मनोज कुमार अपने जुनून के चलते भगत सिंह की मां से मिलने चले गए थे

एक दिन अपने कुछ दोस्तों के साथ फ़िल्म देखने गया. कैसे मिस कर सकता था? दिलीप कुमार की फ़िल्म. नाम – शबनम. उसमें दिलीप कुमार के करैक्टर का नाम था मनोज कुमार. बस तब से हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी ने भी अपना नाम ‘मनोज कुमार‘ रख लिया. हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली से मुंबई आ गया.

मनोज कुमार नाम ज़्यादा दिन नहीं चला.

न न आप गलत समझ रहे हैं. दिल्ली से आया बंदा तो खूब चला लेकिन उसका नाम उसके फैन्स ने बदल के भारत कुमार कर दिया.

क्यूंकि बंदा एक से बढ़कर एक हिट फ़िल्म दिए जा रहा था. और हर फ़िल्म में होता था देशभक्ति का तड़का. और मनोज कुमार द्वारा निभाए जाने वाले करैक्टर का नाम भारत कुमार.

ये देशभक्ति की फ़िल्में शुरू हुईं 1965 में आई ‘शहीद‘ से. ‘शहीद में उन्होंने भगत सिंह का किरदार निभाना था. और मेथड एक्टिंग की इंतेहा क्या होगी कि अपने किरदार को समझने के लिए वो विद्यावती कौर से मिलने चले गए. विद्यावती, भगत सिंह की मां थीं.

शहीद रिलीज़ हुई सुपरहिट हुई. और उसके बाद? ‘उपकार‘, ‘पूरब और पश्चिम‘, ‘रोटी कपड़ा और मकान‘, ‘क्रांति‘ जैसी ढेरो ब्लॉकबस्टर फ़िल्में. सबमें एक चीज़ कॉमन – देशप्रेम.

मनोज की सिग्नेचर स्टाइल बन गई थी एक हाथ को चेहरे में रखकर डायलॉग डिलीवरी करना. इसे दो सुपरस्टार्स ने कॉपी किया है. और दोनों का ही मनोज कुमार के साथ मज़ेदार रिश्ता रहा है. पहला सुपरस्टार – शाहरुख़ खान जिन्होंने ‘ओम शांति ओम‘ में दिलीप की मिमिक्री की थी. शाहरुख़ और मनोज दोनों ही दिल्ली के लौंडे थे.

दूसरी बार उनकी मिमिक्री रणवीर सिंह ने की. रणवीर की दादी चांद ने मनोज कुमार के साथ ‘पहचान’ (1970) नाम की फ़िल्म में चंपा का किरदार निभाया था.

शाहरुख़ खान से जहां मनोज कुमार नाराज़ हो गए और उनके खिलाफ़ केस कर दिया था वहीं रणवीर सिंह के लिए उन्होंने कहा कि रणवीर अच्छी मिमिक्री करता है.

Source – lallanTop

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