फरीदा जलाल: वो एक्ट्रेस जिनको अपनी बहन बनाने के लिए एक्टर्स की लाइन लगी रहती थी

पंचगनी के सेंट जोसफ कॉन्वेंट से पढ़कर निकली एक लड़की टैलेंट कांटेस्ट में पहुंची. कमाल का परफॉर्म किया. फाइनल तक पहुंची. फाइनल में उसके साथ एक लड़का और पहुंचा. नाम था राजेश.

उस वक़्त कोई नहीं जानता था, कि एक दशक के भीतर वो लड़का बॉलीवुड का पहला सुपर स्टार बनेगा. और वो लड़की भारतीय सिनेमा की सबसे सफल, और प्यार की गई कैरेक्टर आर्टिस्ट बनेगी. लड़का आगे चलकर राजेश खन्ना हुआ, लड़की, फरीदा जलाल.

हां वही, जिन्हें आपने दिलवाले दुल्हनियां में देखा था. काजोल की मम्मी के रोल में. जो लोग 90 के बाद बड़े हुए, उन्होंने फरीदा जलाल को हमेशा ऐसे ही रोल्स में देखा जिनमें वो हीरो या हीरोइन की मां के रोल में नज़र आईं. कभी डांटती, कभी हंसती, कभी आंखों में आंसू भरे, लेकिन हमेशा अपने बच्चों के इर्द गिर्द सिमटी. उनके इन किरदारों से पहले भी एक फरीदा थीं. वो फरीदा जो हीरो की बहन बनकर स्क्रीन पर खुद बच्ची बन जाती थीं. खिलखिलाती थीं. शतरंज के खिलाड़ी फिल्म में मीर रोशन अली की पत्नी नफ़ीसा बन अपनी ही छवि में खो जाती थीं.

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फरीदा ने अपना करियर तकदीर फिल्म से शुरू किया. साल था 1967. आराधना फिल्म में राजेश खन्ना के अपोजिट फरीदा जलाल हीरोइन बनीं. लेकिन उसके बाद अगले ही साल फिल्म आई गोपी, जिसने उन्हें बॉलीवुड की ‘दुलारी बहन’ वाली इमेज में बांध दिया. फरीदा एक इंटरव्यू में बताती हैं,

‘सब कुछ गोपी से शुरू हुआ जिसमें मुझे दिलीप कुमार साहब की बहन का रोल ऑफर किया गया. मना करना तो दूर, मैं इस ऑफर के लिए उछल पड़ी. अगर मुझे सिर्फ सेट पर जाकर उनको देखने का मौका मिलता तो भी मैं वो करती. मैं उनको बेहद पसंद करती हूं. मुझे याद है उन दिनों हर एक्टर दिलीप साहब की कॉपी कर रहा था, चाहे धर्मेन्द्र हों, जीतेंद्र हों या मनोज कुमार हों. मैं दिलीप साब की बहन के रूप में डिमांड में थी. हर हीरो को फिर वही चाहिए था. हर एक्टर मुझे अपनी बहन के रोल में देखना चाहता था’.

देख भाई देख में सुहासिनी दीवान हों, या शरारत में उनका सुषमा मेहरा नाम से चुलबुला नानी का किरदार, हर एक में उन्होंने अपनी एक्टिंग का दीवाना बना दिया लोगों को. मम्मो फिल्म में उनके किरदार को लोगों ने बहुत सराहा था. इस फिल्म को नेशनल फिल्म अवार्ड मिला था.

स्टूडेंट ऑफ द ईयर में भी सिद्धार्थ मल्होत्रा के किरदार अभिमन्यु की दादी के रोल में वो नज़र आई थीं. उसके बाद बत्ती गुल मीटर चालू में ललिता की दादी के रूप में नज़र आईं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि आजकल के राइटर्स को उम्रदराज़ एक्ट्रेसेज के लिए बेहतर रोल लिखने चाहिए. अब इंतज़ार इस बात का है कि कब ऐसा कोई नया रोल लिखा जाए, और कब फरीदा जलाल दुबारा स्क्रीन पर उतरें. और कब फिर से उनके चेहरे को देख कर वो सभी किरदार साथ जी लिए जाएं, और कुछ नए भी.

Source – Odd Nari

   
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