मेरी छोटी बहन को बचपन से एक शौक रहा है. कहती है, दीदी जब आपकी शादी होगी तो जीजाजी के जूते मैं चुराऊंगी. और कोई दूसरा नहीं. आप बोल देना उनको नेग लेकर आएं. यही बात वो आज से दस साल पहले भी कहती थी, आज भी यही कहती है. जीजाजी उसके तो खैर मुझे भी नहीं मिले आजतक, लेकिन मुझे ये पता है कि जब भी मिलेंगे, वो जूते तो चुराकर ही रहेगी.

मासी-मामाओं की शादी में ये बात नहीं थी. नानी बताती थीं कि ये सब न तो उनकी अपनी शादी में हुआ, ना ही उनके बच्चों की. लेकिन हमारी पीढ़ी ने बड़े होते हुए हर शादी में ये चलन देखा. खुद भी जूते चुराए. उनका नेग लेने में हंसी ठिठोली की. लेकिन ये कल्चरल फेनोमेनन आया कहां से?

1994 में एक फिल्म आई थी. हम आपके हैं कौन. माधुरी दीक्षित, सलमान खान, रेणुका शहाणे, मोहनीश बहल, रीमा लागू, आलोक नाथ. बॉलीवुड की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक. नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. इन्फ्लेशन यानी महंगाई एडजस्ट कर लें तो शोले के बाद सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाली फिल्म. सिर्फ यही नहीं, इस फिल्म ने सिर्फ पैसे ही नहीं कमाए, बल्कि फिल्मों की दुनिया में एक भूचाल ला दिया. ये फिगर ऑफ़ स्पीच नहीं है. इस फिल्म ने अकेले ही कमाई के स्टैण्डर्ड तोड़ दिए थे. थोड़ा और करीब से देखते हैं, आखिर इस फिल्म ने किया क्या.

फ्लेवर में मिर्च की जगह जीरे का तड़का

70 के दशक में एंग्री यंग मैन की इमेज लेकर अमिताभ आए. आज़ादी के बाद से लेकर अब तक के दो दशकों का गुस्सा एक साथ स्क्रीन पर फूटा. हैरान परेशान जनता ने उससे रिलेट किया. उसमें अपनी छवि देखी. फिल्में उसी लीक पर चलने लगीं. 90 तक आते-आते मार-धाड़, रेप, बदला जैसी फ़ॉर्मूला फिल्में स्क्रीन पर चल रही थीं. ऐसी हालत में लोग परिवार के साथ फिल्म देखने जाने में हिचकिचाने लगे थे. स्क्रीन पर रेप के सीन, खून वगैरह अकेले दोस्तों के साथ जाकर भले देख लेते थे लोग, फैमिली के साथ नहीं जाते थे. जब हम आपके हैं कौन आई, लोगों को बातें सुनने को मिलीं. आश्वासन मिला कि ये फिल्म फैमिली के साथ जाकर देखी जा सकती है. इसने और इसके बाद आई दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे. इन्हीं दोनों फिल्मों ने एक साथ लोगों को थियेटरों में खींच लिया. जितने टिकट हम आपके हैं कौन के बिके, वो हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे ज्यादा बिकने वाले टिकटों में शामिल नंबर है.

VCR और केबल टीवी की टाइमलाइन में सेंध

94 तक आते-आते लोगों का इंटरेस्ट फिल्मों से हट रहा था. वजह? केबल टीवी और वीसीआर. इस पर फिल्में अवेलेबल हो जाती थीं. इस वजह से भी लोग थियेटर जाना कम कर रहे थे. हम आपके हैं कौन की रिलीज के समय थियेटरों को अपग्रेड करने की बात हुई. जिन थियेटर्स ने हां की, उनमें ही फिल्म रिलीज की गई. जिन लोगों ने इस फिल्म को पहले देखा, उनके हिसाब से ये फिल्म चलने वाली नहीं थी. इस वजह से लोग भी थोड़ा सहमे हुए थे इसे लेकर. लेकिन जैसे-जैसे बात फैली, पता चलना शुरू हुआ कि लोगों को फिल्म बहुत पसंद आ रही है. बाकी थियेटर्स ने भी अपने आप को अपग्रेड करने का फैसला कर लिया, फिल्म बढ़ती गई. और एक फेनोमेनन बन गई. इसमें जो 14 गाने थे, उनको लेकर भी लोगों को शक था कि कहीं लोग इसकी वजह से फिल्म देखने में बोर ना हो जाएं. लेकिन हुआ इसका उल्टा. इस फिल्म के सभी गाने भी सुपर हिट हुए. इतने हिट हुए, कि ताराचंद बड़जात्या तो फिल्म का नाम इसके गाने पर ‘धिकताना’ रखना चाहते थे.

भारत में दुनिया और दुनिया में भारत

1991 में भारत की इकॉनमी पूरे विश्व के लिए खुल गई थी. NRI बाहर जाकर सेटल होने शुरू हो गए थे. वो ऐसा अनिश्चितता वाला समय था, जिसमें लोग अपनी जड़ें ढूंढ रहे थे, लेकिन विदेश की लोलुपता खत्म नहीं हुई थी. ऐसे में एक फिल्म जो ट्रेडिशनल मूल्यों को इतने करीब से दिखा रही हो, उसपर लोगों का प्रेम उमड़ना स्वाभाविक था. ये चीज़ दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में भी देखी गई. यही चीज़ सन 2000 के आस-पास होनी शुरू हुई जब भारत के सर्विस सेक्टर में बूम आया और न्यूक्लियर फैमिली के कॉन्सेप्ट की तरफ लोगों का बढ़ना शुरू हुआ. उस समय इस फीलिंग पर एकता कपूर ने इनकैश किया, उनके जॉइंट फैमिली पर फोकस करने वाले सीरियल छप्पर फाड़ कर चले. चले तो क्या, उसेन बोल्ट की तरह टीआरपी की दौड़ में आगे भाग गए. रिकॉर्ड बनाते, तोड़ते हुए.

वैसा ही हम आपके हैं कौन ने किया. जहां देश भर में 10 करोड़ कमाने वाली फिल्म को ब्लॉकबस्टर कहा जाता था. HAHK के रिलीज होने के बाद ये लिमिट बढ़कर 20 करोड़ हो गई.

इसके गाने आज भी शादियों में बजते हैं. स्नैपचैट वाली जेनेरेशन के लोग भी दीदी तेरा देवर दीवाना पर डांस करते हुए देखे जा सकते हैं. जूते चुराने के लिए एक्साइटमेंट वही है. इन सबके बीच हम आपके हैं कौन थोड़ी-थोड़ी चमकती रहती है. एक आइकॉनिक फिल्म की तरह.

Source – OddNari

   
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