प्रेग्नेंसी का डिप्रेशन से है क्या नाता? शोध में हुआ ये बड़ा खुलासा

गर्भावस्था के दौरान महिलाएं विभिन्न शारीरिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरती हैं. इस दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन की वजह से वो कई बार नकारात्मक भी हो जाती हैं. जिसकी वजह से बच्चे को जन्म देने के बाद वो कई बार अवसाद का शिकार भी हो सकती हैं.

साइकोलॉजिकल एसेसमेंट जर्नल में प्रकाशित शोध-आलेख के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भवती महिलाओं में उनके बदलते शरीर के बारे में आने वाले विचारों से यह अंदाजा लगाने में सहायता मिल सकती है कि मां का उनके अजन्मे बच्चे से कितना लगाव है और बच्चे को जन्म के बाद उनकी भावनात्मक स्थिति कैसी रहेगी.

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इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ योर्क के शारीरिक छवि विभाग की एक मनोवैज्ञानिक कैथरीन प्रेस्टन ने कहा, “गर्भावस्था और बच्चे को जन्म देने के बाद भी महिलाएं अपने शरीर को लेकर लगातार दवाब में रहती हैं.”

उन्होंने कहा, “इसलिए यह जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान देखभाल सिर्फ मां और उसके अजन्मे बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य के की ही नहीं है, बल्कि महिला के भावनात्मक स्वास्थ्य की भी होनी चाहिए जो महिला के मां बनने के बाद के व्यवहार के बारे में बहुत जानकारी दे सकता है.”

शोधकर्ताओं ने अध्ययन में लगभग 600 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया, जिनसे गर्भावस्था के दौरान उनके शारीरिक आकार, वजन बढ़ने संबंधी चिंताओं और गर्भावस्था के दौरान होने वाली शारीरिक परेशानियों के बारे में पूछा गया.

शोध में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान अपने शारीरिक बदलाव के प्रति ज्यादा सकारात्मक बातें सोचने वाली महिलाओं के उनके साथी से बेहतर संबंध होने की संभावना ज्यादा रहती है.

Source – Aaj Tak

   
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