रेलमंत्री पीयूष गोयल की ‘इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस’ नाम की नई सेवा की घोषणा के बाद रेल यूनियनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। यूनियन पदाधिकारियों का आरोप है कि रेल मंत्रालय विवेक देबराय कमेटी की रिपोर्ट लागू करने पर आमादा है। यह निजीकरण की ओर रेलवे द्वारा बढ़ाया जा रहा कदम है। नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन (एनसीआरएमयू) और नार्थ सेंट्रल रेलवे इंपलाईज संघ (एनसीआरईएस) ने इस मामले में विरोध प्रदर्शन की तैयारी की है।
मेंस यूनियन के महामंत्री आरडी यादव की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कार्यालय में हुई बैठक में कहा गया कि रेल मंत्रालय में आठ सेवाओं को मिलाकर मैनेजमेंट सर्विस नाम की सेवा बनाने का निर्णय लिया है। सरकार कह रही है कि विभिन्न विभागों में गुटबाजी से कामकाज प्रभावित हो रहा है लेकिन सरकार का यह आधार गलत है। इस सर्विस लागू होने के बाद रेलवे तेजी से निजीकरण की ओर बढ़ेगी। इसके विरोध में यूनियन शीघ्र ही बैठक कर आगे की रणनीति बनाएगी। इंपलाइज संघ के महामंत्री आरपी सिंह ने भी कहा कि रेलवे बोर्ड स्तर पर विभागों का विलय पूर्व की राकेश मोहन एवं देबराय कमेटी की रिपोर्ट के तहत रेलवे बोर्ड को खत्म करने की शुरूआत है। इस कदम से जमीनी स्तर पर जारी विभागों की खींचतान को खत्म करने का दावा निर्रथक है। एनसीआरईएस कर्मचारियों की छंटनी, निजीकरण के विरोध में इलाहाबाद, आगरा, झांसी मंडल में धरना प्रदर्शन एवं रैली शीघ्र ही करेगा। मेंस यूनियन के मंडल मंत्री शीतला प्रसाद श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि इस निर्णय से रेलवे पिछले दरबाजे से उद्योगपतियों को रेल सौंपे जाने की कार्रवाई शुरू कर रही है।
Source – Amar Ujala
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