जगदीप को पढ़ाने के लिए यतीमखाने में खाना पकाती थीं मां, ऐसे गुजरा बचपन

सूरमा भपाली के नाम से मशहूर जगदीप का बुधवार रात निधन हो गया. जगदीप की जिंदगी स्ट्रगलभरी रही है. उनका बचपन तो काफी दिक्कतों से भरा था. जगदीप की मां यतीमखाने में काम कर घर चलाती थीं.
अपनी इस स्ट्रगलभरी जर्नी के बारे में जगदीप ने बताया भी था. एक इंटरव्यू में जगदीप ने बताया था- ‘हिंदुस्तान-पाकिस्तान बना, सब तितर-बितर हुआ. बहुत ज्यादा लोग परेशान हुए.’
‘मेरे एक भाई बॉम्बे में रहते थे. तो मेरी मां मुझे ले आई, मैं तब 6-7 साल का था. जब मुंबई आया तो कुछ नहीं था. सब बर्बाद हो गया था, कोठी, बंगला, पैसा सब खत्म हो गया था.’
‘तो मेरी मां ने यतीमखाने में रोटी बनाकर मुझे पाला और मुझे स्कूल में दाखिल किया. मुझे ऐसा लगा कि इतने सारे बच्चे सड़कों पर काम कर रहे हैं और मेरी मां इतनी मेहनत कर रही हैं.’
‘यतीमखाने में खाना बना रही है मुझे पढ़ाने के लिए, किस काम की ये पढ़ाई. उससे बेहतर ये है कि मैं भी कुछ काम करूं, इन बच्चों की तरह ताकि कुछ आगे जिंदगी बढ़ें.’
जगदीप ने कहा, “तो मैंने मां से कहा कि मैं कुछ काम करना चाहता हूं, तो उन्होंने कहा कि नहीं बेटा आपको पढ़ना चाहिए. तो मैंने अपनी मां से कहा कि इस पढ़ाई में क्या रखा है जब मैं आपको सुख नहीं दे पा रहा हूं. वो लड़का काम करके खुश है, अपनी मां को पाल रहा है.’
‘तो ये सुनकर वो रोने लगीं. तो उन्होंने कहा कि तू देख ले क्या करना चाहिए.’
जगदीप ने बताया- ‘इसके बाद मैं टीन के कारखाने में काम करने लगा, फिर कुछ पतंगे बनाने का काम भी किया. जो-जो काम सामने आता गया हम करते चले गए. जिंदगी चलती चली गई.’ मालूम हो कि इसके कुछ समय बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया में एंट्री कर ली थी.
Source – Aaj Tak
   
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