जाने माने जैव-चिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ कुमैल को इस उपाय को खोजने का श्रेय दिया जाता है। डॉ. सिद्धार्थ कुमैल ने इस क्रांतिकारी उपाय की खोज तब की जब वह एम्स नई दिल्ली के प्रतिष्ठित अनुसंधान विभाग में काम कर रहे थे.
एक स्वादिष्ट अफ्रीकन बेरी, जो कांगो के सुदूर क्षेत्र में पाया जाता है। अफ्रीकन जनजाति शिकार में जाने से पहले अपनी पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए इन फलों का सेवन करती है जिससे कि वो अधिक चुस्ती और ऊर्जा बनाए रखें।
चिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ कुमैल – मैं फल को ओवन की मदद से सुखा दिया, उसे पीस दिया फिर सेलाइन सॉल्यूशन में मिला दिया। फिर मैंने सॉल्यूशन प्रयोगशाला में उगाए मोटे टिश्यू पर डाल दिया और सबसे बेहतर की कामना करते हुए घर चला गया।
अगली सुबह जब मैं प्रयोगशाला में आया तो मैं देखकर दंग रह गया कि आधी चर्बी पिघल गई थी। मैं अपनी आंखों पर भरोसा नहीं कर पा रहा था। मैंने अपने रिसर्च और औषधि के इतने सालों में ऐसा कभी नहीं देखा था कि एक सामान्य से फल ने सच में चर्बी को कम कर दिया था। वही चर्बी जिसे कम करना कभी असंभव कहा जाता था। रासायनिक स्तर पर फल ने चर्बी को कम करने में रफ्तार दी थी और वसा ऊतकों में कोशिकाओं की पाचन क्षमता को बढ़ा दिया था
मुझे पता था मेरे पास वक्त बिल्कुल भी नहीं था इसलिए मैं रोजाना अपना खाना बढ़ाने लगा और नतीजे रिकॉर्ड करने लगा।
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एक हफ्ते बाद, मेरी ऊर्जा का स्तर बढ़ गया था और मुझे भूख भी नहीं लगा था। मुझे अपने आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था। मैंने 5.7 किलो वजन घटा लिया था। मैं प्रभावित तो हुआ था लेकिन आश्वस्त नहीं था। हो सकता है मैं केवल शरीर में पानी का वजन ही घटा रहा होऊंगा जैसा कि आप किसी डाइट के प्रारम्भ में घटाते हैं। मैंने फल लेना लगातार जारी रखा और हर दिन मैं पहले से ज्यादा ऊर्जा के साथ उठता था। मैं पहले से ज्यादा गहरी नींद में सोने लगा। मैं अब रात में ज्यादा देर तक नहीं जगता था क्योंकि मेरा शरीर अब सच में आराम करने के लायक हो गया था (मुझे लगता है ये टॉक्सिन्स बंद करने का परिणाम है)। एक और हफ्ते बीतने पर मैंने 6.3 किलोग्राम और कम कर लिया था, मैंने महज 2 हफ़्तों में 12 किलोग्राम कम कर लिए थे
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