जानें कैसे नागरिकता देते हैं पाक-अफगानिस्तान-बांग्लादेश

राज्यसभा में बुधवार को पूरे दिन CAB (सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल) पर बहस छिड़ी रही. आखिर में देर रात ये बिल पास हो गया. इस बिल में बार-बार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों को नागरिकता देने का जिक्र भी आया. आइए जानते हैं, कि इन तीनों मुस्लिम देशों में नागरिकता के क्या नियम हैं. क्या ये तीनों देश सिर्फ धर्म के आधार पर नागरिकता देते हैं, या नियम इससे अलग हैं.

पाकिस्तान में ऐसे मिलती है नागरिकता
पाकिस्तान अपने नागरिकों को पाकिस्तानी नागरिकता अधिनियम 1951 के आधार पर नागरिकता देता है. इस अधिनियम में कई बार संशोधन किया गया है. साल 2000 में अंतिम बार इसमें संशोधन हुआ. इस अधिनियम को 23 वर्गों में विभाजित किया गया है. इनमें से नागरिकता देने के कुछ नियम यहां हम बता रहे हैं.

इस अधिनियम के मुताबिक वो पाकिस्तान के नागरिक हैं जिन लोगों के माता-पिता या दादा-दादी का जन्म पाकिस्तान (14 अगस्त 1947 के बाद) में हुआ. इसके अलावा वो लोग जिनके माता-पिता या दादा-दादी का जन्म 31 मार्च 1937 को भारत के क्षेत्र में हुआ था.

इसी में व्यवस्था की गई है कि वो लोग जो इस अधिनियम से पहले पाकिस्तान के क्षेत्र में चले गए थे, उन्हें भी यहां का नागरिक माना जाएगा.

जन्म से नागरिकता नियम के अनुसार 1951 अधिनियम के बाद पाकिस्तान में पैदा होने वाला कोई भी व्यक्ति पाकिस्तानी नागरिक है. इसमें उन्हें बाहर रखा गया है जिनके पिता को राज्य का दुश्मन माना जाता है या पिता पर कोई कानूनी प्रक्रिया के तहत रोक लगी है.

वंश नागरिकता के अनुसार यदि किसी माता-पिता के पास पाकिस्तानी नागरिकता है तो उस माता-पिता से पैदा हुए व्यक्ति को भी नागरिकता मिल सकती है.

प्रवासन द्वारा नागरिकता के नियम के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 1 जनवरी 1952 से पहले स्थायी रूप से रहने के इरादे से भारतीय क्षेत्र से पलायन करता है, तो उन्हें नागरिकता प्राप्त हो सकती है. यदि वो एक पुरुष है, तो उसकी पत्नी और बच्चों को भी पाकिस्तानी नागरिकता मिल सकती है.

अफगानिस्तान में ना‍गरिकता पाने का ये है नियम

अफगान राष्ट्रीयता कानून अफगान नागरिकता के अधिग्रहण, प्रसारण और नुकसान को नियंत्रित करने वाला कानून है. अफगानिस्तान जूस सोलि नियम का अनुसरण करता है और लोगों को जातीयता या लिंग की परवाह किए बिना अफगानिस्तान के नागरिक बनने की अनुमति देता है.

अफगान राष्ट्रीयता कानून सीमित जूस सोली के दोनों सिद्धांतों पर आधारित है, जिससे अफगानिस्तान में पैदा हुए व्यक्ति को विदेशी माता-पिता, जिनमें से एक का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था, अफगानी राष्ट्रीयता प्राप्त करता है. अगर 18 वर्ष की आयु तक अफगानिस्तान में रहेंगे तो वो भी अफगान कहलाएंगे.

बांग्लादेश में नागरिकता के लिए ये नियम

बांग्लादेश 1972 से पहले पूर्वी पाकिस्तान कहे जाने वाले पाकिस्तान का एक हिस्सा था. स्थापना के बाद, बांग्लादेश कानून ने उन लोगों को नागरिकता प्रदान की जो 25 मार्च 1971 को बांग्लादेशी बन गए थे.

नागरिकता अधिनियम 1951 के अनुसार बांग्लादेशी राष्ट्रीयता प्राप्त करने का एक तरीका जूस सैंगुनिस है. इसका मतलब है कि कोई भी नागरिकता प्राप्त कर सकता है चाहे वे बांग्लादेशी संप्रभु क्षेत्र में पैदा हुए हों या नहीं.

बांग्लादेशी नागरिकता मुख्य रूप से जूस सिनुजिन या रक्त के माध्यम से प्रदान की जाती है, भले ही वह जगह या जन्म की वैधता न रखते हों. इसलिए, बांग्लादेशी मिट्टी के बाहर अवैध रूप से बांग्लादेशी महिला से पैदा होने वाला कोई भी बच्चा अभी भी बांग्लादेशी नागरिक होगा.

वहीं बांग्लादेश में दो गैर-बांग्लादेशियों का बच्चा वहां का नागरिक नहीं होगा. यहां यदि बच्चे के माता-पिता ने भी प्राकृतिकता या वंश के माध्यम से अपनी राष्ट्रीयता हासिल कर ली है, तो भी ये नियम प्रतिबंधित है.

Source – Aaj Tak

   
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