कुंभ मेला शुरू होने वाला है और कुंभ की तैयारियां भी जोरो पर हैं. कुंभ के आगमन को लेकर प्रयागराज (इलाहाबाद) में भी खास इंतजाम किए गए हैं. प्रयागराज यानी संगम नगरी का इतिहास भी लोगों को बताया जा रहा है. धार्मिक आस्था का केंद्र रहे प्रयागराज का जिक्र महाभारत काल से लेकर मॉर्डन इतिहास तक किताबों में भरा पड़ा है.

प्रमाणिक इतिहास के आरंभ से प्रयागराज का भू-भाग सभ्य प्रजातियों के प्रभाव में रहा. वहीं 600 ईसा पूर्व में प्रयागराज एक राज्य था और इसे ‘कौशांबी’ में राजधानी के साथ ‘वत्स’ कहा जाता था. कहा जाता है कि इसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं. बता दें कि गौतम बुद्ध ने अपनी तीन यात्राएं करके इस शहर को गौरव प्रदान किया.

Also Read – चाकलेट चिप आइसक्रीम – CHOCOLATE CHIP ICE CREAM

वहीं मौर्य साम्राज्य के अधीन आने के बाद कौशांबी (प्रयागराज) को अशोक के प्रांतों में से एक का मुख्यालय भी बनाया गया था. प्रयागराज के ही एक स्थान भीटा से मौर्य साम्राज्य की पुरातन वस्तुएं और अवेशष प्राप्त हुए थे. मौर्य के बाद शुंगों ने यहां शासन किया था. शुंगो के बाद यहां कुषाण सत्ता में आए.

वहीं 1540 में शेर शाह सूरी का शासन आ गया और इस दौरान यहां काफी कार्य भी हुए. कहा जाता है कि 1557 में झूंसी और प्रयाग के अधीन गांव मरकनवल में जौनपुर के विद्रोही गवर्नर और अकबर के मध्य एक युद्ध लड़ा गया था. जीत के बाद अकबर एक दिन के लिए प्रयाग में रुका भी और उसके बाद अकबर ने इस रणनीतिक स्थान पर एक किले के महत्व का अनुभव किया.

साल 1575 में अकबर फिर प्रयाग आया और एक शाही शहर की आधारशिला रखा, जिसे उसने ‘इलाहाबास’ कहा. अकबर के शासन के दौरान नवीन शहर तीर्थयात्रा का अपेक्षित स्थान हो गया. शहर के महत्व में तीव्र विकास हुआ और अकबर के शासन की समाप्ति के पूर्व इसके आकार और महत्व में पर्याप्त वृद्धि हुई.

मुगल राज के बाद अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का बिगुल बजाने में प्रयागराज पहले स्थान पर था. कहा जाता है कि अंग्रेजों के खिलाफ जो सबसे पहले विद्रोह हुआ, वो 1857 की क्रांति है और इस क्रांति में प्रयागराज की अहम भूमिका है. उस वक्त कौशांबी के रहने वाले मौलवी लियाकत अली ने प्रयागराज और इसके आस-पास में इसकी शुरुआत की थी.

शहर में अंग्रेजों की रेजिमेंट तैनात होने के बाद भी लियाकत अली और साथी क्रांतिकारियों के साथ सदर तहसील पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद कई अंग्रेज वहां से भाग गए थे. कहा जाता है कि 6 जून 1857 के विद्रोह में लियाकत अली ने लोगों के साथ मिलकर शहर को अंग्रेजों से आजाद करा लिया था.

6 जून 1857 को अंग्रेजों से आजाद होने के बाद 7 जून 1857 से 17 जून 1857 तक मौलाना के नेतृत्व में अपनी सरकार चलाई थी. हालांकि बाद में 18 जून को अंग्रेजों की एक बड़ी सेना को प्रयागराज भेजा गया और फिर से यह शहर अंग्रेजों की गिरफ्त में आ गया. अंग्रेजों ने भीषण तरीके से दमन किया. हालांकि कहा जाता है कि आजादी से 90 साल पहले आजाद होने वाला शहर था इलाहाबाद.

बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है.

Source – Aaj Tak

   
Railway Employee (App) Rail News Center ( App) Railway Question Bank ( App) Cover art  

Railway Mutual Transfer (App)

Information Center  ( App)
 
Disclaimer: The Information /News /Video provided in this Platform has been collected from different sources. We Believe that “Knowledge Is Power” and our aim is to create general awareness among people and make them powerful through easily accessible Information. NOTE: We do not take any responsibility of authenticity of Information/News/Videos.
Share

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *