कभी एथलीट नहीं बनना चाहती थीं हिमा दास, जीते 18 दिन में 5 गोल्ड मेडल

भारत की नई उड़न परी हिमा दास ने शनिवार को एक और गोल्ड मेडल जीता. उन्होंने चेक रिपब्लिक में जारी एक इंटरनेशनल इवेंट में 400 मीटर रेस का गोल्ड मेडल हासिल किया. यह दौड़ उन्होंने 52.09 सेकंड में पूरी कर ली.

आपको बता दें, भारत की युवा ऐथलीट हिमा दास ने 18 दिन में 5वां गोल्ड मेडल जीतकर दुनिया भर में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया है. आइए जानते हैं कैसे शुरू हुआ उनका करियर, किस कोच ने दी थी ट्रेनिंग.

हिमा पिछले साल चर्चा में आई थीं जब उन्होंने जुलाई 2018 में IAAF वर्ल्ड अंडर- 20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ में पहला स्थान हासिल कर गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था. हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की थी.

हिमा का जन्म असम के नौगांव जिले के कांदुलिमारी के एक किसान परिवार में 9 जनवरी 200 में हुआ था. उनके पिता चावल की खेती करने वाले किसान हैं. हिमा चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं. उनकी दो छोटी बहनें और एक भाई है. एक छोटी बहन दसवीं कक्षा में पढ़ती है, जबकि जुड़वां भाई और बहन तीसरी कक्षा में हैं. हिमा ने अपने गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित ढींग के एक कॉलेज में बारहवीं की पढ़ाई की है. इसी साल उन्होंने असम बोर्ड की कक्षा 12वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की है.

हेमा ने कभी नहीं सोचा था कि वह भविष्य में एथलिट बनेंगी. वह लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं. एक बार स्थानीय कोच ने उन्हें सलाह देते हुए कहा था कि फुटबॉल की बजाए उन्हें एथलेटिक्स में अपना करियर बनाना चाहिए.

जब पड़ी कोच निपॉन की नजर

हिमा पर कोच निपॉन की नजर उस वक्त पड़ी जब वह ‘स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर’ के डायेरक्टर के साथ बैठे थे. उस वक्त उन्होंने देखा एक लड़की ने काफी सस्ते स्पाइक्स (खिलाड़ी के कीलदार जूते) पहने हुए थे, लेकिन फिर भी उसने 100 और 200 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया. आपको बता दें, उनके कोच ने कहा- हिमा हवा की तरह दौड़ रही थी. मैंने इतनी कम उम्र में ऐसी प्रतिभा किसी के अंदर नहीं देखी थी.

आपको बता दें, गुवाहटी आने के बाद कोच ने हिमा के लिए सरसाजई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पास एक किराए के घर की व्यवस्था की. जिसके बाद उन्होंने हिमा के लिए अधिकारियों से राज्य अकादमी में शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट की जो मुक्केबाजी और फुटबॉल में मशहूर था. वहीं “एथलेटिक्स के लिए कोई अलग विंग नहीं थी, लेकिन हिमा के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें अकादमी का हिस्सा बना लिया गया.

वहीं हिमा के माता- पिता इस बात पर बिल्कुल राजी नहीं थे कि हिमा कहीं दूर जाकर ट्रेनिंग करें. लेकिन हिमा के कोच निपॉन ने परिवार वालों को जैसे तैसे राजी कर लिया. जिसके बाद हिमा दास को उनके कोच ने ट्रेनिंग देनी शुरू की और बहुत जल्द ही वह बेहतरीन स्पीड पकड़ने में सफल हो गईं.

Source – Aaj Tak

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