दोस्तों नमस्कार
आज मै आपसे बेरोजगारी का समस्या उसके कारण एवं निदान पर चर्चा करने जा रहा हु
दोस्तो, बेरोजगारी का कारण कठिन है तो बहुत साधारण भी है ।
मैं एक उदाहरण आपको बता रहा हूँ
एक लड़का पास आया और बोला- अंकल मैं बेरोजगार हूँ, कहीं नौकरी नहीं लग रही है, बहुत परेशान हूँ, आप ही बताइये मैं क्या करु.
*सरकार ने तो कहा था कि हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार दूँगा, सात साल होने को जा रहे है, कुछ भी नहीं मिला।*
मैंने उससे कहा
आप टेलरिंग, पार्लर नाई या लांड्री में काम कर लो ? वो बोल नहीं !
मैंने कहा हलवाई, कारपेंटर, लुहार, वेल्डिंग के काम सीखोगे ? वो बोल नहीं !
मैंने कहा ग्राफिक डिज़ाइन, इंटरनेट आदि का कुछ काम आता है तो कर लो ? वो बोल नहीं !
मैंने फिर कहा सब्जी/फ्रूट, जूस, नाश्ता की या कोई और धंधा कर लो ? वो फिर बोल नहीं !
मैंने कहा रिपेरिंग आदि का काम कर लो ? वो बोल नहीं !
मैंने फिर कहा खेती बागवानी का काम कर लो।
मैंने कहा मजदूरी तो कर ही सकते हो ? ? वो बोल नहीं !
मेरे इतने बातों से वो नाराज हो गया, वो बोला जी मैं पढ़ा लिखा हूँ, मेरे पास डिग्री है। ये सब काम मेरे लिए नहीं, मुझे तो केवल सरकारी नौकरी चाहिए।* पढ़े लिखे होने के क्या फायदा । वो बोला सरकार, हम जैसे युवाओं को बेरोज़गार कर दिया ।
तब से मै सोच रहा हूँ ।
पुरे इंडिया में लगभग 3 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार है, जबकि सेंट्रल गवर्नमेंट या स्टेट गवर्नमेंट या फिर गवर्नमेंट अंडरटेकिंग आदि के सभी पोस्ट मिला दिया जाय तो लगभग 2 करोड़ सरकारी पोस्ट है, अगर सभी सरकारी कर्मचारी को रिटायर्ड कर दिया जाय तो भी सभी को सरकारी नौकरी नहीं दिया जा सकता है। साभी को रिटायर्ड करना कभी भी संभव नहीं है।
ऐसे लोग को कोई सरकार नौकरी नहीं दे सकता। सरकार को गाली देना कोई विकल्प नहीं हैं।
अगर आपको कुछ काम करना नहीं आता है तोकमी आप में है, इस कमी को कुछ ही समय के ट्रेनिंग से दूर किया जा सकता है,
देश मेँ काम की कमी नहीं है, काम चारों तरफ बिखरे पड़े हैं, और उनको हुनरमन्द लड़के झपट कर, कर भी रहे हैं । बस सरकारी नौकरी के इंतज़ार में नहीं है।
आप “स्किल इंडिया” का भी लाभ उठा सकते हैं।
आपलोग सरकारी नौकरी के इंतज़ार में नहीं बैठे।*
अभिवावको से आनुरोध है की आप अपने बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही स्किलड यानि हुनरमंद भी बनाइए।
अपने अंदर *यह सोच हटा दीजिए कि “लोग क्या कहेंगे” या “लोग क्या सोचेंगे‘* क्योंकि लोग क्या कहेंगे यह सबसे खतरनाक वाक्य है जो हमें बर्बाद कर देता है
बच्चों को समझाइये कि कोई भी काम छोटा नहीं होता।
आप जानते ही है की *धीरूभाई अंबानी फल और नाश्ता बेचने से लेकर पैट्रोल पम्प पर भी नौकरी की थी*, और शुरू शुरू में पुराने कपड़ों के खरीदने बेचने का व्यापार भी किया था।
अगर वो सरकारी नौकरी का इंतज़ार करते रहते तो, किसी सरकारी विभाग में क्लर्क/मैनेजर बन कर ही रह जाते।
फिल्म अभिनेता देवानंद, जब अटल बिहारी वाजपेई जी पाकिस्तान बस लेकर गए थे तब उनके साथ गए थे और देवानंद* जो अपनी डिग्री पाकिस्तान से पलायन के समय नहीं ले पाए थे वह डिग्री तब उन्हें दी गई ।
उन्होंने कहा कि आज मैं जो कुछ हूं अपनी इस छूटी हुई डिग्री के कारण हूं
क्योंकि मेरे भाई मुझे नेवी में क्लर्क की नौकरी दिलवा रहे थे क्योंकि
*मैं अपनी डिग्री पाकिस्तान ही भूल गया था* इसीलिए मुझे वह क्लर्क की नौकरी नहीं मिली। शुरू में मैं मायूस रहा, और फिर संघर्ष किया और आज मैं इस मुकाम पर हूं
*अगर मेरे पास यह डिग्री उस वक्त होती तो मैं आज नेवी का क्लर्क होकर मर जाता मुझे कोई नहीं पहचानता*
दोस्तो हमें बच्चों को *पढ़ाई के अलावा‘* कुछ ना कुछ *हुनर* भी सीखने के लिए ध्यान अवश्य दिलाना चाहिए।
समाज का हर युवा जब कुछ ना कुछ *हुनर* जानने वाला होगे , *बेरोजगारी* की समस्या तभी हल होगी।
*जय हिन्द*