क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर मैदान पर कई रिकॉर्ड और विजेता ट्रॉफी के सदस्य रहे लेकिन उनका सबसे बड़ा सपना था विश्व कप विजेता टीम का सदस्य बनना। वह 2011 विश्व कप से पहले पांच बार इस क्रिकेट के महाकुंभ में उतर चुके थे लेकिन विजेता टीम के सदस्य नहीं बन पाए। 2011 में सचिन आखिरी विश्व कप खेलने उतरे और उनके इस सपने को महेंद्र सिंह धौनी की अगुआई में टीम इंडिया ने पूरा किया। भारत ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को हराकर दूसरी बार वनडे विश्व कप का खिताब जीता।
World Cup 2011 में 14 टीमें हुईं शामिल
यह विश्व कप का 10वां संस्करण था जिसकी मेजबानी भारत और श्रीलंका के साथ-साथ पहली बार बांग्लादेश ने भी की। इस टूर्नामेंट में कुल 14 टीमों ने अपनी दावेदारी पेश की। इन टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया था। ग्रुप स्तर में जबरदस्त भिड़ंत के बाद दोनों ग्रुप की शीर्ष-चार टीमों ने क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह बनाई। ग्रुप स्तर के मैचों के बाद सेमीफाइनल के लिए श्रीलंका, न्यूजीलैंड, भारत और पाकिस्तान की टीमों ने क्वालीफाई किया।
पहले सेमीफाइनल में श्रीलंका के खिलाफ न्यूजीलैंड की टीम 48.5 ओवरों में 217 रनों पर ढेर हो गई। लक्ष्य का पीछा करने उतरी श्रीलंकाई टीम ने 47.5 ओवरों में पांच विकेट पर 220 रन बनाते हुए जीत हासिल कर ली। श्रीलंका के कुमार संगकारा (54) को मैन ऑफ द मैच दिया गया।
भारत का दूसरे सेमीफाइनल में चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के साथ मुकाबला हुआ। भारत ने नौ विकेट पर 260 रन बनाए। लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की पूरी टीम 49.5 ओवरों में 231 रनों पर ऑलआउट हो गई और भारत ने मैच को 29 रन से अपने नाम करते हुए फाइनल में अपनी जगह पक्की। सचिन तेंदुलकर (85) को मैन ऑफ द मैच दिया गया।
28 साल बाद भारत ने फिर उठाई ट्रॉफी
फाइनल मुकाबला भारत और श्रीलंका के बीच वानखेड़े के मैदान पर खेला गया। श्रीलंका ने 50 ओवरों में चार विकेट पर भारत के सामने 277 रनों का मजबूत स्कोर खड़ा किया। जवाब में भारतीय टीम की शुरुआत खराब रहीं लेकिन टीम ने गौतम गंभीर (97) और कप्तान धौनी (नाबाद 91) की शानदार पारियों की मदद से मैच को छह विकेट से अपने नाम किया। भारत इस जीत के साथ 28 सालों के बाद विश्व चैंपियन बनीं। इससे पहले भारत ने कपिल देव की कप्तानी में 1983 में जीता था। धौनी को मैन ऑफ द मैच दिया गया।
इस विश्व कप में खास
क्रिकेट और वर्ल्ड कप के इतिहास में ऐसा पहली बार था कि जब दो एशियाई टीमें विश्व कप के फाइनल में पहुंचीं। साल 1996 के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलियाई टीम विश्व कप के फाइनल में नहीं पहुंच पाई। पाकिस्तान पहले इस टूर्नामेंट का संयुक्त रूप से आयोजक था लेकिन 2009 में श्रीलंकाई टीम पर आतंकवादी हमले के बाद आइसीसी ने उसे मेजबानी से हटाकर बांग्लादेश को शामिल किया।
ढाका में बांग्लादेश को उसके घर में हराने के बाद होटल वापस लौटी वेस्टइंडीज की टीम की बस पर बांग्लादेशी प्रशंसकों ने पत्थर फेंके। भारत की राजनीतिक पार्टी शिव सेना ने धमकी दी थी कि अगर पाकिस्तान ने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया तो वह मुंबई में उसे नहीं खेलने देंगे।
सचिन ने सहवाग को उठने नहीं दिया
खिताबी मुकाबले में सचिन तेंदुलकर ने वीरेंद्र सहवाग को बंधक बना लिया था और इसकी जानकारी खुद सहवाग ने एक टॉक शो में दी थी। सहवाग ने कहा कि जब गौतम गंभीर और विराट कोहली बल्लेबाजी कर रहे थे तो मैं और सचिन पाजी ड्रेसिंग रूम में एक साथ बैठे थे। मैं जैसे ही उठने लगा तो सचिन पाजी ने मुझे बैठा दिया और तुरंत चौका लग गया। हम दोनों फिर बात करने लगे। कुछ देर बाद मैंने फिर उठना चाहा तो फिर चौका लग गया इस पर सचिन पाजी ने पूरे मैच के लिए मुझे बैठाए रखा। सहवाग ने कहा कि जब वह ड्रेसिंग रूम में बैठे हुए थे उस दौरान पूरे समय सचिन हाथ जोड़ कर बैठे हुए थे और एक बक्सा खोला हुआ था। सचिन के उस बक्से में भगवानों की तस्वीरें थी।
कैंसर होने के बावजूद युवराज ने निभाई जिम्मेदारी
भारतीय ऑलराउंडर युवराज सिंह ने 2011 विश्व कप में कैंसर होने के बावजूद अपनी जिम्मेदारी निभाई और टीम के खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन करने वाले युवराज (362 रन और 15 विकेट) को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार दिया गया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में पिच पर ही युवराज के मुंह से खून निकल रहा था और किसी को इसकी भनक तक नहीं थी कि युवराज को कैंसर हो गया हैं लेकिन इसके बाद उन्होंने कैंसर का इलाज कराके फिर से मैदान पर वापसी की थी।
– विश्व कप विजेता भारतीय टीम –
– महेंद्र सिंह धौनी (कप्तान, विकेटकीपर), वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह, सुरेश रैना, विराट कोहली, यूसुफ पठान, जहीर खान, हरभजन सिंह, आशिष नेहरा, मुनफ पटेल, एस श्रीसंत, पीयूष चावला और रविचंद्रन अश्विन।
Source – Jagran
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