कीर्तन और आरती में ताली क्यों बजाते हैं?

कीर्तन और आरती (Kirtan And Aarti) में ताली (Clapping) बजाना हमारी धार्मिक मान्यता है. हम जब भी किसी मंदिर में जाते हैं या जब भी हमारे घर में पूजा होती है, तो कीर्तन और आरती में हम ताली ज़रूर बजाते हैं. आख़िर कीर्तन और आरती में ताली क्यों बजाते हैं? कीर्तन और आरती में ताली बजाने का क्या महत्व है? यदि ऐसे ही सवाल आपके मन में भी अक्सर आते हैं, तो यहां हम आपको बता रहे हैं कीर्तन और आरती में ताली बजाने के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व.

कीर्तन और आरती में ताली बजाने का धार्मिक महत्व
हमारे देश में प्राचीनकाल से मंदिरों में पूजा, आरती, भजन-कीर्तन आदि में ताली बजाने की परंपरा रही है. चाहे हमारे घर में पूजा हो रही हो या हम किसी में मंदिर में गए हों, भजन-कीर्तन व आरती शुरू होते ही हम सब एक साथ मिलकर ताली बजाते हैं. हम सब ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि हम अपने पूर्वजों को ऐसा करते देखते आए हैं. हमारे देश में प्राचीनकाल से ऐसी मान्यता है कि ताली बजाकर प्रभु का नाम भजने से सारे पाप दूर हो जाते हैं. ताली बजाने को सहज योग माना जाता है, यदि आप नियमित रूप से रोज़ाना ऐसा करते हैं, तो फिर आपको हठयोग की आवश्यकता नहीं है.

कीर्तन और आरती में ताली बजाने का वैज्ञानिक महत्व
डॉक्टर्स का कहना है कि हमारे हाथों में एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स अधिक होते हैं. ताली बजाने के दौरान हथेलियों के एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर अच्छा दबाव पड़ता है, जिससे हृदयरोग, फेफड़ों की बीमारियां जैसे अनेक रोगों में लाभ पहुंचता है और शरीर निरोगी बनता है. ताली बजाना एक तरह का व्यायाम है. इससे रक्तसंचार की रुकावट दूर होती है और रक्त का शुद्धिकरण होता है. स्वस्थ और निरोगी रहने के लिए भी ताली बजाना फ़ायदेमंद है इसलिए आप भी कीर्तन और आरती में ताली बजाने को अपना रोज़ का नियम बना लें. इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी, ऊर्जा मिलेगी और आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे.

Source – Meri Saheli

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