लंबे समय से बीमार रहने के बाद दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन हो गया। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार (7 जुलाई) को सुबह 7 बजकर 30 मिनट में निधन हो गया। अभिनेता पिछले कुछ दिनों से उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें 30 जून को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था। अभिनेता की पत्नी सायरा बानो पूरे समय उनके साथ थीं और उन्होंने प्रशंसकों को आश्वासन दिया था कि उनकी हालत स्थिर है। दिलीप कुमार के निधन से उनके फैंस के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। बॉलीवुड हस्तियों ने भी सोशल मीडिया पर दिलीप के निधन पर शोक जताया है।

दिलीप कुमार भारतीय सिनेमा जगत के ट्रेजेडी किंग और पहले खान सुपरस्टार के रूप में पहचाने जाते हैं। पांच दशक से भी लंबे समय के करियर में उन्होंने दर्जनों ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं। उन्होंने साल 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। वहीं 1998 में फिल्म ‘किला’ में वह आखिरी दफा नजर आए। दिलीप कुमार के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले भारतीय अभिनेता के तौर पर दर्ज है। इनमें सर्वोत्तम अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल हैं।

दाग (1952)

इस फिल्म में दिलीप कुमार ने शंकर का किरदार निभाया है जो अपनी विधवा मां के साथ गरीबी में जीवन जी रहा है। खिलौने बेचकर वह अपना जीवन यापन करता। उसे शराब पीने की लत पड़ जाती है। वह पार्वती (निम्मी ) को अपना दिल दे बैठता है। अपनी मां से बहस करने के बाद वह अपना जीवन बदलने का फैसला करता है।हालांकि उसके अतीत के दुश्मन उसके भविष्य को लगातार प्रभावित करते हैं। इस फिल्म का निर्देशन अमिय चक्रवर्ती ने किया है। इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार ने अपने करियर का पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का किरदार जीता था।

देवदास (1955)

1955 मे बनी यह फिल्म शरतचंद्र चटोपाध्याय के उपन्यास ‘देवदास’ पर आधारीत है। फिल्म में दिलीप कुमार ने देवदास का किरदार निभाया था जो एक आकर्षक युवक होता है जो शराब के शिकंजे में फंस जाता है। फिल्म को बहुत अधिक सफलता मिली थी। देवदास हिंदी फिल्म जगत की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में एक है। दिलीप कुमार के साथ ही साथ पारो और चंद्रमुखी का किरदार निभाने वाली सुचित्रा सेन और वैजयंती माला के अभिनय को भी समीक्षकों द्वारा सराहा गया। इस फिल्म के जरिए दिलीप कुमार को सिनेमा जगत में एक सशक्त अभिनेता के तौर पर पहचान मिली।

आजाद (1955)

एस० एम० श्रीरामुलु नायडू निर्देशित इस फिल्म में दिलीप कुमार ने एक अमीर व्यक्ति और कुख्यात डाकू आजाद का किरदार निभाया है। फिल्म में शोभा (मीनाकुमारी) अगवा कर ली जाती हैं। उनके करीबी उन्हें ढूंढने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन उनका पता नहीं चलता है। फिर कुछ समय बाद जब शोभा वापस आती है और बताती है कि उसे आजाद ने बचाया और उसका काफी ख्याल रखा। वह आजाद से शादी करना चाहती है। हालांकि शोभा का परिवार इसके खिलाफ होता है।

नया दौर (1957)

आजादी के बाद की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म की कहानी, गानें और एक्टिंग लोगों को खूब पसंद आई थी। बी. आर चोपड़ा निर्देशित इस फिल्म में दिलीप कुमार ने शंकर नामक एक तांगेवाले की भूमिका अदा की है जो बस की वजह से तांगेवालों की जीविका खत्म होने के खिलाफ लड़ता है। फिल्म में वैजयंती माला, अजीत और जीवन भी मुख्य किरदार में हैं।

मुगल-ए-आजम (1960)

के. आसिफ निर्देशित यह फिल्म सिनेमा जगत की ऐसी फिल्म है जो फिर कभी दोबारा नहीं बनाई जा सकी। फिल्म में दिलीप कुमार ने अकबर के बेटे शहजादे सलीम का किरदार निभाया था। जिन्हें अपने दरबार की ही एक कनीज नादिरा (मधुबाला) से प्यार हो जाता है। दोनों के इस प्यार से अकबर नाराज हो जाते हैं। दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं लेकिन अकबर इसकी इजाजत नहीं देते हैं और दोनों को जुदा करने के लिए जी जान लगा देते हैं। फिल्म में दिलीप कुमार ने जिस तरह से इश्क में डूबे शहजादे का रोल प्ले किया है वह आज भी एक मिसाल है।

कोहिनूर (1961)

कहा जाता है कि फिल्मों में लगातार दुखों से भरे किरदार करने का असर दिलीप कुमार के निजी जीवन पर भी पड़ने लगा था। जिसके बाद उन्हें दूसरे तरह के किरदार करने की हिदायत दी गई। दिलीप कुमार ने इसके बाद फिल्म ‘कोहिनूर’ का चयन किया। फिल्म में दिलीप कुमार के अपोजिट मीना कुमारी हैं। दोनों राजकुमार और राजकुमारी के किरदार में हैं। फिल्म में दोनों तलवारबाजी और डांस करते हुए नजर आ रहे हैं। इस फिल्म के हास्य से भरपूर अदाकारी को दर्शकों ने खूब पसंद किया था।

Source – Amar Ujala

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