कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अध्ययन में पाया गया है कि उम्र के साथ-साथ दिमाग का आकार भी छोटा होता जाता है, लेकिन कुछ लोगों की स्मरण शक्ति और आईक्यू उम्र बढ़ने के बावजूद अच्छी बनी रहती है। शोधकर्ताओं केे मुताबिक युवावस्था में दिमाग को ज्यादा इस्तेमाल करने से दिमाग लचीला बना रहता है।
‘न्यूरोबायोलॉजी ऑफ एजिंग जर्नल’ में प्रकाशित इस अध्ययन से जुड़े डेनिस चान के अनुसार, हमारा दिमाग कुछ हार्डवेयर के साथ ही शुरुआत करता है, लेकिन इसे और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है। इसे संज्ञानात्मक रिजर्व कहा जाता है। डॉक्टर चान का कहना है कि 35 से 65 साल के बीच आप जो कुछ करते हैं, उससे 65 की उम्र के बाद डिमेंशिया का जोखिम कम या ज्यादा होता है।
शोधकर्ताओं ने 66 से 88 साल की उम्र के 205 लोगों के दिमाग का एमआरआई किया। इसके बाद उनका आईक्यू टेस्ट लिया गया और उनके शौक के बारे में पूछा गया। उनके शौक को बौद्धिक, शारीरिक और सामाजिक गतिविधियों की तीन श्रेणियों में बांटा गया। शोध में पाया गया कि जवानी में की गई गतिविधियों से बाद में उनका आईक्यू निर्धारित हुआ। इससे पहले अन्य शोध में पाया गया था कि जो लोग शिक्षा में ज्यादा समय बिताते हैं, चुनौतीपूर्ण काम करते हैं उन लोगों में बाद में डिमेंशिया का खतरा भी कम होता है।
डॉक्टर चान इस अध्ययन से काफी उत्साहित हैं। उनके अनुसार, इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या काम करते हैं या कहां रहते हैं। परिजनों से बात करना या किताब पढ़ने में कुछ खर्च नहीं होता। यह सब आदतें आपके लिए अच्छी हैं।
Source- Amarujala
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