भारत में एक नाम अचानक काफी चर्चा में आ गया है। राष्ट्रपति रामनाथ को​विंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर फिल्मी जगत के बड़े-बड़े सितारे तक उसकी उपलब्धि पर उसे सलाम कर रहे हैं और बधाई दे रहे हैं। जी हां वह नाम है ‘हिमा दास’। असम की 18 वर्षीय एथलीट हिमा दास का नाम गूगल में सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा है। वह इसलिए कि उन्होंने फिनलैंड के टेम्पेयर शहर में भारत के लिए इतिहास रच दिया है। हिमा ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है।
असम के एक साधारण किसान की बेटी हैं हिमा दास
अब हम आपको हिमा दास की कहानी बताते हैं, उन्होंने कैसे असम के एक गांव से यहां तक का सफर तय किया? हिमा की इस सफलता के पीछे उनकी लगन, कड़ी मेहनत और हिम्मत का हाथ है। हिमा असम में धान की खेती करने वाले एक साधारण किसान की बेटी हैं। हिमा के कोच निपोन की मानें ते उन्होंने दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। इससे पहले वह लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थीं और मैदान पर अपनी फुर्ती, दमखम और स्किल से उनको छका देती थीं। हिमा के कोच निपोन ने उन्हें पहली बार फुटबॉल मैदान पर लड़कों को छकाते हुए ही देखा था। इसके बाद वह हिमा के परिवार वालों से मिले और उनसे अपनी बेटी को एथलेटिक्स में भेजने के लिए कहा। हिमा का परिवार उनकी कोचिंग का खर्चा उठाने में असमर्थ था, तो करियर के शुरुआत में उनके कोच निपोन उनकी काफी मदद की।
भारत एथलेटिक्स इतिहास की स्वर्ण परी बनीं हिमा
एथलेटिक्स में आने के बाद हिमा दास को सबसे पहले अपना परिवार छोड़कर करीब 140 किलोमीटर दूर आकर बसना पड़ा। शुरुआत में उनके परिजन इसके लिए राजी नहीं थे, लेकिन कोच निपोन ने काफी जिद करके हिमा के परिजनों को मनाया। फिर शुरू हुआ हिमा की कामयाबी का सफर। हिमा दास गोल्ड मेडल जीतने के बाद इंडियन एथलीट्स के साथ एलीट क्लब में शामिल हो चुकी हैं। सीमा पुनिया, नवजीत कौर ढिल्लों और नीरज चोपड़ा की तरह वह एक ऐसी शख्सियत बनकर उभरी हैं, जिन्हें उनकी कामयाबी ने रातों रात लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया है। हिमा के कोच निपोन दास को पूरा विश्वास था कि उनकी शिष्या कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होगी। अब 400 मीटर की रेस में उन्होंने अपनी ताकत का पूरी दुनिया में लोहा मनवाया है
ऐतिहासिक है हिमा दास का यह स्वर्ण पदक
यह स्वर्ण पद इसलिए खास है क्योंकि भारत के एथलेटिक्स इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी ​खिलाड़ी ने आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल किया हो। उनसे पहले भारत का कोई भी स्प्रिंटर जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक नहीं जीत सका है। हिमा दास ने 51.46 सेकेंड में 400 मीटर की स्प्रिंट पूरी कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। रोमानिया की एंड्रिया मिकलोस को रजत और अमरीका की टेलर मैंसन को कांस्य पदक मिला। मजेदार बात यह है कि इस स्प्रिंट के 35वें सेकेंड तक हिमा दास शीर्ष तीन एथलीट्स में भी नहीं थीं, लेकिन आखिरी के 17 सेंकेंड्स में उन्होंने रफ्तार पकड़ी और इतिहास रच दिया। हिमा दास स्वर्ण पदक लेने के लिए जब पोडियम पर चढ़ीं और भारत का राष्ट्रगान बजने लगा तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।
गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ में हिमा को मिली थी निराशा

गौरतलब ​है कि बुधवार को हुए सेमीफाइनल मुकाबले में भी हिमा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 52.10 सेकंड का समय निकालकर पहला स्थान हासिल किया। पहले दौर की हिट में भी 52.25 सेंकेंड के समय के साथ वह पहले स्थान पर रहीं। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी हिमा दास को उनकी कामयाबी के लिए बधाई दी है। अप्रैल में आॅस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ गेम्स की 400 मीटर स्पर्धा में हिमा दास छठे स्थान पर रही थीं। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 51.32 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी। इसी राष्ट्रमंडल खेलों की 4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान हासिल किया था। इसके अलावा हाल ही में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। हिमा का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 100 मीटर में 11.74 सेकेंड, 200 मीटर में 23.10 सेकेंड, 400 मीटर में 51.13 सेकेंड और 4X400 मी. रिले में 3:33.61 सेंकेंड रहा है।

Source – HT

   
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