प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) के 11 प्रमुख लक्षण

महिलाओं के मन में लेबर पेन को लेकर कई तरह की शंकाएं और सवाल होते हैं। खासकर, पहली बार गर्भ धारण करने वाली महिलाएं प्रसव के समय होने वाले दर्द के बारे में सुनकर बहुत चिंतित हो जाती हैं। कई बार तो लेबर पेन से जुड़ी सही जानकारी के अभाव में गर्भवती महिलाएं गंभीर रूप से मानसिक तनाव का शिकार हो जाती हैं।

इस तनाव का मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम लेबर पेन यानी प्रसव पीड़ा से जुड़ी तमाम बातों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

लेबर पेन कब शुरू होता है?

लेबर पेन का डिलीवरी की तारीख से सीधा संबंध होता है। डिलीवरी की तारीख का अंदाज़ा लगाने के लिए, यह जानना ज़रूरी होता है कि गर्भवती महिला का आखिरी मासिक धर्म किस तारीख को शुरू हुआ था। इसके 40 सप्ताह के बाद आने वाली तारीख को डिलीवरी की तारीख माना जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि गर्भवती महिला को गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से लेकर 40वें सप्ताह के बीच कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकता है। अगर गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले प्रसव हो जाए, तो उसे प्री-मैच्योर डिलीवरी या समय पूर्व प्रसव कहा जाता है। (1)

अगर गर्भावस्था के 40वें सप्ताह के बाद भी डिलीवरी ना हो, तो कृत्रिम तरीके से डिलीवरी करवाई जाती है। इस प्रक्रिया को इंड्यूस लेबर (Induced labor) कहा जाता है। (2)

लेबर पेन शुरू होने के क्या लक्षण होते हैं?

कभी-कभी गर्भवती महिलाएं सामान्य दर्द और प्रसव पीड़ा के बीच फ़र्क नहीं कर पाती हैं। ऐसे में उन्हें काफ़ी देर से पता चलता है कि प्रसव का समय नज़दीक आ गया है। इसलिए, नीचे हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से लेबर पेन को आसानी से पहचाना जा सकता है :

1. शिशु का नीचे की ओर आना

प्रसव का समय नज़दीक आने पर, शिशु गर्भ के बिल्कुल निचले हिस्से में मौजूद पेल्विक क्षेत्र की ओर खिसकने लगता है। उसे सीने और पेट में हल्कापन महसूस हो सकता है।

2. तेज़ संकुचन होना

संकुचन की गति का बढ़ना प्रसव पीड़ा शुरू होने का सबसे बड़ा लक्षण होता है। शुरुआत में संकुचन की गति धीरे-धीरे बढ़ती है, लेकिन प्रसव की समय नज़दीक आने पर यह गति तेजी से बढ़ती है।

गर्भवती महिलाओं को एक अलग तरह का संकुचन भी महसूस हो सकता है, जिसे प्रोड्रोमल लेबर कहा जाता है। आमतौर पर ये संकुचन कुछ ही समय के लिए होते हैं और ये गर्भ में बच्चे की गलत स्थिति में होने का संकेत देते हैं।

. ग्रीवा में बदलाव

प्रसव का समय नज़दीक आने पर गर्भवती महिला की ग्रीवा पतली होकर फैलने लगती है। यह इस बात का संकेत होता है कि गर्भवती महिला के गर्भाशय का निचला भाग प्रसव के लिए तैयार हो चुका है। इसके अलावा, प्रसव के दौरान गर्भवती महिला की ग्रीवा 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है। इन दोनों लक्षणों के आधार पर लेबर पेन को पहचाना जा सकता है।

4. म्यूकस के साथ खून का आना

गर्भावस्था के पहले महीने में म्यूकस के साथ खून का आना प्रसव प्रक्रिया की शुरुआत होने का लक्षण हो सकता है। जब गर्भाशय ग्रीवा प्रसव के लिए तैयार होने के लिए परिपक्व होना शुरू करती है, तो म्यूकस प्लग बाहर निकलने लगता है और इसके साथ रक्त भी आ सकता है।

5. गर्भ में मौजूद पानी की थैली का फटना

गर्भवती महिला के गर्भ में एम्नियोटिक द्रव से भरी एक थैली होती है। इस थैली को आम बोलचाल में ‘पानी की थैली’ भी कहा जाता है। पानी की थैली का फटना इस बात का संकेत होता है कि लेबर पेन शुरू होने वाला है। इसलिए, पानी की थैली के फटते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपसे इस द्रव के रंग के बारे में पूछ सकते हैं। अगर शिशु ने गर्भ के अंदर ही अपना पहला मलत्याग कर दिया है, तो पानी का रंग हरा नज़र आता है।

6. बच्चे के आने की तैयारी में जुट जाना

ऐसा देखा गया है कि डिलीवरी का समय नज़दीक आने पर गर्भवती महिलाएं बच्चे के आगमन से जुड़ी तैयारियों को लेकर काफ़ी सजग हो जाती हैं। अपनी नाज़ुक शारीरिक स्थिति के बावजूद वे घर सजाने के काम में जुट जाती हैं और बच्चे की ज़रूरत का सामान इकट्ठा करने लगती हैं। मेडिकल साइंस भी डिलीवरी के समय के साथ इन संकेतों के संबंध को प्रमाणित कर चुका है। इसलिए, लेबर पेन शुरू होने के समय का अंदाज़ा इन संकेतों के आधार पर लगाया जा सकता है।

7. भावनाओं में काफ़ी उतार-चढ़ाव होना

प्रसव का समय नज़दीक आने पर गर्भवती महिलाएं अचानक बहुत भावुक हो सकती हैं। उनका मूड लगातार बदल सकता है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है। ये सारे लक्षण शिशु के जन्म से पहले हार्मोन में बदलाव होने की वजह से नज़र आते हैं। जब ये लक्षण नज़र आने लगें, तो समझ लेना चाहिए कि प्रसव और लेबर पेन शुरू होने का समय करीब आ गया है।

8. पेट खराब होना

डिलीवरी की तारीख नज़दीक आने पर गर्भवती महिला को पेट खराब रहने की शिकायत हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो डिलीवरी से पहले गर्भवती महिलाएं कब्ज़ या फिर डायरिया का शिकार हो सकती हैं।

9. बहुत नींद आना

प्रसव का समय पास आने पर गर्भवती महिलाओं को बहुत नींद आ सकती है। उन्हें कमज़ोरी भी महसूस हो सकती है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं बार-बार सोने की कोशिश करती हैं, लेकिन बेचैनी के कारण उन्हें सोने में परेशानी होती है। ये प्रसव के साथ-साथ लेबर पेन शुरू होने के समय के करीब आने का लक्षण हो सकता है।

10. जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव होना

डिलीवरी का समय नज़दीक आने पर गर्भवती महिला को अपनी मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव महसूस हो सकता है। इसे प्रसव और लेबर पेन शुरू होने के समय के पास आने का संकेत माना जा सकता है।

11. वज़न का घटना या बढ़ना

डिलीवरी का समय नज़दीक आने पर गर्भवती महिला का वज़न अचानक बढ़ या घट सकता है। ऐसा होना बिल्कुल आम बात है और इससे बच्चे के वज़न पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।

गर्भवती महिला के वज़न में होने वाला यह उतार-चढ़ाव लेबर पेन के समय के पास आने का संकेत हो सकता है।

प्रसव का समय नज़दीक आने पर, शिशु गर्भ के बिल्कुल निचले हिस्से में मौजूद पेल्विक क्षेत्र की ओर खिसकने लगता है। उसे सीने और पेट में हल्कापन महसूस हो सकता है।

डॉक्टर को कब कॉल करना चाहिए?

आमतौर पर डॉक्टर इस बात की जानकारी गर्भवती महिला को पहले ही दे देते हैं कि उसे प्रसव पीड़ा महसूस होने पर क्या करना है। लेकिन, अगर डिलीवरी की तारीख नज़दीक हो और गर्भवती महिला को नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है :

हल्के लाल रंग का रक्तस्राव या स्पॉटिंग होना।

गर्भ में मौजूद पानी की थैली का फटना।

तेज़ सिर दर्द होना, धुंधला दिखना, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना, शरीर में सूजन आना।

गर्भ में शिशु की हलचल का कम हो जाना।

पीठ में दर्द होना।

गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले संकुचन महसूस होना। (10)

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लेबर पेन के दौरान क्या करना चाहिए?

