पुलवामा में आतंकी हमले की जिम्मेदारी लाने वाले जैश-ए-मोहम्मद का आका मुखिया मौलाना मसूद है. इसका जन्म पाकिस्तान के बाहावलपुर में 1968 को हुआ था. ग्यारह भाई-बहनों में अजहर 10वें नंबर का था. अजहर के पिता सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे. उसका परिवार डेयरी का करोबार भी करता था. मौलाना मसूद अजहर की पढ़ाई कराची के जामिया उलूम अल इस्लामिला में हुई थी. अजहर का संबंध हरकत-उल अंसार से भी रहा है. पहली बार अजहर को 1994 में गिरफ्तार किया गया था. उसको श्रीनगर में गिरफ्तार किया गया था. कंधार विमान कांड के बाद भारतीय जेलों में बंद मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद जैसे चरमपंथी नेताओं की रिहाई की मांग की गई और छोड़ दिया गया. जेल से छूटने के बाद मौलाना मसूद अजहर ने फरवरी 2000 में जैश-मोहम्मद नाम के आतंकी संगठन की नींव रखी जिसका मकसद था भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना. साल 2001 में भारतीय संसद में हमला हुआ जिसके पीछे जैश-ए-मोहम्मद का ही हाथ था. पाकिस्तान में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और लेकिन उसके खिलाफ सबूत नहीं दिए जाने से लाहौर हाइकोर्ट ने उसे छोड़ने के आदेश दिए गए. आतंकी मसूद अजहर के नापाक इरादों से अमेरिका भी अछूता नहीं रहा. साल 2002 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की गई. इस घटना के बाद अमेरिका ने मसूद अजहर को मांगा. साल 2003 में परवेज मुशर्रफ पर भी आत्मघाती हमला हुआ. इसके बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. दबाव बढ़ने के बाद उसे नजरंबद और हिरासत में ले लिया गया. लेकिन वह बच निकलने में कामयाब रहा.
कब-कब किए आतंकी हमले
जिस दिन इस आतंकी संगठन को बनाया गया उसको दो महीने बाद ही श्रीनगर के बादामी बाग में भारतीय सेना के मुख्यालय में हमला किया. यह एक आत्मघाती हमला था. इसके बाद जम्मू-कश्मीर सचिवालय की इमारत पर भी हमला किया. साल 2001 में विस्फोटक पदार्थों से भरी कार से जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में हमला किया. इस घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी. साल 2001 में ही संसद और साल पंजाब के पठानकोट में हुए हमले इसी आतंकी संगठन का हाथ था. वहीं उड़ी में सेना के कैंप में हुए हमले में भी इसी आतंकी संगठन का हाथ था जिसमें 18 सैनिक शहीद हुए थे.
चीन करता रहा है अड़ंगेबाजी
पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में शामिल कराने की कोशिशों पर चीन हर बार कोई ना कोई रोक लगता रहा है. चीन का कहना है कि मसूद अजहर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है. वहीं अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की इन कोशिशों से दोनों देशों के संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की कोशिश को रूकावट डाली थी.
Source – NDTV
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