बाएं हाथ के बल्लेबाज शिखर धवन टीम इंडिया के ओपनर बल्लेबाज हैं। आईपीएल में वह दिल्ली कैपिटल्स की टीम का हिस्सा है। पिछले सीजन वह सनराइजर्स हैदराबाद में थे। फ्रेंचाइजी कोई भी हो, धवन का बल्ला रुकने का नाम नहीं लेता। एक खुशमिजाज व्यक्तिक्व वाले धवन ने क्रिकेट करियर में काफी उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने अपने करियर की जब पहली सीढ़ी चढ़ी तो वहीं फिसल गए। उस वक्त गब्बर को लगा कि अब क्रिकेट नहीं खेलना है। इसलिए उन्होंने दूसरा विकल्प ढूंढ निकाला और मैदान में बल्ला छोड़ बन गए सेल्समैन।

टीम से बाहर होने पर निराश
करीब दो साल पहले इस बात का खुलासा खुद धवन ने एक इंटरव्यू में किया था। ब्रेकफाॅस्ट विथ चैंपियंस नाम के एक टाॅक शो में धवन ने बताया कि कैसे उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत ही खराब रही, जिसने उन्हें दूसरा काम करने पर मजबूर कर दिया। धवन बताते हैं, ‘उन्हें बचपन से ही खेलने का काफी शौक था। सिर्फ क्रिकेट नहीं फुटबाॅल, कबड्डी और अन्य गेम उन्हें पसंद आते थे। फिर किसी तरह क्रिकेटर बनने का चस्का लगा। कोच से ट्रेनिंग ली और दिल्ली के लिए अंडर-16 खेलने लगे। अभी दो मैच ही खेले थे कि धवन को टीम से यह कहकर बाहर कर दिया गया कि वह अच्छा नहीं खेल पाते। ये बात उन्हें अच्छी नहीं लगी और ताव में आकर धवन ने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया

पिता ने नहीं करने दिया बिजनेस
क्रिकेटर बनने का नशा उतरने के बाद धवन का सामना जमीनी हकीकत से हुआ। अगर क्रिकेटर नहीं बने तो जिंदगी में आगे क्या करना है। चूंकि गब्बर के घर पर सभी छोटा-मोटा बिजनेस करते थे। शिखर को भी लगा अब क्रिकेट में किस्मत नहीं चमकी तो फैमिली बिजनेस में हाथ आजमाया जाए। मगर उनके पिता ने ऐसा करने से मना कर दिया। धवन के पिता नहीं चाहते थे कि वह कम उम्र से ही बिजनेस में मन लगाए। क्रिकेट का बल्ला छोड़ चुके गब्बर को जब पिता से भी निराशा हाथ लगी तो वह अपने रिश्तेदार के पास पहुंचे

बन गए सेल्समैन
धवन बताते हैं कि, उनके एक रिश्तेदार डब्बे बनाने का काम करते थे। वह उन्हीं के साथ लग गए और सेल्समैन बन गए। वह लोगों के पास जा-जाकर डब्बे बेचते थे। हालांकि ये काम उन्होंने ज्यादा दिन तक नहीं किया। फिर उन्हें कोच ने दोबारा बुलाया और क्रिकेट पर फोकस करने को कहा। गब्बर बताते हैं कि उस वक्त उनकी किस्मत ने भी साथ दिया। तब टीम में सलेक्शन के लिए उम्र का टेस्ट होने लगा जिसमें कई बड़ी उम्र के प्लेयर बाहर हो गए और धवन की दिल्ली की जूनियर टीम में इंट्री हुई। एक बार सलेक्शन के बाद धवन ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और जूनियर लेवल का क्रिकेट खेलते-खेलते आज इंटरनेशनल स्टार बल्लेबाज बन गए

10 साल का हुआ इंटरनेशनल करियर
धवन को इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते हुए 10 साल हो गए। साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धवन को वनडे डेब्यू का मौका मिला था। इसके बाद वह लगातार टीम से अंदर-बाहर होते रहे। धवन के करियर का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाॅइंट साल 2013 की चैंपियंस ट्राॅफी रही, यहां गब्बर के बल्ले से जमकर रन निकले। इसके बाद इस बल्लेबाज ने मुड़कर पीछे नहीं देखा। क्रिकइन्फो पर मौजूद डेटा के मुताबिक, शिखर के नाम 136 वनडे मैचों में 45.14 की औसत से 5688 रन दर्ज हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 17 शतक और 29 अर्धशतक भी दर्ज हैं। टेस्ट की बात करें तो धवन ने 34 मैच खेलकर 40.61 की औसत से 2315 रन बनाए इसमें सात शतक और पांच अर्धशतक शामिल हैं।

Source – inextlive

   
Railway Employee (App) Rail News Center ( App) Railway Question Bank ( App) Cover art  

Railway Mutual Transfer (App)

Information Center  ( App)
 
Disclaimer: The Information /News /Video provided in this Platform has been collected from different sources. We Believe that “Knowledge Is Power” and our aim is to create general awareness among people and make them powerful through easily accessible Information. NOTE: We do not take any responsibility of authenticity of Information/News/Videos.
Share

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *