मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बीते दिनों नाराज होकर गुरुग्राम पहुंचे दिग्विजय सिंह खेमे के कुछ विधायकों को किसी तरह कमलनाथ मनाने में सफल रहे थे कि अब सिंधिया खेमे के कई लापता विधायकों ने टेंशन दे दी है. फोन बंद कर कई विधायक बेंगलुरु पहुंच गए हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक ऐसे विधायकों की संख्या 17 हो चुकी है. पहले 10 विधायकों के बेंगलुरु पहुंचने की खबर थी. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने कमलनाथ को चुनौती दी हो लेकिन वे इससे पार पाते रहे हैं. वे बीजेपी को खुली चुनौती भी देते रहे हैं कि सरकार गिराकर दिखाए.
संभाला कई मंत्री पद
बता दें कि कमलनाथ की गिनती देश के उन दिग्गज राजनेताओं में होती है जो ऐसी संकट की स्थिति में खुद को उबारते रहे हैं. कमलनाथ की राजनीति शुरू से पैनी रही तभी उन्होंने प्रदेश स्तर से लेकर केंद्र तक अपनी महत्ता हमेशा बनाए रखी. 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ कांग्रेस के प्रमुख अनुभवी नेताओं में से एक हैं. वे 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री, 1995 से 1996 केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री, 2012 से शहरी विकास मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री 2014 तक रहे.
सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ कमलनाथ का संगठन में भी खासा अनुभव है. उन्होंने 1968 में युवा कांग्रेस से राजनीतिक पारी की शुरुआत की. 1976 में उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस का प्रभार मिला, 1970 से 81 अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे, 1979 में युवक कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के पर्यवेक्षक, 2000 से 2018 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे.
कई उपलब्धियां हैं कमलनाथ के नाम
वे कई शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े हुए हैं. उन्हें सन 2006 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया. 1991 में पृथ्वी सम्मेलन रियो डी जेनेरियो में भारत का कुशल प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद द्वारा प्रशस्ति देकर सम्मानित किया गया. वहीं 1999 में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय लंदन द्वारा व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया, वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम में 14 बार लगातार भारत का नेतृत्व किया. कमलनाथ ने 1982 से 2018 तक 600 से अधिक विदेशी यात्राएं कीं. संयुक्त राष्ट्र संघ की सधाारण सभा से लेकर अंतरराष्ट्रीय संसदीय सम्मेलनों और सभी प्रमुख देशों में सम्मेलनों गोष्ठियों में सम्मिलित हुए. उन्होंने भारत की शताब्दी एवं व्यापार निवेश उद्योग नामक पुस्तक भी लिखी है.
Source – Aaj Tak