वड़ा पाव मुंबई, महाराष्ट्र का फेमस फास्ट फूड है. उबले आलू के मिश्रण को बेसन के घोल में डिप कर तला जाता है और फिर इसे पाव के बीच रख चटनियों के साथ सर्व करते हैं. मुंबई जाकर वड़ा पाव न खाना, मतलब मुंबई जाना व्यर्थ है. आइए हम आपको बताते हैं कि ये कैसे बना आमची मुंबई का हिस्सा.
अशोक वैद्य ने दी वड़ा पाव को पहचान. अशोक वैद्य मुंबई के निम्न मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं. सन 1966 में अशोक शिवसेना पार्टी के कार्यकर्ता बने. शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का ऐसा मानना था कि कार्यकर्ता सिर्फ फालतू ही न बैठे रहें बल्कि अपने परिवार के लिए कोई काम-काज भी करें. इसी से प्रेरित होकर अशोक ने दादर रेलवे स्टेशन के बाहर वड़ा पाव नहीं बल्कि सिंपल आलू वड़ा बेचना शुरू किया.
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इसके बाद एक दिन अशोक ने आलू वड़ा के साथ कुछ अलग करने की सोची. अपनी स्टॉल के पास ऑमलेट बेचने वाले से अशोक ने कुछ पाव लिए और इन्हें बीच से काटकर इनके बीच आलू वड़ा रखकर सर्व करना शुरू. चूंकि महाराष्ट्र के लोगों को तीखा खाना पसंद है तो उन्होंने इसे लाल मिर्च-लहसुन की सूखी तीखी चटनी और हरी मिर्च के साथ सर्व करना शुरू कर दिया.
बता दें कि लोगों को उस दिन से वड़ा पाव खूब पसंद आने लगा. शिवसेना के कार्यकर्ताओं को भी यही खिलाया जाता था. शुरूआती समय में यह 20 पैसे का मिलता था. आज की तारीख में यह केवल मुंबई में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में फेमस है और सभी इसे बड़े चाव से खाते हैं.
Source – Pakwan Gali
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