दिल्ली के इतिहास में पहली बार डेंगू का नया रूप देखने को मिल रहा है। एम्स से लेकर निजी अस्पतालों तक में इन दिनों ऐसे मरीज डेंगू ग्रस्त मिल रहे हैं, जिन्हें न तो सिरदर्द हुआ और न ही बुखार आया, लेकिन कमजोरी और प्लेटलेट्स कम होने के कारण इन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। एम्स के ही डॉक्टरों का कहना है कि उनके यहां भी इस तरह के मरीज आए हैं, जिसके बाद एक अध्ययन में ये साबित हो चुका है कि डेंगू यानि एडीज मच्छर के वायरस और स्ट्रेन में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि ये बदलाव जानलेवा नहीं है, लेकिन चिंताजनक जरूर हैं।

अभी तक डेंगू से पहले इंसान को बुखार की परेशानी होती है। कहा ये भी जाता है कि डेंगू के मरीज को 100 डिग्री तापमान बना रहता है। पैरासिटामॉल और ग्लूकोज के जरिए मरीज का उपचार भी किया जाता है। मगर एम्स में कुछ असाधारण केस ऐसे भी आए हैं, जिसमें डेंगू का शिकार हुए व्यक्ति को बुखार नहीं आया। कुछ समय पहले ऐसा ही एक मामला 50 वर्षीय मरीज के रूप में देखने को मिला था, जिसे किसी तरह का बुखार नहीं आया, बावजूद इसके उन्हें डेंगू ग्रस्त पाया गया। एम्स का ये अध्ययन ‘जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया’ में भी प्रकाशित हुआ है।

वहीं, सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि इन दिनों कुछ इसी तरह के मरीज उनके यहां भी देखने को मिल रहे हैं। इन मरीजों में समय पर डेंगू की पहचान होना मुश्किल है। थकान और कमजोरी के चलते जब मरीज अस्पताल पहुंचता है, तब ब्लड टेस्ट कराने पर उसमें बीमारी की पुष्टि हो रही है। वहीं, मैक्स अस्पताल के डॉ. विवेक कुमार का कहना है कि मरीजों में अगर ल्यूकोपीनिया यानि व्हाइट सेल्स और प्लेटलेट्स में कमी देखी जाए तो बुखार न होने पर भी मरीज की डेंगू जांच की जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि अगर किसी इंसान को बगैर ठोस कारण रक्तचाप में गिरावट या कमजोरी महसूस हो रही हो तो वह तत्काल अपना ब्लड टेस्ट कराए। साथ ही डॉक्टर से परामर्श भी लें। दरअसल, दिल्ली में डेंगू बहुत तेजी से फैल रहा है। पिछले एक माह के भीतर साल के सबसे ज्यादा मरीज अस्पतालों में मिले हैं। निगम आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में इस समय डेंगू ग्रस्त मरीजों की संख्या करीब दो हजार के पार हो चुकी है, जबकि एक बच्ची की मौत भी बीते दिनों इसके कारण हुई है।

Source – Amar Ujala

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