भी रहे.
राजनीति में सक्रिय होने के बावजूद वह राजनीतिक बयान देने से बचते रहे हैं और उनका फोकस अपने काम पर ही होता है और यही कारण है कि वह नरेंद्र मोदी के खास बने हुए हैं. अब मोदी मंत्रिमंडल में वह 5 साल अपना काम कर चुके हैं. अब अगली लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है और देखना होगा कि वह इस बार संसद में किस रास्ते (लोकसभा या राज्यसभा) से जाते हैं.
Source – Aaj Tak