अगर गर्भवती महिला को घर पर ही लेबर पेन शुरू हो गया है, तो उसे बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए। उसे संयम बरतते हुए नीचे दी गई बातों का ख्याल रखना चाहिए :

गर्भवती महिला को खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए। इसके लिए उन्हें खूब पानी या जूस पीना चाहिए। इससे प्रसव पीड़ा को सहन करने में मदद मिलती है।

लेबर पेन शुरू होने पर, गर्भवती महिला को लेट कर धीरे-धीरे सामान्य रूप से सांस लेने की कोशिश करनी चाहिए।

अगर गर्भवती महिला घर पर अकेली हो, तो उसे लेबर पेन शुरू होने पर अपने परिजनों को बुला लेना चाहिए।

लेबर पेन शुरू होते ही गर्भवती महिला को दूसरों की मदद से अस्पताल जाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

लेबर पेन की वजह से गर्भवती महिला को ज़्यादा तनाव नहीं लेना चाहिए और खुद को शांत रखना चाहिए।

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अगर संकुचन शुरू हुए बिना पानी की थैली फट जाए, तो क्या होता है?

ऐसा होने पर डॉक्टर कृत्रिम लेबर यानी इंड्यूस लेबर के ज़रिए डिलीवरी करवा सकते हैं। दरअसल, एम्नियोटिक द्रव के निकल जाने से शिशु को ग्रुप-बी स्ट्रेप्टोकोकस या किसी अन्य प्रकार के संक्रमण का खतरा हो सकता है। इससे बचने के लिए ही डॉक्टर कृत्रिम लेबर का सहारा लेते हैं। (11) (12)

लेबर पेन से पहले तनाव का सामना कैसे करें?

लेबर पेन के बारे में ज़्यादा सोचने से तनाव हो सकता है। खासतौर पर ऐसी महिलाओं के तनावग्रस्त होने का खतरा ज़्यादा रहता है, जो पहली बार मां बनने जा रही हैं। लेकिन, ज़रूरत से ज़्यादा तनाव मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। ऐसे में ज़रूरी है कि गर्भवती महिला खुद को डिलीवरी के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर पहले से तैयार करे। नीचे हम कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जो डिलीवरी से पहले गर्भवती महिला को लेबर पेन सहने के लिए तैयार करने में मदद कर सकते हैं :

गर्भ धारण करने के बाद गर्भवती महिला को ध्यान लगाने (मेडिटेशन करने) का अभ्यास करना चाहिए।

गर्भवती महिला को खुद को शांत रखकर सामान्य रूप से सांस लेने का अभ्यास करना चाहिए।

शरीर के सभी अंगों को आराम देने के लिए, गर्भवती महिला को नियमित रूप से अपने शरीर की मालिश करवानी चाहिए।

गर्भवती महिला को नकारात्मक विचारों से दूरी बनानी चाहिए और हमेशा सकारात्मक बातें सोचने की आदत डालनी चाहिए। ऐसा करने से उसे खुद को प्रसव के लिए मानसिक रूप से तैयार करने में मदद मिल सकती है।

बेशक प्रसव एक दर्द भरी प्रक्रिया है, लेकिन गर्भवती महिला को इसे मां बनने के सुख के साथ जोड़कर देखना चाहिए। अपना नज़रिया बदल कर गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के डर को पूरी तरह खत्म कर सकती है।

क्या भूख ना लगना लेबर पेन शुरू होने का संकेत होता है?

हां, लेबर पेन की शुरुआत से पहले गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले बदलावों की वजह से उसकी ऊर्जा खत्म हो जाती है और उसे कम भूख लगती है। इस दौरान भोजन के प्रति अरुचि होना बहुत आम बात है। ऐसे में शरीर में ऊर्जा के सही स्तर को बनाए रखने के लिए, आसानी से पचने वाली खान-पान की चीज़ें खाने की सलाह दी जाती है। (13)
क्या सिर दर्द और जी मिचलाना लेबर पेन शुरू होने का संकेत है?

प्रसव के एक या दो दिन पहले सिर दर्द होना और मितली आना सामान्य बात है। इस समय गर्भवती महिला खुद को अस्वस्थ महसूस कर सकती है। अगर स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। (14)
क्या लेबर पेन से पहले शरीर का तापमान बढ़ जाता है?

हां, प्रसव का समय नज़दीक आने पर गर्भवती महिला के शरीर का तापमान एक डिग्री या उससे ज़्यादा बढ़ सकता है। (15)
क्या श्रोणि पर दबाव पड़ना लेबर पेन शुरू होने का लक्षण है?

हां, श्रोणि पर दबाव पड़ना लेबर पेन शुरू होने का संकेत हो सकता है। दरअसल, प्रसव से ठीक पहले शिशु खिसक कर श्रोणि के पास चला आता है। इस कारण गर्भवती महिला को श्रोणि के ऊपर दबाव महसूस हो सकता है।

Source – momjunction

   
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