ताकि न हो रोग और बढ़े ग्रामोद्योग

वह जड़ी-बूटियों के बीच पले-बढ़े हैं। औषधियां बनाने का काम उन्हें विरासत में मिला था। चार पीढ़ियों से उनके घर में आयुर्वेदिक पद्धति से उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। उनके पिता ने ग्रामोद्योग से न सिर्फ खुद को जोड़ा, बल्कि कई बेरोजगारों की रोजी-रोटी की भी व्यवस्था कराई। उन्हीं के नक्शेकदम पर चलकर अब …