प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों को दिये परीक्षा का मंत्र

वार्षिक ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान छात्रों के साथ बातचीत की और उन्हें परीक्षा को त्योहारों के तौर पर लेने की सलाह दी. प्रधानमंत्री ने लोगों को बताया कि , ‘यह मेरा पसंदीदा कार्यक्रम है,

प्रधानमंत्री ने चर्चा में पूछे- ‘घबराया हुआ कौन है? आप या आपके माता-पिता? उन्हो नें कहा कि यहां अधिकतर लोगों के माता-पिता घबराए हुए हैं.  उन्हो नें कहा कि अगर हम परीक्षा को त्योहार बना दें तो यह जीवंत बन जाएगा.’ प्रधानमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का देश के हर वर्ग ने तहे दिल से स्वागत किया है.

एक छात्र ने पूछा कि सही तैयारी एवं रिवीज़न और पर्याप्त नींद लेकर कोई भी पाठ्यक्रम कैसे पूरा किया जा सकता.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहे, ‘आप इतने घबराए हुए क्यों हैं? आप पहली बार परीक्षा नहीं देंगे. अब आप आखिरी पड़ाव के करीब बढ़ रहे हैं. आपने पूरा समुद्र पार कर लिया है अब क्या किनारे के पास आकर आपको डूबने का डर है?’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहे कि ‘हर विद्यार्थी को लगता है कि मुझे याद नहीं रहता है, ये मैं भूल गया. लेकिन आप देखेंगे कि एग्जाम के समय पर अचानक ऐसी चीजें निकलने लगेंगी के आप सोचेंगे कि मैनें तो कभी इस विषय को छुआ तक नहीं था, लेकिन अचानक सवाल आ गया और मेरा जवाब भी बहुत अच्छा रहा. मतलब वो कहीं न कहीं स्टोर था. इसलिए ध्यान को सरलता के साथ अपने जीवन के साथ आत्मसात कीजिए.’
प्रधानमंत्री मोदी ने ने दी खुद का एग्जाम लेने की सलाह दी ।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहे कि ‘ध्यान बहुत सरल है. आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए. अगर आप उस पल को जी भरकर जीते हैं तो वो आपकी ताकत बन जाता है. ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है. जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है.’
उन्होंने ये भी बोला कि ‘कभी-कभी आप खुद का भी एग्जाम लें, अपनी तैयारियों पर मंथन करें, रीप्ले करने की आदत बनाएं, इससे आपको नई दृष्टि मिलेगी. अनुभव को आत्मसात करने वाले रीप्ले बड़ी आसानी से कर लेते हैं, जब आप खुले मन से चीजों से जुड़ेंगे तो कभी भी निराशा आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकती.’

प्रधानमंत्री मोदी ने चर्चा’ के दौरान कहे कि ‘जिस चीज में आपको आनंद आता है, आपको उसके लिए अपने आप को कम से कम एडजस्ट करना पड़ता है, वो रास्ता छोड़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन उस कंफर्ट अवस्था में भी आपका काम है आपकी पढ़ाई, अधिकतम परिणाम के लिए से आपको जरा भी हटना नहीं है.’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहे कि कि ‘कॉम्पिटिशन को हमें जीवन की सबसे बड़ी सौगात मानना चाहिए. अगर कॉम्पिटिशन ही नहीं है तो जिंदगी कैसी. सच में तो हमें कॉम्पिटिशन को इन्वाइत करना चाहिए, तभी तो हमारी कसौटी होती है,कॉम्पिटिशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का एक अहम माध्यम होता है, जिससे हम अपना मूल्यांकन भी कर सकते हैं.’

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